(30/04/2016)
दोस्तो एक बार फिर हाज़िर हूँ मैं आपका दोस्त सागर शर्मा "हमारी अधूरी कहानी" का अगला भाग लेकर
दोस्तों "हमारी अधूरी कहानी " एक ऐसी प्रेम कहानी जिसमे प्यार, अहसास और दर्द भरपूर रूप से आपको मिलेगा । साथ ही ये कहानी आपको अलग अलग बातो से खुद से सबंधित भी लगी होगी। कई जगह आपने महसूस किया होगा कि शायद कभी ना कभी आपके जीवन में भी भी ऐसा हुआ होगा। दोस्तों मैं सागर शर्मा आपके सामने लेकर आया हूँ कहानी का अगला भाग जिसमे आप पाएंगे कि कैसे समीर और संगीता टूट कर, बिखर कर जी रहे थे लेकिन फिर भी दोनों ने एक दूसरे का हाथ थामे रखा। उधर अवंतिका जोकि दोनों के बीच की हकीकत जान चुकी थी। वह इस कशमश में थी कि समीर से बात करे या ना करे। खैर उसने फैसला किया कि वह समीर से बात जारी रखेगी और एक दिन अवंतिका ने ये बात समीर से कह दी। समीर खुश हुआ की उसे एक बार फिर अवंतिका के रूप में वैशाली मिल गई। बस फिर क्या था अवंतिका दिन रोज़ संगीता समीर की बातें करती रहती। उधर संगीता इस सब से बेखबर थी। समीर सोचता कि क्या संगीता को अवंतिका के हकीकत जान लेने की बात ना बता कर धोखा कर रहा है? उसे खुद पर गुस्सा भी आता कि की संगीता को धोखा क्यों दे रहा है? यही बात समीर ने अवंतिका से कही। अवंतिका ने समीर को समझाया की कोई धोखा नहीं है भैया। बहन हूँ आपकी । दिन बीतते गए। महीनो में बदल गए, सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, लेकिन एक दिन संगीता की माँ ने उसे बताया कि कल लड़के वाले आ रहे हैं। अच्छा घर परिवार है, रिश्ता हो जाए तो बहुत सुखी रहोगी। संगीता ने सुनकर कोई जवाब नहीं दिया लेकिन उसके पैरो तले ज़मीन खिसक गई. उसने समीर को कुछ नहीं बताया। अगले दिन लड़के वाले आये और संगीता को पसंद कर गए। रिश्ता पक्का हो गया था, समीर इस सब से अंजान था । उधर संगीता समीर से बताने की हालत में नहीं थी, बताए भी तो कैसे और क्या बताए। पूरा दिन बीत गया, समीर की तबियत उन दिनों खराब चल रही थी, संगीता ने खाना खाते खाते समीर से कहा आज लड़के वाले आए थे और रिश्ता हो गया है। अगले हफ्ते सगाई होगी। ये सुनकर समीर को एक झटका सा लगा। समीर चुप था कुछ बोल नहीं पा रहा था। वैशाली की दर्दनाक मौत की घटना ने जहां दोनों को तोड़ कर रख दिया वहीँ संगीता के कहीं और असामयिक रिश्ते हो जाने कि वजह से दोनों को भी करारा झटका लगा। इधर रिश्ते होने के बाद सगाई की तैयारी का दौर शुरू हो चुका था। सभी परिवार वाले फूले नहीं समा रहे थे कि इतने बड़े और अच्छे घर रिश्ता हुआ है। लेकिन संगीता कहती कि मेरे लिए ये कोई ख़ुशी की बात नहीं है। उधर सगाई का दिन पास आ गया और समीर पर मानसिक अवसाद हावी होता जा रहा था। अवसादग्रषित समीर हरिद्वार पहुँच गया क्योकि उससे किसी ने कहा कि गंगा स्नान करने से मानसिक शांति मिलती है। इधर जिस दिन संगीता के घर में सगाई का माहौल था ठीक उसी समय समीर गंगा किनारे संगीता के लिए अच्छे जीवन की कामना गंगा माँ से कर रहा था। समीर ने कुछ इस तरह से गंगा में से संगीता के लिए प्रार्थना कि जिसे उसने कागज़ पर उतार लिया : तुझे महफिल मिली मुझे तन्हाई । रोया मेरा दिल जब बजी शहनाई । तू सदा सुखी रहे मैंने ये अर्ज माँ गँगा मे आज लगाई । तेरी सूरत देख माँ गँगा मे आज आँख मेरी भर आयी ॥ अश्क आँखों मे लेकर मैं उतरा आज माँ गँगा की गोद मे । जब हुई तेरी गोद भराई ॥ तूझे मिला सपनों का राजकुमार मैंने माँ गँगा मे डुबकी लगाई । रोज़ रोज़ का लड़ना झगड़ना, रोज़ रोज़ का प्यार हर डुबकी पर मुझे याद हो आई ॥ नसीब का खोट था सारा जो आज हुई तू पराई । माँ गँगा से विनती मैंने फ़िर दोहराई सलामत रहे तू सदा । तूही तो मेरे दिल मे समाई ।। तेरी ख़ुशी के लिये मैंने आज अपने सपनों की भेंट चढ़ाई। तू मायूस ना होना कभी जिन्दगी मे । मत सोचना मैंने तुझसे कभी दूरी है बनाई ॥ मेरे आँसूओं से गँगा माँ भी उफ़नती आई । आ ना जाये सैलाब, इसलिये फ़िर से एक डुबकी माँ गँगा मे लगाई । संगीता तेरी परछाई मुझे हर डुबकी पर नज़र आई ॥ दिल मेरा करता है बार बार ये अरदास हे माँ गंगे तू सलामत रखना मेरे यार को । उसकी दुनियाँ अब सजने को आई तुझे महफिल मिली मुझे तन्हाई । रोया मेरा दिल जब बजी शहनाई ॥ उधर सगाई हो चुकी थी। संगीता के हाथ में किसी के नाम की महंदी रच गई थी। किसी के हाथ से कंगन पहना दिए गए। किसी ने उसकी ऊँगली में अंगूठी पहनी दी । समीर की ऊजड़ दुनिया अब वीरान हो चली थी। अब समीर को केवल अन्धेरा ही अन्धेरा दिखाई दे रहा था । समीर दिन प्रतिदिन अवसाद में पागल होता जा रहा था । लेकिन दूसरी तरफ संगीता का रिश्ता समीर से लगभग टूटने की कगार था। समीर ने आत्महत्या के प्रयास में गंगा नदी में छलांग लगाईं लेकिन गोताखोर ने उसे बचा लिया। इस सब से अंजान संगीता रिश्ते की अंगूठी फ़ोन पर समीर को दिखाने लगी जिसे देखकर समीर को गुस्सा आ गया। और उस पर चिल्लाया मुझे क्यों दिखा रही हो ? उधर वरुण नाम का वह लड़का जिम ट्रेनर था जिससे संगीता का रिश्ता हुआ । धीरे धीरे संगीता और वरुण में बातचीत शुरू हो गई और दोनों ने अपनी अपनी मानसिकता एक दुसरे के सामने रखी। मसलन क्या पसंद है क्या ना पसंद। इसी बीच वरुण ने पूछा कि तुम मांसाहारी खाना बनाना जानती हो? संगीता बोली हम शुध्द शाकाहारी भोजन करते हैं । वरुण ने उसे बताया कि बनाना सीख लो। कुछ ऐसी ही बातों ने दोनों के बीच अलगाव की स्तिथि पैदा कर दी और दोनों ने एक दूसरे को खुद के लिए अनुकूल नहीं समझा। दोनों ने रिश्ता नहीं रखने की बात अपने अपने घरवालों से कह दी। आखिरकार दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से रिश्ता तोड़ लेने में ही भलाई समझी। लेकिन उसी समय संगीता जोकि रिश्ता टूटने के कारण अपने घरवालों के निशाने पर आ गई थी क्योकि उसकी माँ ये सोचती थी की संगीता को वह लड़का पसंद नहीं था और उस रिश्ते को उसकी माँ बहुत सटीक मान बैठी थी । मसलन काफी दिन तक संगीता के घर में मानसिक तनाव बना रहा। सगाई होने के बाद रिश्ता टूटना आमतौर पर अच्छा नहीं माना जाता। खैर अब समीर संगीता से दूरी बनाना चाहता था। उधर रिश्ता टूटने की खबर अवंतिका को लगी। उसने समीर और संगीता की प्रेम कहानी अपनी मम्मी को सुना दी और साथ ही बताया कि भइया ने किसी ने नहीं बताने की कसम दी है। अवंतिका ने अपनी मम्मी से कहा की मां किसी से कहना मत। उसकी माँ ने भी उसे समझाया कि मैं किसी से नहीं कहूँगी । संगीता और समीर बात करते थे लेकिन समीर अब मानसिक रूप से संगीता से दूर को चुका था लेकिन संगीता के रिश्ते टूटने से संगीता को मानसिक रूप से परेशानी न हो इसलिए उसे समझाता भी था। संगीता अब फिर से समीर के करीब आना चाहती थी लेकिन समीर अब लगभग ऐसे हालात में था कि उसके लिए ये आसान नहीं थी। कुछ ही दिन बीते होंगे कि अवंतिका की माँ और संगीता की माँ जोकि सगी बहने थी अपने भाई के घर मिली और अवंतिका की माँ ने संगीता की माँ को समीर और संगीता के प्यार के बारे में बता दिया। अंवतिका से किया वायदा शायद उन्हें याद नहीं रहा और उन्होंने अपनी बड़ी बहन और संगीता की माँ से सारी बात कह डाली। क्या संगीता की माँ ने समीर को रिश्ते के रूप में मंज़ूर किया ? क्या अब संगीता के लिए कोई मुश्किल आने वाली थी ? आखिर क्या हुआ इस प्रेम कहानी में आगे ? क्या दोनों बहनो ने इस प्रेम कहानी में कोई सकारात्मक भूमिका निभाई ? जानने के लिए जुड़े रहिए समाचार वार्ता के साथ और इंतज़ार कीजिए "हमारी अधूरी कहानी " के अगले भाग का। |
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