(24/08/2016) 
रूपचंद आर्ट गैलरी में नमिष अरोड़ा की मुरलीधर शीर्षक पर श्री कृष्ण के विभिन्न रूपों का भव्य चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन ।
अशोक विहार दिल्ली की चर्चित रूपचंद आर्ट गैलरी में इन दिनों चित्रकार नमिष अरोड़ा की मुरलीधर शीर्षक पर श्री कृष्ण पर आधारित भव्य चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। जिसमे चित्रकार ने अपनी इस एकल चित्रकला प्रदर्शनी में ईश्वर के प्रतिरूप, उनकी बहुरंगी एकात्मकता और सर्वव्यापिता का स्पष्ट प्रस्तुतीकरण किया है । इस प्रदर्शनी के क्यूरेटर चित्रकार रूपचन्द ने बताया की कृष्ण को पुकारे जाने वाले उनके नामों में से एक नाम मुरलीधर इस कला प्रदर्शनी का शीर्षक है। यहाँ चित्रकार नमिष की इन उत्कृष्ट कलाकृतियों में भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न आयामों को अलग - अलग रंगों के माध्यम से कैनवस पर बखूबी उकेरा गया है। प्रभु कृष्ण के नयनों की सम्मोहक शक्ति से कोई नहीं बच पाया यही वह विशेषता है जो नमिष की चित्रकारी में देखने को मिलती है।

यदि कृष्ण के नेत्रो की बात की जाए तो नमिष की कलाकृतियों के विषय पावर ऑफ़ एक्सप्रेशन, एनलाइटनमेंट और तृष्णा शांति और सम्मोहन का प्रदर्शन करते हैं साथ ही शेड्स ऑफ़ डिवाइन प्रभु श्री कृष्ण का बड़ा ही उदाहरणात्मक प्रस्तुतीकरण है क्योंकि यह श्री कृष्ण के विभिन्न रूपों का  भव्य संयोजन है।  कृष्ण की कल्पना उनकी बांसुरी के बिना कैसे की जा सकती है यह तो उनकी सबसे प्रिय वस्तु है साथ ही यह उनकी छवि को परिभाषित करने वाली सबसे बड़ी विशेषता है फॉर्चुनेट फ्लूट  पेंटिंग भी इसी विशेषता को प्रस्तुत करती है की वह मुरली कितनी सौभाग्यशाली है जो स्वयं भगवान को प्रिये हैं।  ब्लिस ऑफ़ मोक्ष  में भी इसी मुरली स्वरुप के दर्शन किये जा सकते हैं  लॉर्ड ऑफ़ लव  और  जैम ऑफ़ लॉयल्टी  में कृष्ण की छवि को दर्शाने वाले प्रतीकात्मक नीले रंगों के अतिरिक्त कलाकार ने रचनात्मक तकनीकों का प्रयोग करते हुए नीले व काले रंगों से चित्रकला पृष्टभूमि और सुनहरे रंग से रूपरेखा का निर्माण भी किया है जिसे सांवरिया और कृष्णा में स्पष्ट देखा ना सकता है। 

यदि कला के बारे में बात की जाए तो इसका अर्थ हमारे चारों ओर व्याप्त रंगों, आवेगों और मनोदशाओं  को चित्रित करने से है।  इसी प्रकार जब देवी - देवताओं के सजीव चित्रण को लेकर बात की जाए तो भगवान श्री कृष्ण की छवि से बेहतर चित्रण प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।  श्री कृष्ण जीवन के अनेक रंगों - प्रेम , सत्य ,निष्य ,न्याय आदि के एकीकरण का प्रतिपादन करते हैं साथ ही हमे उनमें एक मानवीय तत्व की अनुभूति भी होती है।  उनका रूप मनोहारी है उनके हज़ारों नाम हैं उनके अनेकों वेश और भूमिकाएं एवं विविधताएं इस जादुई वातावरण को बनाए रखती हैं।  चाहे धरती हो या स्वर्ग हर जगह उनकी सर्वव्यापिता उन्हें जादुई और सजीव बनाती है और इस कारण जीवन अनुनाद को एक ही मायावी- कृष्ण के नाम से संबोधित किया जा सकता है 

कला के माध्यम से इन कलाकृतियों के द्वारा  प्रेम, रंगलीला, मनोहारिता और  सर्वव्यापिता जैसें कृष्ण से जुड़े अनेक आयामों को संजोने का सफल प्रयास किया गया है जोकि दर्शकों को आनंद की अनुभूति दे रही हैं। नमिष अरोड़ा की यह चित्रकला प्रदर्शनी 31 अगस्त तक रूपचन्द आर्ट गैलरी, एफ 104 फेस-1, अशोक विहार, दिल्ली में प्रातः 11 बजे से सायं 7 बजे तक  देखि जा सकती है
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