(30/10/2013)
भाप के इंजन अकबर पर रोमांचक यात्रा
एक बार फिर से भाप के इंजन से चलने वाली दो डिब्बों की पर्यटक रेल दिल्ली से अलवर के बीच 26 अक्तूबर, 2013 से शुरू हो गई है। 48 वर्ष पुरानी यह लोकोमोटिव रेल अकबर चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (बाद में अमृतसर रेलवे वर्कशॉप, की भाप से चलने वाली अंतिम गाडि़यों में से एक है। एक बार फिर से भाप के इंजन से चलने वाली दो डिब्बों की पर्यटक रेल दिल्ली से अलवर के बीच 26 अक्तूबर, 2013 से शुरू हो गई है। 48 वर्ष पुरानी यह लोकोमोटिव रेल अकबर चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (बाद में अमृतसर रेलवे वर्कशॉप) की भाप से चलने वाली अंतिम गाडि़यों में से एक है। इसका नामकरण महान मु्गल शासक अकबर के नाम पर किया गया है। हाल ही में प्रसिद्ध धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर बनी फिल्म में इस्तेमाल होने के कारण भी यह इंजन खबरों में था। यह रेल कुंउ-कुंउ और सीटी की आवाज से बीते दिनों की याद ताजा करायेगी और इससे भी बढ़कर भाप के इंजन से निकलता काला धुंआ और छुक.छुक की ध्वनि रोमांच पैदा करेगी। अकबर इंजन को अक्टूबर 2012 में उत्तर रेलवे की अमृतसर वर्कशॉप में मरम्मत कर सुधारा गया था। यह वर्क शॉप भाप के इंजनों के नवीनीकरण में खास विशेषज्ञता रखती है। भाप इंजनों को बेहद कम समय में काम में लाये जाने के लिए तैयार करने के लिए यह वर्क शॉप अनूठी है। स्टील लोकोमोटिव के एक केंद्र के रूप में यह रेवाड़ी के नजदीक विकसित की गई है। इस केंद्र पर केण.सी.520, अकबरए शेर-ए-पंजाब और अंगद स्टीम लोको का नवीनीकरण किया जा चुका है। रेवाड़ी स्टीम लोकोमोटिव का अक्टूबर 2010 में उत्तर रेलवे के एक विरासत शेड के रूप में स्थापित किया गया। बहुत ही कम समय में 120 वर्ष पुराने इस शेड को विश्व के बेहतरीन वाष्प शक्ति केंद्र के रूप में बदल दिया गया जो कि पर्यटकों और दुनियाभर से स्टीम के बारे में जिज्ञासुओं को आकर्षित करता है। इस शेड को तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 29 फरवरीए 2012 को (नवीन पर्यटन उत्पाद श्रेणी में राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार से सम्मानित किया। रेवाड़ी लोको को कुछ हिंदी फिल्मों -गुरु, गांधी माई फादर, रंग दे बसंती, गदर और भाग मिल्खा भाग में चित्रित किया गया है। वर्तमान में भारतीय रेलवे का रेवाड़ी एकमात्र वाष्प शक्ति इंजन केंद्र है जहां ब्राड और मीटर गेज दोनों की अलग.अलग नौ इंजन कार्यशाला है। इस शेड में प्रदर्शनी स्थलए जलपान स्तर, प्रतीक्षालयए अधिकारी विश्राम स्थल और एडवर्ड-8 सैलून भी यहां विकसित किये गये है। रेवाड़ी में इस समय इंजनों के बेड़े में उभरी हुई नाक और तारे (स्टार) से सज्जित प्रतिष्ठा प्राप्त डब्ल्यूपी-7161 अकबर इंजन है। 1947 के बाद भारतीय रेल के सवारी इंजन का यह एक मानक उदाहरण है। यह एक पेसिफिक क्लास का ब्राड गेज का इंजन 110 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति से चल सकता है और एक्सप्रैस रेल को चलाने में इसका उपयेाग किया जाता रहा है। चितरंजन लोको वर्कस में निर्मित यह इंजन 1965 में पहली बार सेवा में लिया गया और अब भी पर्यटन वाष्प एक्सप्रैस रेल को चलाने के लिए सेवा में है। यह रेल सेवा दिल्ली छावनी स्टेशन से शुरू होकर रेवाड़ी से होते हुए 138 किलोमीटर की दूरी तय कर राजस्थान में अलवर तक जाती है। इसके यात्रा पैकेज में अलवर के निकट सरिस्का राष्ट्रीय पार्क की यात्रा भी शामिल है। इस सीजन में यह सेवा अक्टूबर 2013 से अप्रैल 2014 तक प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे शनिवार को उपलब्ध होगी। यात्रा के दौरान रेल में आईआरसीटीसी और विश्राम स्थलों पर राजस्थान पर्यटन विकास निगम के सहयोग से आतिथ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेगी। यात्रा के लिए आरक्षण आईआरसीटीसी की वेबसाइट www.railtourismindia.com. से कराया जा सकता है। वाष्प एक्सप्रेस 'अकबर' के चलने की तिथियां
भारतीय रेल पर्यटकों को यात्रा पेकैज में बहुत से विकल्प उपलब्ध करायेगा, ब्यौरा इस प्रकार है:-
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