(12/05/2023) 
गोल्डी बरार - लॉरेंस बिश्नोई - काला जठेडी- नरेश सेठी - संपत नेहरा के जबरन वसूली कारनामों का पर्दाफाश
अपराध शाखा ने पिछले कुछ दिनों में लॉरेंस बिश्नोई-काला जठेडी-संपत नेहरा-नरेश सेठी के गिरोह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए बड़ी सफलता हासिल की है।

अंतरराज्यीय अभियान चलाकर, दिल्ली और बाहर के कई सनसनीखेज मामलों को, गिरोह के कई सदस्यों की गिरफ्तारी और भारी मात्रा में हथियारों की बरामदगी के साथ सुलझाया गया है ।
यह अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट दिल्ली, एनसीआर, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और राजस्थान में अपनी जबरन वसूली की गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। गिरोह के तौर-तरीके परिष्कृत हो गए हैं, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उनके विदेशों से भेजे जा रहे पैसों को  ट्रैक करना पड़ रहा है। उनके रंगदारी रैकेट को परिष्कृत व्यावसायिकता के साथ चलाया जा रहा है और प्रत्येक सदस्य की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को परिभाषित किया जा रहा है। पूरे रैकेट को विभिन्न स्तर पर उप-भागों में विभाजित किया जा सकता है, जिसे निम्नानुसार समझाया गया है:
1. सबसे पहले उनके एजेंट/बिचौलिए अमीर और डरपोक लोगों की पहचान करते हैं। लोगों का चयन उनकी वित्तीय स्थिति और भुगतान क्षमता के आधार पर किया जाता है। वे आमतौर पर सटोरिए, बिल्डर, जुआरी, जमीन हड़पने वाले, जौहरी आदि होते हैं।
2. लक्ष्यों के चयन के बाद, वे क्षमता के आधार पर मांग भेजते हैं। मांग या तो फोन कॉल के माध्यम से या पत्र के माध्यम से या मौखिक रूप माध्यम से वितरित की जाती है।
3. मांग का मुख्य बिंदु स्पष्ट धमकी और चेतावनी होता है कि यदि मांगें पूरी नहीं की गईं तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। कारोबारियों के मन में डर पैदा करने के लिए अक्सर उनके सरगना लॉरेंस बिश्नोई का नाम लिया जाता है।
4. यदि व्यवसायी बिना किसी शिकायत या शर्त के भुगतान करने को तैयार है तो एजेंट और बिचौलिए कभी-कभी बातचीत करने की कोशिश करते हैं। यह राशि हवाला चैनलों के माध्यम से विदेशों में स्थानांतरित की जाती है।
5. यदि व्यवसायी की ओर से प्रतिरोध होता है, तो निशानेबाजों को भर्ती या काम पर रखा जाता है और लक्ष्यों को डराने के लिए तैयार किया जाता है।
6. नए रंगरूटों में मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों से 15-20 वर्ष की आयु के किशोर हैं। उनमें से कुछ पैसे के लालच में हैं जबकि अधिकतर गिरोह के सदस्य होने का दिखावा करने के लिए काम करते हैं।
7. इंटरनेट आधारित सेवाओं के माध्यम से उनसे संपर्क किया जाता है और किसी विशेष स्थान पर पहुंचने और दिशा निर्देश के लिए आगे संपर्क करने के लिए कहा जाता है।
8. उनके स्थान बार-बार बदले जाते हैं और उन्हें सामान देने वाले व्यक्तियों की पहचान कभी नहीं बताई जाती है।
9. इसी तरह, उन्हें बिना पहचान वाले या नकली पहचान वाले व्यक्तियों के माध्यम से हथियारों की आपूर्ति की जाती है, या उन्हें किसी दूरस्थ स्थान से इसे इकट्ठा करने के लिए कहा जाता है।
10. उन्हें लक्ष्य के घर या कार्यालय या दुकान की रेकी करने के लिए कहा जाता है। एक बार रेकी करने के बाद, उन्हें सटीक तारीख और समय बताया जाता है जब उन्हें लक्ष्य के घर/कार्यालय की खिड़कियों या दरवाजों या छत आदि पर गोली चलानी होती है, ताकि उसे जबरन वसूली की राशि का भुगतान करने के लिए डराया जा सके।
