(02/05/2013) 
संरक्षित वन्यजीव क्षेत्रों में लगातार बढ रहे मानवीय हस्तक्षेप
पर्यटकों के दवाब के कारण वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्रों के सीमावर्ती इलाकों में वन्यजीवों द्वारा की जा रही हिंसक वारदातों में भारी इजाफा हो रहा है।

लगातार बढ रहे पर्यटकों के दवाब सहित पर्यावरण व ध्वनि प्रदूषण का वन्यजीवों खासकर बाघों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है। जिसके चलते वन्यजीवों के व्यवहार में व्यापक परिवर्तन हो रहा है तथा बाघों सहित भारी संख्या में वन्यजीव हिंसक प्रवृत्ति अपना रहे हैं।
कार्बेट टाईगर रिजर्व सहित राज्य भर में बाघ सहित भारी संख्या में वन्यजीवों की मौजूदगी के चलते साल दर साल जैसे-जैसे यहां पर सैलानियों की संख्या के साथ ही वन्यजीवों के प्राकृतावासों में मानवीय हस्तक्षेप बढ रहा है, वैसे-वैसे ही वन्यजीवों द्वारा की जा रही हिंसक घटनाओं में भी लगातार बृद्धि हो रही है।
एनीमल केयर सोसायटी द्वारा एकत्र आंकडों के मुताबिक राज्य के गठन से लेकर अब तक यहां पर वन्यजीवों के हमलों में 323 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा, जिनमें गुलदार के हमलों में सर्वाधिक 202 लोग मारे गए। हाथियों ने 93 लोगों की जान ली। 13 लोगों की भालूओं व 2 की जान सूअरों के हमलों में गई तथा बाघ के हमलों में 13 लोगों ने अपनी जान गंवाई। इस दौरान वन्यजीवों के हमलों में 1060 लोग घायल हुए, जिनमें लगभग 900 लोग गुलदार व भालू के हमलों में घायल हुए।
दूसरी ओर वन्यजीवों की मौत के आंकडें भी कम चैंकाने वाले नही हैं; राज्य गठन से अब तक 62 बाघ, 517 गुलदार तथा 185 हाथी अपनी जान गंवा चुके हैं; इनमें 24 हाथी, 34 गुलदार तथा 4 बाघ शिकारियों के हाथों मारे गए, जबकि 11 बाघ 152 गुलदार व 76 हाथी विभिन्न दुघर्टनाओं के शिकार हुए।
बीते 12 वर्ष  के परिदृशय पर नजर डाली जाये तो एक ओर जहां हाथी, बाघ व गुलदार आदि के हमलों में 323 लोगों की जान गई, वहीं इसके विपरीत 764 वन्यजीव भी मौत का शिकार हुए हैं।
वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत् स्वयंसेवी संगठन वाइल्डलाईफ वैलफेयर फाउण्डेशन ;डब्लूडब्लूएफद्ध के महासचिव एच0 एस0 सिसौदिया का कहना है कि प्र्यटन के लगातार बढ रहे दवाब के चलते सरकार द्वारा बाघों के संरक्षण पर प्रतिवर्ष  करोडों रूप्या खर्च किए जाने के बावजूद बाघों की संख्या में अपेक्षित बृद्धि नही हो रही है।
वे कहते हैं कि कार्बेट टाईगर रिजर्व का पूरी तरह व्यवसायीकरण कर दिए जाने से लगातार बढ रही पर्यटकों की आवाजाही से वन्यजीवों के व्यवहार में दिन प्रतिदिन परिवर्तन हो रहा है।
इसके अलावा उन्होने कहा कि जंगलों के अंदर होने वाले शोर शराबे सहित जंगलों के आसपास बने होटलों व रिर्सोटों से निकलने वाले धुंए तथा पर्यावरण प्रदूषण का भी बाघों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है। उन्होने बाघों के स्वास्थ्य के मद्देनजर कार्बेट टाईगर रिजर्व के आसपास ने होटलों, रिर्सोटों तथा टेंटों आदि को तत्काल हटाए जाने की आवशयकता पर बल दिया।
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