(04/08/2016) 
सभी को सामाजिक सुरक्षा
एक खेतिहर मजदूर पी श्रीनिवास राव आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में उल्लीपलेम ग्राम में रहता है। गरीब दिहाड़ी मजदूर होने और उसके नाम पर कोई भी संपत्ति ना होने के कारण उसके लिए अपने परिवार के वास्ते दो वक्त की रोटी जुटाना खासा मुश्किल हो जाता था।

 श्रीनिवास ने कभी बैंक में खाता खुलवाने के बारे में नहीं सोचा थालेकिन जब सप्तगिरी ग्रामीण बैंक ने उसे बैंक खाते के फायदों के बारे में बताया तो आखिरकार उसने मार्च2015 में अपना खाता खुलवा ही लिया। बैंक द्वारा थोड़ा और समझाने के बाद उसने केंद्र सरकार की जीवन बीमा योजना प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) भी ले ली और उसके लिए जुलाई2015 में 330 रुपये प्रीमियम का भुगतान किया। अगस्त2015 में अचानक उसे दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई। उसके पीछे परिवार में उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे रह गए। उसकी पत्नी पीएमजेजेबीवाई के माध्यम से पति द्वारा ली गई बीमा सुरक्षा के बारे में जानती थी।

 

उसने आर्थिक सहायता के लिए बैंक से संपर्क किया। बैंक अधिकारियों का व्यवहार खासा सहयोगपूर्ण था और उन्होंने उसे बीमा कंपनी में मृत्यु दावा जमा करने में सहयोग कियाजिसका निबटारा नामित व्यक्ति के पक्ष में हो गया जो श्रीनिवास की पत्नी ही थी। दावे की रकम के तौर पर दो लाख रुपये उसकी पत्नी के बचत बैंक खाते में नवंबर2015 में आ गए।

 

बैंक और पीएमजेजेबीवाई से मिले त्वरित सहयोग से पीड़ित के परिवार को आर्थिक सहायता मिलीजिसकी उन्हें खासी जरूरत थी और इससे बच्चों की पढ़ाई जारी रखने में मदद मिली। हम पीएमजेजेबीवाई नहीं लेने वाले मृतक के परिवारों की दुर्दशा की कल्पना कर सकते हैं। यह इस बात का उदाहरण है, जहां ऐसे परिवार जिसके पास कोई संपत्ति नहीं हो और कोई निश्चित आय नहीं होको इस योजना से खासा फायदा हो सकता है। केंद्र सरकार की इस तरह की कई अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का उद्देश्य आम आदमी को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना और जीवन में अचानक उत्पन्न होने वाले ऐसे हालात का सामना करने में सक्षम बनाना है।

 

हमने खासी आर्थिक प्रगति की हैलेकिन भारत का समाज अभी तक असुरक्षित है। समाज का एक बड़ा तबका बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के जिंदगी बिता रहा है या एक असुरक्षित जीवन जी रहा है। किसी मुश्किल हालातजैसे दुर्घटना या मृत्युमें हर गरीब परिवार को वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत होती है। सामाजिक सुरक्षा एक ऐसा पहलू हैजिसकी मौजूदा सरकार ने एक प्राथमिक जरूरत के तौर पर पहचान की है। आम आदमी के लिए सामाजिक सुरक्षा का लक्ष्य हासिल करने के क्रम में सरकार ने कई योजनाओं का शुभारंभ किया है।

 

ये सामाजिक सुरक्षा योजनाएं समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को बीमा सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई थीं। कम आय वाले समूह को ध्यान में रखते हुए इन योजनाओं के प्रीमियम को काफी कम रखा गया है,जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को इन योजनाओं का लाभ मिल सके। इन योजनाओं को बैंक खातों के माध्यम से ही लिया जा सकता है। केंद्र सरकार प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) जैसी वित्तीय समावेशन योजना के माध्यम से व्यापक स्तर पर बैंकिंग सुविधाएं देने के लिए काफी प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के अंतर्गत 21 जुलाई 2016 तक 9.61 करोड़ पॉलिसियां और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के अंतर्गत 3.03 करोड़ पॉलिसियां जारी की जा चुकी हैं। अभी तक पीएमजेजेबीवाई के अंतर्गत 36,000 दावे पंजीकृत हुए और 31,200 से ज्यादा दावों का निस्तारण कर दिया गया। इसी प्रकार पीएमएसबीवाई के अंतर्गत इस साल 21 जुलाई 7,025 और पीएमएसबीवाई के अंतर्गत 4,551 दावों का निस्तारण कर दिया गया।

 

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) एक साल की बीमा योजना हैजिसका हर साल नवीकरण कराया जाता है और इससे किसी स्थिति में मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये की जोखिम सुरक्षा दी जाती है। यह योजना 18 से 50 साल तक आयु वर्ग के लोगों के लिए उपलब्ध हैजिसके लिए 330 रुपये प्रीमियम तय किया गया है।

 

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) एक साल की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना है। यह सालाना 12 रुपये के प्रीमियम पर मिलती है। इस पॉलिसी में मृत्यु या स्थायी अपंगता की स्थिति में दो लाख रुपये का कवरेज

और दुर्घटना में स्थायी आंशिक विकलांगता की स्थिति में एक लाख रुपए के कवरेज की पेशकश की जाती है। यह 18 से 70 साल तक आयु वर्ग के लोगों के लिए उपलब्ध है। अभी तक (21 जुलाई2016) 4,500 से ज्यादा दावों का निबटारा किया जा चुका है और पीड़ित व्यक्ति के परिवारों को वित्तीय मदद मुहैया कराई जा चुकी है।

 

अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के माध्यम से बुजुर्ग लोगों को आय सुरक्षा दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत सरकार 60 साल से ज्यादा उम्र के अभिदाता को मासिक न्यूनतम 1,000 से 5,000 रुपये तक पेंशन की गारंटी देती है। अभिदाता  की मृत्यु के बाद उसके आश्रित को जीवन भर पेंशन दी जाएगी और अभिदाता  के 60 साल के होने पर पेंशन कोष नामित को दिया जाता है। इसमें विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र के नागरिकों को ध्यान में रखा गयाहै। अभी तक इस योजना में 28.71 लाख अभिदाता  पंजीकरण करा चुके हैं।

 

ये सामाजिक सुरक्षा योजनाएं समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। राज्य सरकारें और जिला प्रशासन को इन योजनाओं में भागीदार बनाया गया है। जिलों और शहरों में इन योजनाओं की सफलता की तमाम कहानियां हैं। लोग न सिर्फ आर्थिक तौर पर सशक्त हो रहे हैंबल्कि उनका जीवन भी बेहतर हो रहा है। उनकी महत्वाकांक्षाएं बढ़ रही हैं। यह वास्तविक वित्तीय समावेशन है। भ्रष्टाचार कम हो रहा हैक्योंकि पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में आ रहा है और इन योजनाओं का यही मुख्य उद्देश्य है। अब सामाजिक सुरक्षा नए मुकाम हासिल कर रही है और ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ रहे हैं।

पूर्णिमा शर्मा

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार और टीवी एंकर हैं) साभार पीआईबी

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