11. कार्य के बाद, उन्हें जल्दी से बाहर निकलने के लिए कहा जाता है और फिर उन्हें एक नया कार्य सौंपे जाने से पहले स्थान बदलने के लिए कहा जाता है ।
12. पूरा सिस्टम इसे गुप्त तरीके से काम करता है जिसमें विभिन्न भागों के बीच कोई संबंध नहीं होता है। हैंडलर अंतरराष्ट्रीय साधनों का उपयोग करके विदेश से संचालित करता है। हैंडलर गिरोह के विभिन्न सदस्यों के साथ समन्वय करता है - चाहे वह भर्ती एजेंट हो या रसद प्रदाता या शूटर। स्थानों के साथ-साथ फोन और सिम अक्सर बदले जाते हैं।
13. विदेशों में मौजूद गिरोह के सदस्यों द्वारा हवाला के माध्यम से विदेशों में सुरक्षित स्थानों पर धन एकत्रित किया जाता है ।
अपील 
प्रवर्तन एजेंसियों ने इन गिरोहों द्वारा युवाओं के शोषण का पर्दाफाश किया है। युवा रंगरूटों को लगता है कि वे गिरोह में शामिल होकर अपने साथियों के समूह में नाम कमा सकेंगे। वे आगे आने वाले अपराधिक जाल और अंधकारमय भविष्य को नहीं देख पा रहे हैं। एक बार फंस जाने के बाद, बचने का कोई रास्ता नहीं है। उनका शेष अल्पायु जीवन सलाखों के पीछे या मुकदमों में बीतता है। उनके परिवारों के पास उन्हें छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि वे अपनी अवैध गतिविधियों के लिए अभियोजन का सामना नहीं करना चाहते| उन्हें कभी भी जबरन पैसा नहीं मिलता है। वे अपने दैनिक खर्चों के लिए भीख मांगकर जीवनयापन करते हैं, जबकि सरगना और हैंडलर धन इकट्ठा करते हैं और विदेशों में शानदार जीवन का आनंद लेते हैं।

मॉड्यूल- I
दिनांक 23.04.2023 को हरि नगर आश्रम स्थित घर में फायरिंग की घटना हुई, जिसमें घर के मुख्य द्वार पर पांच गोलियां चलायीं गई | इसके बाद, एक चश्मदीद गवाह के बयान पर प्राथमिकी संख्या 140/23 धारा  336 भारतीय दण्ड संहिता और 25/27 आयुध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके अलावा हरि नगर आश्रम, दिल्ली के शिकायतकर्ता ने कहा कि 23-24 मार्च की दरम्यानी रात को उसे अपने व्हाट्सएप पर एक अज्ञात अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबर से कुछ संदेश प्राप्त हुए। जिसमें प्रेषक ने खुद को गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई (लॉरेंस का भाई) बताते हुए 2 करोड़ की रंगदारी मांगी। अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी। दिनांक 28 मार्च तक रंगदारी की रकम मांगने के लिए उसके पास बार-बार अज्ञात विदेशी मूल के नंबरों से मैसेज आए। उसे  2 अप्रैल तक पैसे देने को कहा गया था। दिनांक 24.04.2023 को उसने बताया कि बगल का मकान, जिस पर फायरिंग की घटना हुई है, उसका है और उसे फिर से लॉरेंस बिश्नोई समूह से एक अज्ञात नंबर से धमकी भरा वॉयस कॉल प्राप्त हुआ और पैसे की मांग की गई। तत्पश्चात, एक अलग मामला प्राथमिकी संख्या 141/23, धारा 387 भारतीय दण्ड संहिता, थाना सन लाइट कॉलोनी में दर्ज किया गया था।

कार्यवाही
