(21/04/2016) 
उत्तराखंड: राष्ट्रपति शासन रद्द, 29 अप्रैल को सदन में होगा बहुमत परीक्षण
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य ने अहम फैसला लेते हुए राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार को बहाल करने के साथ ही 29 अप्रैल तक हरीश रावत को बहुमत साबित करने को कहा है। साथ ही हाईकोर्ट ने बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की भी बात कही है। कोर्ट के आदेश के तहत अब कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होनी है। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए हरीश रावत ने कहा, उत्तराखंड उच्च न्यायालय का फैसला उत्तराखंड के लोगों की जीत है।

वहीं राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के बाद कांग्रेस की नेता और हरीश रावत सरकार में राज्य की वित्तमंत्री रही इंदिरा हृदयेश ने कहा है कि ये लोकतंत्र की सच्ची जीत है. हृयदेश ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि कांग्रेस के पास बहुमत है. उन्होंने इसे न्याय की जीत बताया है. उन्होंने इस फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताया है. उन्होंने इसे जनता की जीत और निर्वाचित प्रतिनिधियों की जीत बताया है. वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि वह नैनीताल हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।

आपको बता दें कि इससे पहले 27 मार्च को केंद्र सरकार की सिफारिश पर राज्य में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दी गई थी।

नैनीताल हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब 29 अप्रैल को कांग्रेस की अग्नि परीक्षा होगी. 29 अप्रैल को कांग्रेस को अपनी सरकार बचाने के लिए बहुमत साबित करना पड़ेगा. वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि इससे केंद्र में आसीन मोदी सरकार जबरदस्त झटका लगा है।

उधर हाइकोर्ट के इस फैसले के बाद से हरीश रावत के घर में जश्न का माहौल बन गया, उनके समर्थकों में उत्साह की लहर दौड़ गयी, उधर हरीश रावत ने कहा कि अंततः सत्य की विजय हुई, हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, हाइकोर्ट के इस फैसले के बाद से जहां कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल हैं वहीं भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बीजेपी के प्रवक्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं।

उधर कल उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाइकोर्ट ने आज कहा कि राष्ट्रपति भी गलती कर सकते हैं और वे कोई राष्ट्रपति शासन का निर्णय किसी राजा का निर्णय नहीं है कि उसकी समीक्षा नहीं हो सकती है. हाइकोर्ट की बेंच ने कहा कि अगर राष्ट्रपति के फैसले गलत हो सकते हैं तो हर विषय की न्यायिक समीक्षा हो सकती है. अदालत ने कहा कि हम राष्ट्रपति के विवेक व बुद्धिमत्ता पर संदेह नहीं कर रहे हैं, लेकिन सबकुछ न्यायिक समीक्षा के तहत आता है. यह टिप्पणी नैनीताल हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने की है।
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