(04/08/2016) 
दिल्ली भाजपा नेताओं ने कहा केजरीवाल या तो संवैधानिक दायरे में काम करें या इस्तीफा दें
नई दिल्ली, 4 अगस्त। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने आज विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता, भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री सरदार आर पी सिंह, सांसद मीनाक्षी लेखी एवं मनोज तिवारी के साथ एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये कहा कि आज का दिन दिल्ली की जनता के हित में एक स्वर्णिम दिन बना है क्योंकि आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने विगत डेढ़ वर्ष से दिल्ली में चल रही प्रशासकीय अराजकता पर विराम लगा दिया है।

 सतीश उपाध्याय ने कहा कि भाजपा उम्मीद लगाती है कि अरविन्द केजरीवाल सरकार या तो इस निर्णय को स्वीकार कर दिल्ली में एक स्वस्थ्य प्रशासन देने की ओर ध्यान देगी या फिर इस्तीफा देकर दिल्ली की जनता को अपने भविष्य का निर्णय लेने के लिए मौका देगी।  उन्होंने कहा कि आज के इस निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को विपासना की नहीं संविधान का 10 दिन क्रैस कोर्स करने की आवश्यकता है।

भाजपा नेताओं ने कहा कि आज के निर्णय में दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश है जहां उपराज्यपाल की पूर्व स्वीकृति के बिना निर्णय नहीं लिये जा सकते और इसी के साथ दिल्ली सरकार की एन्टी करपशन ब्यूरा के राजनीतिकरण के प्रयासों पर भी उच्च न्यायालय ने विराम लगा दिया है।  दिल्ली सरकार की हर विषय पर न्यायिक कमीशन बना राजनीति करने की चेष्टा को भी आज के इस उच्च न्यायालय के निर्णय ने असंवैधानिक करार दे कर यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासकीय व्यवस्था संवीधान के दायरे में चलती है तुगलकी मनमानी से नहीं।  उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में अनेक बार ऐसे मौके आये हैं जब महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री पदों पर अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं से आये महानुभव सुशोभित हुये पर सभी ने राष्ट्रहित में सामंजस्य बनाकर कार्य किया और वर्तमान में भी ऐसी ही परिस्थिति है पर कहीं कोई टकराव नहीं है। 

विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि आज के दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय ने केजरीवाल सरकार द्वारा अधिकारों की लड़ाई को लेकर जो अराजक स्थिति पैदा की उसके चलते देश का संघीय ढांचा तक विवादों से घिर गया था।  हम उम्मीद लगाते हैं कि आज के फैसले के बाद केजरीवाल सरकार यह स्वीकार करेगी कि वह केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली की प्रशासकीय व्यवस्था का भाग है और सही मायने में केन्द्र शासित राष्ट्रीय राजधानी ही दिल्ली की जनता और दिल्ली के विकास के हित में है।  अतः दिल्ली में जो भी चुनी हुई सरकार हो उसे केन्द्र के साथ सहयोग को मजबूत कर दिल्ली की विकास यात्रा को सुनिश्चित रखना चाहिए।  उन्होंने कहा कि यह खेद का विषय है कि जहां एक ओर केजरीवाल सरकार ने संघीय व्यवस्था पर कुठाराघात किये वहीं दिल्ली विधानसभा को भी एक हास्य केन्द्र में बदल दिया जिसके चलते विधानसभा में पारित प्रस्ताव संविधान की परिधि पर फेल हो गये।  

उन्होंने कहा कि केजरीवाल को आज के फैसले को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए, इसे मूंछ की लड़ाई न बनायें और इसे दिल्ली के विकास पर ध्यान देने के एक नये मौके के रूप में देखें।  उन्होंने 1997 एवं उसके बाद केन्द्र एवं दिल्ली सरकारों के परस्पर सहयोग से दिल्ली मेट्रो के विस्तार का उदाहरण देते हुये कहा कि स्वस्थ्य सहयोग दिल्ली को निरंतर विकास दे सकता है। 

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सरकार को जनता की सेवा की बजाय अधिकारों की लड़ाई का विषय बनाया और प्रशासन व्यवस्था के हर मुद्दे को न्यायालय के समक्ष ले गये।  उन्होंने कहा कि आज का दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्णय विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस फैसले ने एक संवैधानिक विषय पर अपना निर्णय दिया है।  संविधान की धारा 239 जिसके द्वारा दिल्ली एक केन्द्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित है उस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज किसी भी प्रकार की बहस की गुंजाइश का अंत कर दिया है।  केजरीवाल सरकार ने इस धारा को चुनौती दी थी और न्यायिक विशलेषण के बाद अब यह स्थापित हो गया कि दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश है और इसी के साथ यह भी अब कानून सम्मत हो गया है कि दिल्ली में उपराज्यपाल के नाम पर सरकार कार्य करती है और दिल्ली में जो सरकार चुनी जाती है उसे उपराज्यपाल के मार्गदर्शन एवं उनको सहयोग कर प्रशासन चलाना होता है।  हम उम्मीद करते हैं कि केजरीवाल सरकार अब एक स्वस्थ्य निर्णय लेगी और इस पर उच्चतम न्यायालय में अपील करने की जगह दिल्ली की जनता की सेवा पर ध्यान देगी।

उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने संविधान व्यवस्थाओं को कमजोर करने के लिए दिल्ली की जनता के पैसे का दुरूपयोग किया और हमारी जानकारी है कि अधिकारों की इस अहंकारी लड़ाई पर केजरीवाल सरकार ने जनता का करोड़ों रूप्या निजी वकीलों की फीस के नाम पर बहा दिया। लेखी ने कहा कि भारत के संविधान में सरकार एवं प्रशासन में विराजमान व्यक्तियों के कार्यक्षेत्र निश्चित हैं।  अगर उनका पालन किया जाये तो कहीं कोई टकराव नहीं होगा।  देश में पद नहीं संविधान सर्वोपरि है। 

मनोज तिवारी ने कहा कि निःसंदेह आज संविधान व्यवस्था विजय दिवस है।  कल रात संसद में जी.एस.टी. बिल का पास होना और आज आया यह फैसला राजनीतिक दलों के लिए संदेश है कि वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश एवं दिल्ली के विकास के लिए कार्य करें।

सरदार आर पी सिंह ने कहा कि आज के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का दिल्ली के नागरिक स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि भगवान केजरीवाल सरकार को सदबुद्धि दें कि वह टकराव की राजनीति से बाहर निकल, विकास पर ध्यान देंगे।  
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