(13/04/2016) 
लातूर की चिंता करने से पहले बेहतर होगा मुख्यमंत्री दिल्ली के लिये समर एक्शन प्लाॅन पर काम करें
नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पानी एवं मानवता की दुहाई के नाम पर की जा रही गंदी राजनीति की भत्र्सना की है।

उपाध्याय ने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि जिस प्रकार दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली की समस्याओं को छोड़ देश-विदेश के किसी भी मुद्दे को लेकर राजनीतिक ब्यानबाजी करते हैं उसे देखकर दुख होता है कि आखिर कहां तक मुख्यमंत्री केजरीवाल राजनीति के स्तर को गिरायेंगे। उन्होंने कहा कि लातूर की चिंता करने से पहले बेहतर होगा मुख्यमंत्री दिल्ली के लिये समर एक्शन प्लाॅन पर काम करें। इस वार्ता में प्रदेश महामंत्री आशीष सूद एवं मीडिया प्रभारी प्रवीण शंकर कपूर भी उपस्थित थे।
उपाध्याय ने कहा है कि दिल्ली में गर्मियों में लगभग जरूरत से 30 प्रतिशत कम पानी उपलब्ध होता है, उसके बावजूद पहले पंजाब में अपनी पार्टी की राजनीति चमकाने के लिये मुख्यमंत्री केजरीवाल ने हरियाणा के पानी की कटौती का समर्थन कर दिल्ली को हरियाणा से मिलने वाले पानी के हितों की उपेक्षा की।
मुनक नहर से मात्र 4 दिन के लिये पानी बंद हुआ था तो दिल्ली 15 दिन तक पानी के लिये तड़पी थी पर दिल्ली के लिये आज तक मुख्यमंत्री केजरीवाल को बिजली-पानी का समर एक्शन प्लाॅन बनाने की फुर्सत नहीं। अब सिर्फ घडि़याली आंसू बहाते हुये राजनीतिक उद्देश्य से प्रधानमंत्री को लातूर के लिये दिल्ली से पानी देने का एक प्रस्ताव रख दिया। उपाध्याय ने कहा है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल की एक आदत है कि जो काम केन्द्र करता है तो मुख्यमंत्री उससे एक कदम आगे जाकर राजनीति करने का प्रयास करते हैं। गत सप्ताह केन्द्र सरकार ने महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिये ट्रेन से पानी भेजा तो अपनी ओछी आदतों के शिकार मुख्यमंत्री ने तुरंत यह नया शगूफा ढूंढ लिया कि मैं दिल्ली से लातूर महाराष्ट्र के लिये पानी भेजना चाहता हूं, आप रेलगाड़ी दिलवा दो। 
उपाध्याय ने कहा है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल लगातार दिल्ली की जनता के विकास के पैसे से देश भर सहित पंजाब एवं महाराष्ट्र में विज्ञापनबाजी कर अपने राजनैतिक विस्तार के लिये लगे रहते हैं और यह कहना गलत नहीं होगा कि बिना विभाग या काम वाले देश के किसी प्रदेश के वह एकमात्र मुख्यमंत्री हैं जो अब अपने प्रान्त की जनता के लिये एक राजनीतिक बोझ बन गये हैं।
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