टीम ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया और कथित व्यक्तियों की आवाजाही पर नजर रखी। आरोपित जंगपुरा से ऑटो लेकर धौला कुआं पहुंचा और धारूहेड़ा, हरियाणा जाने वाली बस में सवार हो गया। बस के कंडक्टर ने बाद में खुलासा किया कि कथित व्यक्तियों ने बिलासपुर चौक पर बस छोड़ दी और वे पटौदी, हरियाणा के लिए परिवहन का साधन पूछ रहे थे। पटौदी के सूत्रों को विकसित किया गया और कथित व्यक्तियों के बारे में सूत्र सजग हुए। सूत्रों से पता चला कि शूटर ग्राम किलोरी जिला चूरू, राजस्थान के रहने वाले हैं। टीम ने गांव किलोरी पर ध्यान केंद्रित किया और दो नाबालिग शूटर 'एन' (उम्र 16 वर्ष) और एम् (उम्र 17 वर्ष) की पहचान करने में सफल रही। घटना के दिन से ही दोनों शूटर गांव छोड़ चुके थे। आसपास के इलाकों में लंबी कवायद के बाद टीम उनके ठिकानों का पता लगाने में सफल रही। हरियाणा के सिरसा में एक पीजी हाउस पर छापेमारी की गई। पता चला कि अन्य दो आरोपी कुछ दिन पहले पीजी हाउस छोड़कर चले गए थे।
टीम ने लगातार काम किया और फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए अपना अभियान जारी रखा। विश्वसनीय स्रोतों के साथ जानकारी विकसित की गई और अपराधियों के संबंध में विशिष्ट जानकारी प्राप्त होने पर टीम की मेहनत रंग लाई।
सटीक सूचना पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली के धौला कुआं में जाल बिछाया गया और उन्हें वहीं पकड़ लिया गया। पुलिस पार्टी ने उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा तो  उनमें से एक ने पिस्तौल निकाल ली और पुलिस टीम का विरोध करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस टीम ने सभी पर काबू पा लिया । उनसे पूछताछ की गई और उनमें से एक की पहचान  हरैन @ डेविल निवासी राजकोट, पुनीत नगर, गली नंबर -8, गुजरात और शेष दो (किशोर) CCLs R/o चूरू, राजस्थान के रूप में हुई | इन सभी ने सनलाइट कॉलोनी की उक्त फायरिंग की घटना में अपनी संलिप्तता का कर्म  स्वीकार की है |

पूछताछ
पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपी लॉरेंस बिश्नोई-संपत नेहरा गैंग के गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई के संपर्क में थे। अनमोल बिश्नोई ने उन्हें डराने के लिए एक सरदार के घर में गोली चलाने का काम सौंपा था । लॉरेंस बिश्नोई के निर्देश पर उसके भाई अनमोल बिश्नोई ने शिकायतकर्ता से  2 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी थी। संपत नेहरा भी लॉरेंस गैंग के साथ काम करने वाले गैंग का सरगना है। उन्होंने राजस्थान में अपने भर्ती एजेंटों की मदद से उपरोक्त कार्य के लिए निशानेबाजों की व्यवस्था की। उन्हें बाद में बताया गया कि उन्होंने शिकायतकर्ता के घर की बजाय गलत घर पर गोली चला दी। इसलिए उन्हें फिर से जाने और सही घर पर गोली चलाने का निर्देश मिला था , लेकिन जब वे दिल्ली के धौला कुआं पहुंचे, तो उन्हें अपराध शाखा  की टीम ने धर दबोचा |
अपराधी का ब्यौरा 
1. हरेन उर्फ़ डेविल  गुजरात के राजकोट का रहने वाला हैं। वह 10वीं तक पढ़ा हैं । वह इंस्टाग्राम पर अनमोल बिश्नोई का फॉलोअर हैं और उनसे बातचीत किया करता था। अनमोल ने उसे गिरोह के लिए काम करने के लिए कहा, इसलिए उसने अपना घर छोड़ दिया और पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में बिश्नोई गिरोह के ठिकाने पर रहने लगा। अनमोल बिश्नोई के निर्देश पर, उसने राजस्थान के हनुमान गढ़ में एक प्रतिष्ठित व्यापारी को अपने गिरोह के सरगना की मांग को पूरा करने के लिए धमकाया, इस सन्दर्भ में  एफआईआर संख्या 195/23 धारा 384/386/34 भारतीय दण्ड संहिता, थाना संगरिया, हनुमानगढ़, राजस्थान दर्ज की गयी थी |
टीम
