(10/02/2016) 
कैसा हो वेलेंटाईन डे सेलिब्रेशन , जानिये सागर शर्मा के साथ
वेलेन्टाइन वीक शुरू हो चुका है । जहाँ तहाँ प्रेमी युगलों के जोड़े गुलाबों के साथ नज़र आने लगे हैं ।

यूँ तो वेलेंटाइन वीक ही नहीँ हर दिन गुलाब लिए युवा प्रेमी एक दूसरे के इंतजार मॆ यहाँ वहाँ दिख जाते हैं ! लेकिन क्या वास्तविकता मे प्यार और अहसास का समंदर उनके दिलों मॆ एक दूसरे के प्रति होता है? ऐसे ही कुछ सवालो के साथ आज़ समाचार वार्ता संवाददाता सागर शर्मा आपसे मुखातिब हो रहे हैं।

आमतौर पर प्रेमी युगल एक दूसरे के प्रति प्यार का इज़हार करते थकते नहीं हैं । लेकिन अमूमन ये भी देखने को मिलता है की हर वेलेन्टाइन पर कोई लड़का या लड़की अलग अलग लड़के या लड़की के साथ वेलेन्टाइन डे मनाता दिखता हैं मूल रूप से यह कहना कि प्यार का खुमार भी वेलेन्टाइन डे बीत जाने के चंद दिनों बाद उतर जाता है।

लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या गुलाब भेंट कर ही प्यार का इज़हार किया जाए या फिर गलबहियां करके ही आपसी प्रेम का अहसास जगाया जाए ? दरअसल आज के सिनेमा के युग में सब कुछ फ़िल्मी हो चला है। अहसास और मोहब्ब्त बस फ़िल्मी बातें रह गई हैं। जबकि होना ये चाहिए कि एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव अश्लील या देह वासना से ओतप्रोत न होकर दिल की भावनाओ से जुड़ा हो। आजकल देखने को मिलता है की सिनेमा, गार्डन, मॉल और अन्य जगहों पर युवा पीढी के लोग अश्लीलता की हदों को लांघते दिख जाते हैं!

किस करना, हग करना या और सेक्स के लिए एक दूसरे को मनाना आज़ की चाहत के पैमाने बन गये हैं ! लेकिन मेरा मानना है कि यह इश्क का सही चलन नहीँ है ! मैं इसे काम वासना की श्रेणी मॆ रखूंगा !

प्रेम का आसली आशय होता है एक दूसरे के प्रति समर्पण का भाव ,एक दूसरे की भावनाओं को महत्व देना और उसकी इच्छा के मुताबिक़ उससे व्यवहार करना ! बेशक वो किस की बात हो या आलिंगनरत होकर प्रेम की पींगे भरना ! प्रेम कोई पाप नहीँ होता लेकिन वासनायुक्त प्रेम जघन्य अपराध की एक प्रजाति मॆ शामिल होता है !

इसलिए एक दूसरे की भावनाओं का ख़याल रखें और वेलेंनटाइन डे पर मोहब्बत का अहसास करे और अपने वेलेंटाइन को भरपूर प्यार करें और जुड़े रहें समाचार वार्ता के साथ !

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