(10/02/2016) 
दो दिलों की दास्तान "हमारी अधूरी कहानी"
नमस्कार दोस्तों ! एक बार फ़िर हाज़िर हूँ आपका दोस्त सागर शर्मा लेकर समीर और संगीता की मर्मस्पर्शी प्रेम कहानी "हमारी अधूरी कहानी" जी हाँ आज फ़िर लेकर आया हूँ दो दिलो की एक मार्मिक कहानी ! पिछले अध्याय में हमने पढ़ा कि कैसे समीर और संगीता मिले ! कब और कैसे संगीता के दिल में समीर ने जगह बना ली और कैसे समीर का दिल संगीता के लिए धड़कने लगा ! आपको हमने बताया कि कैसे समीर ने रिश्तों को टूटते बिखरते देखा !आज उससे आगे की कहानी !

नेहरू प्लेस के पास लोटस टेम्पल में दोनो ने करीब आधा घंटा साथ बिताया ! ये आधा घंटा संगीता ने अमूमन कम बोल कर ही व्यतीत किया ! समीर को लगा शायद संगीता कम्फर्ट मेहसूस नहीँ कर रही है इसलिये बात नहीँ कर रही है ! समीर बार बार संगीता को बोलता संगीता बात करो ना !

संगीता कहती समीर तुम बोलो ना

बस यही करते करते पहली मुलाकात हुई ! दरअसल पहली बार दोनो असहज महसूस कर रहे थे कि क्या बात करें थोड़ी देर घर जाने के लिए दोनो ने ऑटो ले लिया ! समीर और संगीता नेहरू प्लेस से साकेत मेट्रो स्टेशन के लिए चल पड़े ! ऑटो में समीर ने संगीता को बाहों में भर लिया ! बस फ़िर क्या था संगीता भी समीर से लिपट गई !

दोनो बखूबी जानते थे चंद पलों का ये मिलन एक लंबे विरह में बदल जायेगा !संगीता रोये जा रही थी और बार बार समीर से अपना ख़याल रखने का वायदा लेने के सिवा उसे सूझ नहीँ रहा था ! समीर बस उसके आँसू पोंछता और सीने से लगा लेता !

संगीता समीर की बाहों में जैसे खुद को सिमटा कर उसकी होकर रह जाना चाहती थी ! उसको ये डर खाये जा रहा था कि जाने अब कब समीर की ये बाहों का घर मुझे मिलेगा ! समीर इस उधेड़ बुन में था कि संगीता को कैसे संभाले !इसी कश्मकश में साकेत आ गया और अब बस अलविदा कहने का वक़्त आ गया था !

संगीता ऑटो से उतर कर चली गई समीर उसे तब तक देखता रहा जब तक वो दिखाई देती रही ! फ़िर जब संगीता उसे दिखनी बंद हो गई तो समीर की आँखो में आँसू की बूँदें गिरने लगी वही बूँदें जो ऑटो में संगीता को देख कर कहीँ छुप गई थी ! खैर समीर अनमने मन से बस स्टेंड की तरफ़ बढा और घर के लिए बस पकड़ ली !

फ़िर वही सिलसिला शुरू हो गया ! घंटों एक दूसरे से बतियाते बतियाते कब सुबह से शाम हो जाये कब रात से सुबह उन्हे पता नहीँ चलता था ! संगीता के अलावा अगर कोई उसके करीब थी तो वो थी ममेरी बहन वैशाली जोकि हरियाणा के  सोनीपत की थी ! एक दिन समीर के फोन में संगीता का आई लव यू के मेसेज देख कर पूछ बैठी !

भईया संगीता कौन है ?

संगीता ............कौन संगीता ! घबराकर समीर ने  वही सवाल वैशाली से कर दिया !

वैशाली जोकि बहुत जिद्दी लेकिन समीर के बेहद करीब थी ने समीर को विवश कर दिया कि समीर उसे सब कुछ बताये ! समीर करता भी क्या एक वैशाली ही तो थी जिसके साथ अपनी चाहत के चर्चे कर सके ! कहते हैं एक आशिक को अगर अपनी मोहब्बत के चर्चे करने में किसी तरह से असहजता मेहसूस होती है तो वह ऐसे लोगों पर भरोसा करता है जो उसके बेहद क़रीब हों और विश्वनियता हो ! इसीलिये समीर ने अपनी बहन वैशाली को संगीता के बारे में सब कुछ कह डाला  कैसे वह संगीता के संपर्क में आया कैसे दोनो करीब आये ! वैशाली को सुनकर बहुत अच्छा लगा ! मानो उसे कोई ऐसी ख़ुशी मिल गई थी जिसकी उसे कबसे तलाश थी ! दरअसल वैशाली चाहती थी कि समीर की लाइफ में कोई ऐसी लड़की आये जो बहुत प्यार करे !