अपराध शाखा की एनडीआर टीम का नेतृत्व उपायुक्त अमित गोयल कर रहे थे, जिसमें सहायक आयुक्त उमेश बर्थवाल, निरीक्षक रामपाल, राकेश  सहित उप निरीक्षक अमित, उप निरीक्षक अनुज, उप निरीक्षक मुकेश, सहायक उप निरीक्षक अशोक, नरेंद्र, नरेंद्र गोदारा, विकास, रविंदर तोमर प्रधान सिपाही  रविंदर, नाहनजी, सुखबीर, दिनेश, राहुल, इरशाद, कमल, भागसिंह, जसपाल, अमित, संजय और सिपाही  सत्यवान शामिल थे |

मॉड्यूल -II
इसी टीम ने हाल ही में नरेश सेठी गैंग के दो शार्पशूटर समीर, निवासी सांपला, रोहतक, हरियाणा और एक नाबालिग को मुंडका, दिल्ली के पास एक संक्षिप्त मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार करके इसी गिरोह के एक और जबरन वसूली रैकेट का भंडाफोड़ किया था। थाना नरेला, दिल्ली  में दर्ज प्राथमिकी संख्या  319/2023, धारा  307/387/34 भारतीय दण्ड संहिता और 25/27 आयुध अधिनियम, मामला नरेश सेठी गिरोह के इन शार्पशूटरों की गिरफ्तारी से हल हो गया ।
17/04/2023 को एक प्रॉपर्टी डीलर को रंगदारी के लिए धमकी भरा फोन आया। 24/04/2023 को फिर से, उन्हें भारत के बाहर स्थित एक गैंगस्टर अक्षय से धमकी भरा फोन आया। 27/04/2023 को तीन लड़के मोटरसाइकिल पर आये और शिकायतकर्ता पर उस समय गोली चला दी जब वह दिल्ली के लामपुर में अपने कार्यालय में बैठा था। शिकायतकर्ता के हाथ में गोली लगी जबकि उसके दोस्त देवी वीर सिंह को भी सिर में गोली लगी थी । तदनुसार मामला प्राथमिकी संख्या 319/2023, थाना  नरेला में दर्ज किया गया था।
इस मामले में एनडीआर अपराध शाखा की इसी टीम ने नरेश सेठी गिरोह के दो शार्प शूटरों को गिरफ्तार किया, जिनमें से एक समीर (18 वर्ष) निवासी सांपला, रोहतक, जबकि दूसरा नाबालिग (सीसीएल) है ।

मॉड्यूल-III
अपराध शाखा की उत्तरी रेंज-1 की टीम ने तीसरे मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है। काला जठेड़ी और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के 03 सदस्य नामजद 1) सन्नी @ प्रिंस, 19 वर्ष, निवासी वीपीओ कटेवडा, शेरी पाना, दिल्ली, (2) आशु @ प्रवेश, 20 वर्ष, निवासी गांव कुतुबगढ़, दिल्ली और (3) ) सनी @ परवीन @ शिव, 25 वर्षीय गांव फिरोजपुर बांगर, सोनीपत, हरियाणा को मनोकामना अपार्टमेंट, सेक्टर-34, रोहिणी, दिल्ली के पास से गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से 09 जिंदा कारतूस, 4 पिस्टल सहित एक लोडेड सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल और 10 जिंदा कारतूस के साथ 3 देसी पिस्टल बरामद की गयी है। बरामद मोटरसाइकिल ई-एफआईआर नंबर 000287, धारा  379 आईपीसी, थाना  अलीपुर, दिल्ली में चोरी की पाई गई है।

सूचना और टीम का संचालन
प्रधान सिपाही त्रिशपाल को जानकारी मिली थी थाना मुंडका के सशस्त्र डकैती के मामले में शामिल 03 व्यक्ति, चोरी की बाइक पर मनोकामना अपार्टमेंट, सेक्टर -34, रोहिणी, दिल्ली के पास आएंगे व उनके पास अवैध हथियार भी हो सकते हैं | उपरोक्त सूचना के अधार पर सयुंक्त आयुक्त एस.डी. मिश्रा और उपायुक्त सतीश कुमार द्वारा सहायक आयुक्त विवेक त्यागी की देख रेख में एक टीम का गठन किया गया जिसका नेतृत्व निरीक्षक पंकज ठाकरान कर रहे थे | जिसमें उप निरीक्षक अमित मान, प्रधान सिपाही त्रिशपाल, प्रधान सिपाही नरेंद्र, प्रधान सिपाही राजेश, प्रधान सिपाही सुरेंद्र, प्रधान सिपाही सोनू, प्रधान सिपाही अमित व प्रधान सिपाही संदीप शामिल थे |
