(12/04/2017) 
"अनारकली आॅफ आरा"
"अनारकली आॅफ आरा" •निर्देशक- अविनाश दास •लेखक-अविनाश दास •निर्माता-संदीप कौर & मो० मुबाससिर •संगीत-रोहित शर्मा •कलाकार- स्वरा भास्कर (अनारकली) -अभिनेत्री संजय मिश्रा (वीसी) - विलेन •सहायक कलाकार- पंकज त्रिपाठी (रंगीला) इश्तियाक खान(हीरामन) (स्टार-****)

                       
अविनाश दास लिखित एवं निर्देशित फिल्म "अनारकली ऑफ आरा" स्त्री केन्द्रित फीचर फिल्म है। फिल्म में अनारकली के बहाने उन कलाकार स्त्रियों के प्रति समाज के प्रति रवैये को केन्द्र में रखा गया है जो ऑक्स्ट्रा पार्टी, शादी-ब्याह में नाचती-गाती तो है लेकिन अपनी अस्मिता, स्वाभिमान को लेकर सचेत है। अनारकली का संवाद है- "हम कौनो सति-सावित्री नहीं है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हम नाचते-गाते हैं तो हमें कोई भी बजा देगा।"

फिल्म में स्वरा भास्कर आरा के अनारकली के रूप में नजर आती है। जो बिहार के आरा जिला में आर्केस्टा पार्टी में नाच-गाकर अपना जीवन व्यतीत करती है। वह एक मशहूर कलाकार है। जो नाच-गाकर लोगों का मनोरंजन करती है। उनके लिए फिल्म में एक डाॅयलाग का प्रयोग किया जाता है कि "माहौल का टेम्प्रेचर बढ़ाने,आपको पसीना पसीना करने आ रही है हमारी देशी तन्दूर, अंग्रेजी में ओवन,अनारकली अंगारा फ्राॅम इंग्लिशपुर आरा।"वह एक साहसी और कड़े स्वभाव की महिला है जो अपने खिलाफ किसी प्रकार की कोई गलत चीज को नहीं स्वीकारती है। वह तब अपनी आवाज और जोर सोर से उठाती है जब वीसी (संजय मिश्रा)  सार्वजनिक रूप से मंच पर बाजारू महिला समझकर उसके साथ बदत्तमीजी करता है।

फिल्म इसी घटना के इर्द गिर्द घुमती नजर आती है।
पंकज त्रिपाठी यानि रंगीला ने अनारकली के सहयोगी का किरदार निभाया है। उन्हें फिल्म में सीरियस रोल के साथ कही-कही काॅमिक रोल में भी दिखाया गया है और कई जगहों पर रंगीला ने अपनी बातों से भरपूर मनोरंजन भी किया है जैसे-"तुम थोड़े ना भल्गरिटी वाला गाना गाती हो तुम्हारा तो श्रृंगार रस है।"

साथ ही इश्तियाक खान ने भी फिल्म में हीरामन का किरदार बेहद खूबसूरती से गढ़ा है। हीरामन अनारकली का बहुत बड़ा फैन है जो फिल्म में कई बार भावनाओं से ओत-प्रोत तो कई दफा मनोरंजक बाते भी करते नजर आता है।हीरामन ने फिल्म में कई बार इस डायलाॅग का प्रयोग किया है कि "मेरे लिए न सही देश के लिए ले लीजिए।" हीरामन ही अनारकली को शोषण और उसके खिलाफ लगाए गए आपत्तिजनक इल्जामों के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। फिल्म में पुलिस और शासन व्यवस्था की बदहाल स्थिति पर भी जोर दिया गया है। जिसने पुलिस और शासन व्यवस्था पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

कुल मिलाकर अविनाश दास ने और अनारकली आॅफ आरा की टीम ने फिल्म का जोरदार,मनोरंजक और प्रेरणात्मक फिल्मांकन किया है। साथ ही एक बार फिर से, पित्तृसत्तात्मक समाज को महिलाओं के प्रति अपने विचार बदलने पर जोर देने के लिए मजबूर कर दिया है। फिल्म ने काफी हद उस तपके की महिलाओं को भी सम्मान और अधिकार के साथ जीने का हक दिलाने की कोशिश की है जो नाच-गाकर अपना जीवन गुजारती है लेकिन उन्हें बाजारू माल समझ लिया जाता है।

तेज बहादुर सिंह
दिल्ली विश्वविद्यालय
समाचार वार्ता
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