अब वैशाली जैसा कि हम बता चुके हैं कि बेहद जिद्दी किस्म की लड़की थी ने जिद पकड़ ली कि मुझे भाभी से बात करनी है !समीर ने उसे समझाया कि संगीता से पूछ कर बता दूँगा ! वैशाली बोली भईया मुझे अभी बात करनी हैं !

फ़िर उस रात समीर ने संगीता को बताया वैशाली बात करने को कह रही है ! संगीता ने कहा करवाओ मुझे भी करनी है ! चेट में संगीता और वैशाली बात करने लगी ! बहुत जल्दी दोनो एक दूसरी की बहुत अच्छी सहेली बन गई ! जब कभी समीर संगीता आपसे में लड़ाई करते तो वैशाली झगडा ख़त्म करवाती और दोनो को खरी खोटी सुनाती ! कई बार तो दोनो झगडा होने का नाटक करते कि वैशाली मनायेंगी तो मज़ा आयेगा ! बस तीनो मिलकर खूब मस्ती करते ! इस बीच कई बार समीर बीमार पड़ा तो संगीता की हालत बिगड़ जाती ! समीर उसे कहता कि "सुख दुख के हम साथी हैं ये वादा है जो कुछ है सब अपना आधा आधा है "! शायद यही बात तब तब सच हुई जब जब समीर को कोई तक़लीफ़ होतीं !

दिसम्बर का महीना था वैशाली बोली भईया बर्थडे पर क्या दोगे ? समीर ने कहा तूने स्कूटी की डिमांड की थी वो पूरी हो जायेगी ! वैशाली बोली नहीँ अब स्कूटी नहीँ चाहिये अब मुझे संगीता भाभी चाहिये !

समीर चुप हो गया ! क्या बोलता ! संगीता को मेसेज किया वैशाली से एक बार मिल लो ! संगीता ने कहा कुछ दिन बाद परीक्षा है ले आना मिलूंगी मै उससे !

अगले दिन समीर ने वैशाली की मनपसंद स्कूटी उसे दिलवा दी ! वैशाली खुश थी खुश होने की वज़ह स्कूटी थी ऐसा भी नहीँ था ! दरअसल 4 दिन बाद संगीता का पेपर था और समीर ने वैशाली से वायदा किया था मिलवाने का ! पर होनी को कुछ और ही मंजूर था ! वैशाली स्कूटी लेकर कॉलेज गयी ! जहाँ सहेलियों ने स्कूटी की पार्टी देने को कहा ! सबके साथ का पीकर जैसे ही वो केंटीन से निकली थोड़ी दूर जाने पर उसे एहसास हुआ कि कॉलेज के दो लड़के जो काफ़ी टाइम से उसके पीछे पड़े थे बाइक पर उसका पीछा कर रहे थे ! दोनो लड़के उसे डराने के लिए बाइक से उसे गिराने की कोशिश करते !  वैशाली घबरा गई और घबराहट में उसके हाथ कांपने लगे ! उसे कुछ सूझ नहीँ रहा था और इतने में बिजली के खंबे से आस पास के लोगों ने जोरदार टक्कर सुनी ! स्कूटी के परखचे उड़ चुके थे ! लोगों ने बाइक पर जिन दो लड़कों को भागते देखा उनकी तसदीक़ पास ही लगे सीसीटीवी केमरे ने भी कर दी थी ! दूसरी तरफ़ पास ही बनी पुलिस बीट पर महिला पुलिसकर्मी कुछ ही पलों में वैशाली के पास पहुँची ! वैशाली अचेत पड़ी थी ! सुमन नाम की इस पुलिसकर्मी ने पुलिसिया अंदाज़ से इतर व्यवहार करते हुए उसे उठाया और खुद ही पास के एक क्लिनिक के लिए दौड़ पड़ी ! लेकिन डॉक्टर ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए तुरंत ट्रॉमा सेंटर ले जाने को कहा ! तब तक एम्बुलेंस आ चुकी थी चंद पलों में वैशाली के पापा और समीर के मामा आ गये थे ! समीर को देर से ख़बर मिली !वैशाली को अति संवेदनशील वार्ड यानी सीसीयू में भर्ती करवा दिया गया ! जहाँ डॉक्टर उसकी जिंदगी बचाने के लिए पूरे तन मन से जुट गये ! अब तक समीर भी आ चुका था संगीता के घर रिश्ते वाले आये थे तो उसे ख़बर नहीँ मिली थी क्योंकि उसका फोन शायद स्विच ऑफ था ! बेहरहाल समीर की हालत वैशाली को देख बिगड़ गई ! ऑपरेशन के बाद भी खतरा टला नहीँ था ! समीर की जिद थी की जब तक उसे होश नहीँ आता वो बेड के पास बैठेगा और डॉक्टर को नहीँ जाने देगा ! समीर को काफ़ी समझाया गया कि बाहर बेठ जाओ ! लेकिन उसके मन की व्यथा शायद कोई भांप नहीँ सका ! खैर घंटों की जद्दोजेहद के बाद जब उसे होश नहीँ आयातो  डॉक्टर्स ने वैशाली को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (ऐम्स) रेफर कर दिया ! जल्दी जल्दी वैशाली को ऑक्सिजन लगा कर एम्बुलेंस में शिफ्ट कर दिया गया ! एम्बुलेंस के पहिए जैसे वैशाली की जीवन रेखा बन कर तीव्र गति से दौड़ना चाहते थे लेकिन हताश परेशान समीर जैसे मानसिक संतुलन खो चुका था ! नर्स से वैशाली को उसकी गोद में देने की विनती समीर ने की तो वो मना नहीँ कर पायी ! ऑक्सिजन पाइप लगी वैशाली अब समीर की बाहों में थी ! शायद भाई बहन का ये आलिंगन कुदरत को मंजूर नहीँ था और एक हल्का सा झटका और वो शांत हो गई ! उसकी नब्ज़ थम चुकी थी ! साँस रुकी चुकी थी ! नर्स को एहसास हो गया था कि अब वैशाली जा चुकी है !लेकिन समीर शायद ये मान लेने की स्तिथि में नहीँ था ! नर्स ने समीर से वैशाली को स्ट्रेचर पर लिटाने को कहा पर समीर ने उसे गोद में ही रखा ! उसके सिर की चोट उसे हमेशा के लिए जुदा कर चुकी थी !समीर की मानसिक हालत को देख कर ऐसा लग रहा था मानो वो पागल हो चुका है ! दुनियाँ से दूर जा चुकी वैशाली को वो बार बार झंझोड़ रहा था ! समीर बोले जा रहा था

