(04/02/2017) 
साध्वी प्रज्ञा फैसले में जज की टिप्पणी ने
एनआईए के हिन्दुत्वादी रुझान को बेनकाब किया- रिहाई मंच एनआईए और आतंक के हिन्दुत्वादी आरोपियों के संबन्धों पर श्वेतपत्र जारी करे गृह मंत्रालय

 लखनऊ 3 फरवरी 2017। रिहाई मंच ने संघ प्रचारक और देश के विभिन्न हिस्सों में हुई आतंकी वारदातों के आरोपी सुनील जोशी हत्याकांड में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बरी करते हुए अदालत की यह टिप्पणी कि पुलिस और एनआईए दोनों ने किसी पूर्वाग्रह या अज्ञात कारणों से प्रकरण में लचर ढंग से कार्रवाई की और इतने कमजोर साक्ष्य प्रस्तुत किए जो आरोपियों को दोषी सिद्ध करने के लिए अपर्याप्त थे ने साबित कर दिया है कि जांच एजेंसीयां मोदी सरकार के दबाव में हिंदुत्ववादी आंतकियों को बचा रही हैं। मंच ने अंदेशा व्यक्त किया है कि साध्वी प्रज्ञा जैसे खतरनाक आतंकियों के बरी होने से हिंदुत्ववादी आतंकियों के हौसले बुलंद होंगे और वो देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातें कर सकते हैं। रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 2014 में जब इस मामले को एनआईए ने इस तर्क के आधार पर देवास के जिला अदालत में ट्रांसफर कर दिया था कि ये मामला आतंकवाद से नहीं जुड़ा है बल्कि साधारण हत्या का मामला है तभी यह साफ हो गया था कि एनआईए साध्वी प्रज्ञा और संघ से जुड़े सात अन्य आरोपियों को इस मामले में बचाने की फिराक में है। मंच के अध्यक्ष ने कहा कि जब सुनील जोशी साध्वी प्रज्ञा के साथ ही अजमेर, समझौता एक्सप्रेस, मालेगांव में हुए आतंकी हमलों में शामिल था और उसकी हत्या भी साध्वी प्रज्ञा द्वारा उसके घर से विस्फोटकों भरा सूटकेस लेने के बाद हुई जिसका इस्तेमाल इन आतंकी हमलों में किया गया तब सुनील जोशी की हत्या सामान्य हत्या कैसे कही जा सकती है। जिसके आधार पर एनआईए ने उसे देवास की जिला अदालत में उसे ट्रांसफर करा दिया। मुहम्मद शुऐब ने कहा कि देवास की अदालत द्वारा इस फैसले में जिस तरह पुलिस और एनआईए पर लचर और पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो कर जांच करने की टिप्पणी की है उससे महाराष्ट्र की पूर्व विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सैलियन के इस दावे की ही पुष्टि होती है कि एनआईए आतंकवाद के हिंदुत्ववादी आरोपियों के खिलाफ केस कमजोर करने का दबाव डाल रही है। गौरतलब है कि रोहिणी सैलियन ने अक्टूबर 2015 में एनआईए के एसपी सुहास वर्के पर मालेगांव आतंकी हमले के हिंदुत्वादी आरोपियों के खिलाफ कमजोर पैरवी करने का दबाव डालने का आरोप लगाया था। उन्होंने मांग की कि देवास अदालत के फैसले में एनआईए पर की गई टिप्पणी और रोहिणी सैलियन के आरोपों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट को आतंक के हिंदुत्ववादी आरोपियों के मामले में एनआईए की संदिग्ध जांच प्रक्रिया पर निगरानी कमीटी गठित करनी चाहिए। उन्होंने गृहमंत्रालय से भी एनआईए और हिंदुत्ववादी आतंकी समूहों के बीच सम्बंध पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की है। 

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