(23/04/2016) 
पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में 180 देशो में से 133 वे स्थान पर भारत
देश भर में पत्रकारों पर हो रहे हमलों के बाबजूद उनकी सुरक्षा को लेकर भारत पिछड़ता जा रहा है, भारत को ताजा वार्षिक विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों में 133 वां स्थान मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों को खतरे के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'उदासीन' लगते हैं।

वर्ष 2016 का 'विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक' रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने जारी किया है। फिनलैंड को इस सूचकांक में लगातार छठे साल शीर्ष स्थान पर रखा गया है। उसके बाद नीदरलैंड और नॉर्वे की बारी आती है।  भारत ने तीन स्थान का छलांग लगाया है। 2015 में वह 136 वें स्थान पर था। रिपोर्ट में कहा गया है, "पत्रकारों और ब्लॉगरों पर हमला किया जाता है और विभिन्न धार्मिक समूह जो नाराज हो जाते हैं उनका भी कोपभाजन बनना पड़ता है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर जैसे क्षेत्रों में कवर करना पत्रकारों के लिए कठिन है क्योंकि सरकार उस क्षेत्र को संवेदनशील मानती है। रिपोर्ट में कहा गया है, प्रधानमंत्री इन खतरों और समस्याओं के प्रति उदासीन लगते हैं और पत्रकारों की रक्षा करने के लिए कोई तंत्र नहीं है।" रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है, "इसकी बजाय मीडिया कवरेज पर नियंत्रण बढ़ाने की इच्छा से मोदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय खोलने पर विचार कर रहे हैं, जिसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पूर्व अधिकारी चलाएंगे।" भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान को 147 वें, श्रीलंका को 141 वें, बांग्लादेश को 144 वें, नेपाल को 105 वें और भूटान को 94 वें स्थान पर रखा गया है। चीन को 176 वें स्थान पर है।  अमेरिका को 44 वें स्थान पर रखा गया है जबकि रूस को 148 वें स्थान पर रखा गया है।  रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि वैश्विक और क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर मीडिया स्वतंत्रता में काफी गिरावट आई है।
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