(23/05/2015) 
शंकर जी के रूद्र रूप हनुमान के सामने नही टिकती कोई भी असुर शक्ति
शंकर के अवतारहनुमानजी ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। इसकी आराधना से बल, कीर्ति,आरोग्य और निर्भीकता बढती है।हनुमान का विराट स्वरूप पांच मुख पांच दिशाओं में हैं। हर रूपएक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है।हनुमान के पांच मुख क्रमश:पूर्व,पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊर्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित माने गएं हैं।

पंचमुख हनुमान के पूर्व की ओर कामुख वानर का हैं। जिसकी प्रभा करोडों सूर्यो के तेज समान हैं। पूर्व मुख वाले हनुमान का पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश होजाता है।पश्चिम दिशा वाला मुख गरुड का हैं। जो भक्तिप्रद, संकट, विघ्न-बाधा निवारक माने जाते हैं। गरुड की तरह हनुमानजी भी अजर-अमरमाने जाते हैं।हनुमानजी का उत्तर की ओर मुख शूकर का है। इनकी आराधना करने सेअपार धन- सम्पत्ति,ऐश्वर्य, यश, दिर्धायु प्रदान करने वाल व उत्तम स्वास्थ्य देने में समर्थहैं।हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरूप भगवान नृसिंह का है। जो भक्तों के भय, चिंता, परेशानी को दूर करता हैं।श्री हनुमान का ऊर्ध्वमुख घोडेके समान हैं। हनुमानजी का यह स्वरुप ब्रह्मा जी की प्रार्थनापर प्रकट हुआ था। मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए। कष्ट में पडेभक्तों को वे शरण देते हैं। ऐसे पांच मुंह वाले रुद्र कहलाने वाले हनुमान बडे कृपालु और दयालु हैं।हनुमतमहाकाव्य में पंचमुखीहनुमान के बारे में एक कथा हैं।एक बार पांच मुंह वाला एक भयानक राक्षस प्रकट हुआ। उसने तपस्या करके ब्रह्माजीसे वरदान पाया किमेरे रूप जैसा ही कोई व्यक्ति मुझे मार सके। ऐसा वरदान प्राप्त करके वह समग्र लोक में भयंकर उत्पात मचाने लगा। सभी देवताओं ने भगवान से इस कष्ट से छुटकारा मिलने की प्रार्थना की।तब प्रभु की आज्ञा पाकर हनुमानजी ने वानर, नरसिंह, गरुड, अश्व और शूकर का पंचमुख स्वरूप धारण किया। इस लिये एसी मान्यता है कि पंचमुखीहनुमान की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना के समान फल मिलता है। हनुमान के पांचों मुखों में तीन-तीन सुंदर आंखें आध्यात्मिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक तीनों तापों को छुडानेवाली हैं। ये मनुष्य के सभी विकारों को दूर करने वाले माने जाते हैं।भक्त को शत्रुओं का नाश करने वाले हनुमानजी का हमेशा स्मरण करना चाहिए। विद्वानो के मत से पंचमुखी हनुमानजी की उपासना से जाने- अनजाने किए गए सभी बुरे कर्म एवं चिंतन के दोषों से मुक्ति प्रदान करने वाला हैं।पांच मुख वाले हनुमानजी की प्रतिमा धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी बहुत ही चमत्कारिक फलदायी मानी गई है.संकट मोचन हनुमानाष्टक बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो ।ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥देवन आन करि बिनती तब, छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 1 ॥बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो ।चौंकि महा मुनि शाप दिया तब,चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सोतुम दास के शोक निवारो ।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥2॥अंगद के संग लेन गये सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो ।जीवत ना बचिहौ हम सो जु,बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥हेरि थके तट सिंधु सबै तब,लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥3॥रावन त्रास दई सिय को सब,राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।ताहि समय हनुमान महाप्रभु,जाय महा रजनीचर मारो ॥चाहत सीय अशोक सों आगि सु,दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥4॥बाण लग्यो उर लछिमन के तब,प्राण तजे सुत रावण मारो ।लै गृह बैद्य सुषेन समेत,तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥आनि सजीवन हाथ दई तब,लछिमन के तुम प्राण उबारो ।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥5॥रावण युद्ध अजान कियो तब,नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,मोह भयोयह संकट भारो ॥ आनि खगेस तबै हनुमान जु,बंधन काटि सुत्रास निवारो ।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥6॥बंधु समेत जबै अहिरावन,लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि,देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥जाय सहाय भयो तब ही,अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥7॥काज किये बड़ देवन के तुम,वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।कौन सो संकट मोर गरीब को,जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,जो कछु संकट होय हमारो ।को नहिं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो ॥8॥॥ दोहा ॥लाल देह लाली लसे,अरू धरि लाल लंगूर ।बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर ॥॥ इति संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ॥ कालयोग गौ सेवा ट्रस्ट शिमला 8263882638 आचार्य जी से बात करे 9129500004 fb और whatsapp पे भी आप जुड़े 
कालयोगी आचार्य महिंदर कृष्ण शर्मा 
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