 उपरोक्त सूचना के अधार पर मनोकामना अपार्टमेंट, सेक्टर -34, रोहिणी, दिल्ली के पास एक जाल बिछाया गया और तीन व्यक्तियों को पकड़ा गया। उनकी पहचान (1) सन्नी @ प्रिंस, उम्र 19 वर्ष, निवासी कटेवारा, दिल्ली, (2) आशु @ प्रवेश, उम्र 20 साल, निवासी कुतुबगढ़, दिल्ली और (3) सनी @ परवीन @ शिव, उम्र 25 साल, निवासी फिरोजपुर बांगर, सोनीपत, हरियाणा के रूप में हुई | तलाशी लेने पर उनके पास से 19 जिंदा कारतूस, 03 पिस्टल व एक चोरी की  मोटरसाइकिल बरामद की गई है। इस संबंध में थाना अपराध शाखा में प्रथिमिकी संख्या 71/2023, धारा  25/54/59 आर्म्स एक्ट के तहत मामला प्राथमिकी दर्ज किया गया। बरामद मोटरसाइकिल प्रथिमिकी संख्या ई-000287, धारा 379 आईपीसी, थाना अलीपुर, दिल्ली से चोरी पाई गई है।
पूछताछ
पूछताछ के दौरान पता चला कि उपरोक्त सभी आरोपी जेल में बंद प्रियव्रत उर्फ काला के निर्देश पर काम कर रहे थे। प्रियव्रत ने सन्नी उर्फ प्रिंस से संपर्क किया और उसे उसके सहयोगी  निवासी गांव- कुतुबगढ़, दिल्ली को खत्म करने और दिल्ली के कुतुबगढ़ गांव में स्थित ए-वन नाम के एक इलेक्ट्रॉनिक्स शोरूम से फिरौती मांगने का काम सौंपा। इस काम को अंजाम देने के लिए उन्होंने थाना मुंडका के क्षेत्र से एक कार भी लूटी थी जिसके संबंध में प्राथमिकी संख्या 282/23, धारा 392/397/34 आईपीसी, थाना मुंडका दर्ज की गई थी।
गिरफ्तार आरोपी वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा, रोहित गोदारा और गोल्डी बराड़ के संपर्क में भी आए थे। रोहित गोदारा और गोल्डी बराड़ ने गिरफ्तार आरोपियों को तिहाड़ जेल और गुरुग्राम के पास डीडीयू अस्पताल में आने के लिए कहा था जहां उन्हें हथियार मुहैया कराये जाने थे और आगे के कार्य के बारे में दिशा निर्देश दिए जाने थे। जेल में बंद आरोपी प्रियव्रत, अक्षय पलड़ा और वीरेंद्र उर्फ काला राणा को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया है।
आरोपी प्रियव्रत ने खुलासा किया कि वर्ष 2015 में उसने एक सहयोगी निवासी गांव कुतुबगढ़, दिल्ली के साथ मिलकर एमसीडी का टोल टेंडर लिया था लेकिन इस बीच उसे जेल हो गई। उसके सहयोगी ने प्रियव्रत को एमसीडी टोल की कमाई में से हिस्सा नहीं दिया, जिसके लिए वह सहयोगी को खत्म करना चाहता था। वह गांव- कुतुबगढ़, दिल्ली में ए-वन इलेक्ट्रॉनिक्स शोरूम से पैसे ऐंठना चाहता था।
आरोपी प्रियव्रत और अक्षय पालदा की निशानदेही पर एक और चोरी की मोटरसाइकिल और पांच जिंदा कारतूस के साथ एक डबल बैरल देशी पिस्तौल भी बरामद की गयी है ।
गिरफ्तार अभियुक्तों का ब्यौरा 
1. आरोपी सन्नी @ परवीन @ शिव, 25 वर्ष गांव फिरोजपुर बांगर, सोनीपत, हरियाणा का रहने वाला है | वह अविवाहित है | वह दिल्ली के बवाना में धरम काटा में काम करता था। वह प्राथमिकी संख्या 427/19 धारा 302/34 थाना कुंडली, हरियाणा में शामिल रहा है | जेल अवधि के दौरान वह अंकित सोहती के संपर्क में आया था।
2. आरोपी आशु @ प्रवेश, 20 वर्ष, गांव कुतुबगढ़, दिल्ली रहने वाला है व बेरोजगार है। वह बेरोजगार है व 10 कक्षा तक पड़ा है |
3. आरोपी सन्नी @ प्रिंस, 19 वर्ष, निवासी वीपीओ- कटेवारा, दिल्ली का रहने वाला है | वह बेरोजगार है व 10 वी कक्षा तक पढ़ा है |
इसकी गिरफ़्तारी से अनेक संगीन अपराध और मर्डर होने से पहले ही उनका बचाव कर लिया गया|

गैंग लीडर्स/सरगना की प्रोफाइल
