(20/09/2012) 
प्रो. प्रेम कुमार धूमल को राज्य कृषि नेतृत्व अवार्ड-2012 प्रदान
मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल को उनके नेतृत्व में प्रदेश में कृषि, बागवानी एवं पशुपालन क्षेत्रों में प्रमुख नीतिगत निर्णयों एवं नवीन कार्यक्रमों को आरम्भ करने के लिए कृषि नेतृत्व अवार्ड-2012 प्रदान किया गया।

केन्द्रीय राज्य कृषि मंत्री  हरीश रावत ने मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल को गत सायं नई दिल्ली में ?एग्रीकल्चर टुडे? तथा केन्द्रीय ग्रामीण विकास, भू-विज्ञान, खाद्य प्रसंस्करण, मंत्रालय के तत्वाधान मंे आयोजित कार्यक्रम में यह पुरस्कार प्रदान किया।

भारत में हरित क्रांति के जनक प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में कृषि नेतृत्व अवार्डस-2012 की आयोजन समिति ने प्रो. प्रेम कुमार धूमल को यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया।

मुख्यमंत्री द्वारा कृषि संसाधनों के बेहतर प्रबन्धन की नीतिगत निर्णयों के सुदृढ़ कार्यान्वयन, बागवानी तकनीकी मिशन के अन्तर्गत कृषि विविधिकरण, नीति हस्तक्षेप के द्वारा सेब आर्थिकी का पुनर्जीवन, एफ एंड बी के लिए विपणन सहयोग कार्यक्रम, जैविक कृषि को बढ़ावा, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का शुभारम्भ तथा बजट आवंटन में व्यापक वृद्धि, जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश में कृषि विविधिकरण उत्पाद में वृद्धि हुई है, के दृष्टिगत यह पुरस्कार प्रदान किया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा किए गए इन प्रयासों से कृषि क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि हुई है और प्रदेश की ग्रामीण आर्थिकी में सकारात्मक बदलाव आया है।

इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिकों एवं तकनीकी विशेषज्ञों को सम्बोाधित करते हुए प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कृषि क्षेत्र में किए गए शोध को प्रयोगशालाओं से खेतों तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने नवीन पर्यावरण मित्र तकनीक को बढ़ावा देने पर बल दिया ताकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर कृषि उत्पाद को बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने गत साढ़े चार वर्षाें में कृषि क्षेत्र में व्यापक वृद्धि दर हासिल करने के लिए अनेक पग उठाए हैं, जिनमें 353 करोड़ रुपये की पंडित दीनदयाल किसान बागवान समृद्धि योजना भी शामिल है। 11 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में 12,500 पाॅलीहाउस का निर्माण किया गया है और 12,500 हेक्टेयर क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के अन्तर्गत लाया गया है।

उन्होंने कहा कि पाॅलीहाउस के निर्माण के लिए किसानों को 80 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी आय में आशातीत वृद्धि हुई है और 50 हजार व्यक्तियों को रोजगार मिला है। राज्य ने 2250 करोड़ रुपये मूल्य की 13.50 लाख टन रिकार्ड सब्जी उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया है, जिसका सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश सरकार ने इस योजना के दूसरे चरण के लिए 190 करोड़ रुपये को भी स्वीकृति प्रदान की है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बेहतर नीतिगत निर्णयों एवं कार्यक्रमों तथा राज्य की कुल योजना का 11.9 प्रतिशत बजट कृषि, बागवानी एवं पशुपालन क्षेत्रों के लिए आबंटित कर व्यापक वृद्धि दर्ज की है। प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश कृषि एवं बागवानी

 

 

उत्पाद विपणन अधिनियम, 2005 में संशोधन किया ताकि उन्हें उनके उत्पाद के बहेतर दाम मिल सके। राज्य में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए राज्य जैविक कृषि नीति-2011 कार्यान्वित की गई है और राज्य जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी को क्रियाशील किया गया है। इसने किसानों के लिए जैविक प्रमाणपत्र की लागत को काफी कम किया है और हिमाचल प्रदेश सेवा गारंटी अधिनियम के अन्तर्गत मृदा जांच सेवा सुनिश्चित बनाई जा रही है। प्रदेश में 5.90 लाख से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी की सहायता से प्रदेश में 321 करोड़ रुपये की कृषि विविधिकरण परियोजना आरम्भ की गई है। कृषि बीमा योजना के अन्तर्गत व्यावसायिक फसलों के साथ-साथ सभी प्रमुख फसलों को लाया गया है तथा प्रीमियम पर उपदान को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया गया है। कृषि ऋणों पर स्टाम्प एवं पंजीकरण शुल्क में 10 लाख रुपये तक की छूट दी गई है। वर्ष 1950-60 के 43,485 किसानों के तकावी एवं भू-संवर्द्धन ऋण, जो 4.95 करोड़ रुपये थे, को भी माफ किया गया है।

इसके अतिरिक्त पशुपालन क्षेत्र कोे बढ़ावा देने और ग्रामीण आर्थिकी में सुधार के लिए दूध गंगा योजना, मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना और भेड़पालक समृद्धि योजना आरम्भ की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सुदृढ़ विपणन अधोसंरचना उपलब्ध करवाने के लिए शिमला जिला के पराला में 100 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक फल एवं सब्जी मार्किंट स्थापित की जा रही है तथा100 करोड़ रुपये की लागत से ऐसा ही एक अन्य मार्किंट यार्ड ऊना जिले में भी स्थापित किया जा रहा है। इन मार्किंटों के स्थापित होने से किसानों और बागवानों को अपने उत्पाद के विपणन के लिए अन्य राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा और उन्हें उत्पाद के बेहतर मूल्य भी सुनिश्चित होंगे।

प्रो. धूमल ने कहा कि ग्रामीण युवाओं को गांव में ही स्वरोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध करवाने एवं आजीविका के लिए शहरों की ओर पलायन को रोकने के लिए कृषि विविधिकरण एवं पशुपालन योजनाओं के कार्यान्वयन की आवश्यकता है।

प्रो. धूमल ने केन्द्र सरकार की रिटेल पाॅलिसी में एफडीआई (सीधा विदेशी निवेश) का पूरी तरह विरोध करते हुए कहा कि इससे घरेलू बाजार में समस्याएं उत्पन्न होंगी और छोटा व्यापारी बुरी तरह प्रभावित होगा।

एग्रीकल्चर टुडे के मुख्य संपादक डा. एम.जे. खान ने पुरस्कार प्राप्त करने वालों को बधाई दी। उन्होंने प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन के प्रति आभार व्यक्त किया, जिनके नेतृत्व में पुरस्कार विजेताओं की सूची को अंतिम रूप देने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई।

प्रधान सचिव कृषि  पी. मित्रा, केन्द्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ, प्रगतिशील किसान, गैर सरकारी संगठन, मीडिया एवं कृषि क्षेत्र से जुड़े सामाजिक नेताओं ने कार्यक्रम में भाग लिया।

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