(25/10/2013) 
हरियाणा में ज्यादातर बसों की छतों पर यात्रा करते हैं।
सिरसा में बसों की छतों पर बैठकर यात्रा करना अब आम बात हो गई है। न तो लोगों को अपनी जान की फ्रिक है और न ही प्रशासन क कोई ङ्क्षचता। लोग बेधड़क होकर बसों की छतों पर सवार हो जाते हैं। कई यात्री दुर्घटना का शिकार भी हो चुके हैं, बावजूद इसके प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है। प्रसाशन तो सिर्फ इतना कह अपना पल्ला झड लेते है की समय समय पर करवाई की जाती है.ज्यादातर लोग प्राइवेट बसों की छतो पर चढ़ कर आते है क्योंकि बसों में भीड़ होने की वजह से लोगो को बस की छत्त पर सफ़र करना पड़ता है.

आपको बता दे की ज्यादातर लोकल रुट पर चलने वाली बसों में छत पर यात्रा करने की प्रवृति ज्यादा है। गांवों से शहर में पढऩे आने वाले छात्र ही ज्यादातर बसों की छतों पर यात्रा करते हैं। सिरसा बस अड्डे का नजारा देखें तो लोकल रुट की बसें गंतव्य के लिए रवाना होने से पहले ही खचाखच हो जाती हैं। यात्री पहले ही छतों पर अपनी सीटें बुक कर लेते हैं। सफर के दौरान पेड़ की टहनी से टकराकर कई छात्र चोटिल भी हो चुके हैं। रोडवेज के चालक-परिचालक भी उन्हें बस की छतों पर चढऩे से मना नहीं करते। एक तरह से बस की छत पर यात्रा करना छात्रों की मजबूरी भी है, क्योंकि एक तो लोकल रुट पर पर्याप्त बसें नहीं हैं, दूसरी बात यह है कि बस चालक छात्रों को अंदर बिठाते नहीं।
छात्रों की माने तो उनका कहना है की उन्हें अपनी जान जोखिम में डाल कर सफ़र करना पड़ता है,उनकी भी मज़बूरी है बस कम है और लोग ज्यादा है बस के अन्दर न तो परिचालक बेठने देते है, और भीड़ भी ज्यादा होती है इसके चलते उन्हें बस की छत्तों पर बेठना पड़ता है, रोडवेज महाप्रबंधक लेख राज के अनुसार जिले में बसों की कोई कमी नहीं है.जितनी बसे चाहिए उतनी है और जिस रूट पर ज्यादा सवारिया है वह लोकल बस चलती है.उनका कहना है की छात्र सरकारी बसों में ज्यादा होते है प्राइवेट में कम जाते है. लेख राज का कहना है की समय समय पर करवाई भी की जाती है चालक परिचालक छात्रों को बसों की छतो पर चड़ने की लिए मन भी करते है.

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