(22/04/2016) 
पानी न मिलने पर प्यास की वजह से हाथी के बच्चे की हुई मौत
घाटशिला। सूखे की मार इंसानो को ही नहीं बल्कि पशुओं को भी झेलनी पड़ रही है, पानी की कमी की वजह से जन जीवन इतना अस्त व्यस्त हुआ है की अब जानवर भी तड़प तड़प कर मरने के लिए मजबूर हो गए है। पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला में गुरुवार को झारखंड-बंगाल सीमा के चेकाम पहाड़ पर डेढ़ माह के हाथी के बच्चे की पानी के बिना लू लगने से मौत हो गई।

बच्चे के तड़पने के दौरान हाथियों के झुंड ने कई घंटों तक उसे चारों ओर से घेरे रखा, इस दौरान वे काफी चिंघाड़ भी रहे थे। जब उन्हें लगा कि बच्चा जीवित नहीं है तो वे उसे छोडक़र चले गए। घटना की जानकारी पर फोरेस्टर पवन सिंह, पशु चिकित्सा पदाधिकारी शंकर सिंह पूरे दल-बल के साथ चेकाम पहाड़ पर पहुंचे और जांच के बाद वही दफना दिया। घाटशिला क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही है। इससे नदी-नाला की कौन कहे कुएं व चापाकल भी सूख गए हैं।
एक सप्ताह से 30 से 35 हाथियों का दल पानी की तालाश में जंगल की खाक छान रहा था। बुधवार सुबह हाथियों का झुंड आखिरी पड़ाव चेकाम डैम पानी पीने पहुंचा, लेकिन डैम सूखने के कारण वहां भी पानी नहीं मिला। चेकाम पहाड़ के तीन सौ फुट ऊपर पहुंचने के बाद बच्चा पानी के बगैर लू लगने से तड़प-तड़प कर मर गया।
बच्चे को तड़पते देख हाथियों का झुंड जोर-जोर से चिंघाडऩे लगा। हाथियों की आवाज समीप के गांवों तक पहुंच रही थी। जब बच्चा मर गया तो हाथियों का झुंड वहां से आगे बढ़ गया। जब गुरुवार सुबह ग्रामीण पहाड़ पर पहुंचे तो बच्चा मरा पड़ा था।  इसकी जानकारी वन विभाग को दी गई। इस संबंध में पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शंकर सिंह ने कहा कि पानी जितना मनुष्य के लिए जरूरी है, उतना जानवरों के लिए भी। नदी-नालों के सूखने के कारण हाथियों को कहीं पानी नहीं मिल पा रहा है। वे कई दिनों से प्यासे होंगे। तेज धूप होने और शरीर में पानी नहीं होने से लू से बच्चे की मौत हो गई।वन विभाग के फोरेस्टर पवन सिंह ने कहा कि हाथी की मौत पानी के कारण हो सकती है।
क्षेत्र में जितने भी स्थान पर हाथी या अन्य जानवर पानी पीते हैं, वहां पानी नहीं है। हाथियों का झुंड कुछ ही दिन पहले चेकाम की ओर कूच किया था। अगले साल से जानवरों की लिए पानी की समुचित व्यवस्था वन विभाग करेगा।गुरुवार की सुबह कुछ लोग हाथी के बच्चे का आधा सूंड काटकर ले भागे। बताया जाता है कि इससे दवाइयां बबनती है। हाथी डेढ़ माह का ही था, इसलिए उसके दांत नहीं थे।
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