(25/09/2012) 
मोती लाल नेहरू के जन्म की 150वीं वर्षगांठ का स्मरणोत्सव
केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा मोती लाल नेहरू के जन्म की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आज दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया।

 राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे, जबकि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष  सोनिया गांधी इसमें मौजूद थीं। कार्यक्रम में रक्षा मंत्री  ए के एंटनी, वित्त मंत्री  पी चिदम्बरम, मानव संसाधन और विकास तथा संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री  कपिल सिब्बल, संस्कृति तथा आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्री कुमारी सैलजा तथा राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति के अध्यक्ष डॉ. कर्ण सिंह ने भी भाग लिया।

वित्त मंत्री  पी चिदम्बरम ने इस अवसर पर स्मृति सिक्का जारी किया। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री  कपिल सिब्बल द्वारा कार्यक्रम में एक समृति डाक टिकट भी जारी किया गया। राष्ट्रपति  प्रणब मुखर्जी ने कार्यक्रम में जारी किए गए सिक्कों और डाक टिकटों का प्रथम सेट प्राप्त किया।

राष्ट्रपति  प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में पंडित मोती लाल नेहरू की भूमिका का स्मरण किया। महान नेता को श्रंद्धाजलि देते हुए उन्होंने लोक लेखा समिति जैसे उपाय विकसित करने सहित उनकी कई उपलब्धियों का जिक्र किया। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष  सोनिया गांधी ने कहा कि पंडित मोती लाल नेहरू सांप्रदायिक सदभाव तथा धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्ध थे और उन्होंने हमेशा जाति, संप्रदाय तथा समुदाय से ऊपर उठकर काम किया। भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में उनके योगदान की चर्चा करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 1928 में आई नेहरू रिपोर्ट थी, जिसमें अन्य बातों के अलावा पंडित मोती लाल नेहरू ने देश में पुरूषों और महिलाओं के लिए समान अधिकारों की बात की थी।

संस्कृति मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि पंडित मोती लाल नेहरू अपने कठिन परिश्रम से अपने समय के सबसे धनाढ्य व्यक्तियों में से थे पर राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए उन्होंने अपने फलते-फूलते पेशेवर जीवन को त्याग दिया। उन्होंने कहा कि होमरूल, स्वराज पार्टी के गठन और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लौटने तक उनके राजनीतिक जीवन में कई पुनर्निर्धारित घोर परिश्रम के क्षण रहे। वे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहुत अहम मौकों पर दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष रहे।

रक्षा मंत्री  ए के एंटनी ने भी राष्ट्रीय आंदोलन में पंडित मोती लाल नेहरू के योगदान को याद किया।

भारत सरकार ने  मोती लाल नेहरू की 150वीं वर्षगांठ को मनाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में उचित स्मरणोत्सव के लिए नीति पर विचार तथा दिशा निर्देश तय करने और समय सीमा के बारे में फैसला करने के लिए एक राष्ट्रीय समिति बनाई गई। इस राष्ट्रीय समिति की एक बैठक 8 जून 2012 को हुई थी, जिसमें समिति के सदस्यों द्वारा स्मरणोत्सव के लिए कई सुझाव दिए गए थे। राष्ट्रीय समिति के सुझावों पर अमल के लिए डॉ. कर्ण सिंह की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति भी गठित की गई है।

राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति की पहली बैठक 6 अगस्त 2012 को नई दिल्?ली में हुई थी, जिसमें 8 जून 2012 के राष्ट्रीय समिति के सुझावों पर गौर किया गया। राष्ट्रीय क्रियान्वयन समिति ने स्वतंत्रता संग्राम के एक भीमकाय व्यक्तित्व और बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी  मोती लाल नेहरू के समुचित स्मरणोत्सव को सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रमों और योजना को मंजूरी दी है। 1928 के नेहरू रिपोर्ट का मसौदा तैयार करते हुए उन्होंने ही व्यस्क मताधिकार तथा सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों से युक्त लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशिला रखी थी। उनकी स्मति आयोजित करके हम उनके निस्स्वार्थ लोक जीवन की उनकी विरासत के प्रति भी अपने आप को फिर से समर्पित करते हैं। इसके लिए वर्ष 2012-13 के दौरान कई कार्यक्रम और परियोजनाएं आयोजित की जाएंगी, इनमें श्री मोती लाल नेहरू के चयनित कार्यों का डिजिटाइजेशन, नेहरू रिपोर्ट का पुनर्प्रकाशन, मोती लाल नेहरू और आधुनिक भारत के निर्माण पर विशेष व्याख्यान और सम्मेलन आयोजित करना तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मोती लाल नेहरू चेयर की स्थापना शामिल है। ये कार्यक्रम केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों/संस्थानों के सहयोग से क्रियान्वित किये जाएंगे।

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