बिटिया उठा जा देख बहुत देर हो गई है और रो पड़ता !

लेकिन कोई जवाब ना पा कर फ़िर रो पड़ता !वैशाली के खून से समीर के कपड़े और हाथ लाल हो चुके थे ! इधर संगीता को जैसे ही ख़बर मिली तो उसका दिमाग सुन्न पड़ गया ! एक तरफ़ रिश्तें वाली बात दूसरी तरफ़ वैशाली की ये हालत उसके लिए समीर से कुछ कह आसान नहीँ था ! एम्बुलेंस के पहिये मानो अब दम तोड़ चुके थे ! शायद वो जान चुके थे अब उनकी ये दौड़ बेमानी है ! संगीता रोती रही कहती रही मेरी बेस्ट फ्रेंड को कहाँ छोड़ आये तुम समीर !

तुमने अपना वायदा पूरा नहीँ किया समीर !
समीर क्या कहता बस चुप रहा !
समीर ने कहा संगीता वो मेरी गोद में तुम बोलो ना उठ जाये कब से जगा रहा हूँ मैं !

बस इतना कहते ही दोनो रो पड़ते ! पोस्टमार्टम के बाद वैशाली को उसके पापा के सुपुर्द कर दिया गया !कुछ ही घंटों में वैशाली चिता पर लेटी थी ! कांपते हाथों से उसे उसके पापा ने आग के हवाले कर दिया ! घंटों तक समीर उसे देखता रहा उसे याद आ रहा था कैसे वो समीर के लिए चाय बनाते वक़्त हाथ जला बैठी थी और कितना दर्द हुआ था उसे !सोचकर उसकी आँखो में आँसू निकल आये !

इधर समीर उधर संगीता दोनो को कितना दुख था शायद यहाँ शब्दों में बयान नहीँ किया जा सकता ! किसी की बेस्ट फ्रेंड किसी की बहन कम बेटी ज्यादा ! दोनो जैसे टूट चुके थे! समीर तो जैसे जीना नहीँ चाहता था !

आगे क्या हुआ कैसे समीर संगीता ने खुद को सँभाला ? किस तरह ये कहानी आगे बढ़ती है जानने के लिये पढ़ते रहीये "हमारी अधूरी कहानी "

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