1. आरोपी सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार पंजाब में दर्ज विभिन्न आपराधिक मामलों में वांछित अपराधी है। वह फरीदकोट जिले,  पंजाब का रहने वाला है। और अब विदेश भागा हुआ है । वह अब जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नेतृत्व वाले आपराधिक गिरोह का प्रमुख सदस्य है। बिश्नोई गिरोह के सदस्यों पर हाल ही में दर्ज आपराधिक मामलों की जांच से पता चला है कि चूंकि लॉरेंस बिश्नोई हिरासत में है और जेल में बंद है, इसलिए यह आपराधिक गिरोह भारत के बाहर से संचालित किया जा रहा है। सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार हाल ही में हुई गैंगवार से संबंधित बिश्नोई गिरोह द्वारा की गई हत्याओं और विभिन्न जबरन वसूली के मामलों में सीधे तौर पर शामिल है। वह अपने गिरोह की गतिविधियों का समन्वय करता है, लक्ष्यों की पहचान करता है, गिरोह के सदस्यों को विशेष अपराध के लिए नियुक्त करता है और उनके लिए हथियारों और वित्तीय व्यवस्था करता है। इस तरह सतविंदरजीत सिंह भारत के बाहर से अपने गैंग के लिए कंट्रोल रूम की तरह काम कर रहा है। बिश्नोई गैंग और बंबीहा गैंग के बीच हाल ही में हुए गैंगवार को विदेश से सतविंदरजीत सिंह द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। 10 अक्टूबर, 2020 को चंडीगढ़ में बंबीहा गैंग के शूटरों द्वारा सतविंदरजीत सिंह के चचेरे भाई गैंगस्टर गुरलाल बरार की हत्या के कारण इन दो समूहों के बीच गैंगवार की शुरुआत हुई। सतविंदरजीत सिंह ने प्रतिद्वंद्वी बंबीहा गिरोह द्वारा अपने चचेरे भाई की हत्या का बदला लेने की कसम खाई। इस उद्देश्य के लिए, उसने अपने गिरोह के सदस्यों को लामबंद किया था और उन्हें अपने चचेरे भाई की हत्या में सीधे तौर पर शामिल लोगों को निशाना बनाने के लिए नियुक्त किया था। बिश्नोई गिरोह द्वारा इन लक्षित हत्याओं और बंबीहा गिरोह द्वारा प्रतिशोध के कारण पंजाब में एक गिरोह युद्ध हुआ था जिसमें लगभग 7 गैंगस्टर और उनके सहयोगी विभिन्न हमलों में मारे गए थे। सतविंदरजीत सिंह उन लोगों को निशाना बना रहा है जिन्हें वह अपने चचेरे भाई गुरलाल बरार की हत्या के लिए जिम्मेदार मानता है। इसके अलावा सतविंदरजीत सिंह पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में बिश्नोई गिरोह द्वारा की गई जबरन वसूली को इकठा करता  है।

2. आरोपी लॉरेंस बिश्नोई पुत्र लविंदर बिश्नोई ने वर्ष 2007 में पंजाब विश्वविद्यालय के विधि विभाग में प्रवेश लिया जहां उसकी दोस्ती खालसा कॉलेज, चंडीगढ़ के छात्र संपत नेहरा निवासी चूरू और वीरेंद्र उर्फ काला राणा निवासी यमुनानगर से हुई। वर्ष 2008 में यूनिवर्सिटी चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए प्रचार करते समय लॉरेंस बिश्नोई विपक्षी प्रत्याशी से उलझ गए और अपने दोस्त की रायफल से उन पर गोली चला दी । इसके लिए लॉरेंस बिश्नोई को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 के तहत गिरफ्तार किया गया और 1-2 महीने बुडेल जेल में रहा । इसके बाद वर्ष 2012 में जब तक लॉरेंस बिश्नोई ने अपनी कानून की डिग्री पूरी नहीं की, तब तक वे अपनी पार्टी SOPU के माध्यम से सक्रिय रहे और विभिन्न हिंसक घटनाओं के लिए जेलों में नियमित रूप से आते रहे। वर्ष 2013 में उनकी पार्टी के उम्मीदवार बालकरण सरकारी कॉलेज मुक्तसर में अध्यक्ष पद के लिए दौड़ में शामिल थे और उनके विपरीत उम्मीदवार अवतार की गोल्डी बरार द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। लॉरेंस बिश्नोई 2014 से 2016 तक राज्य की विभिन्न जेलों से आता-जाता रहा, जहां वह विभिन्न गैंगस्टरों से मिलता रहा और अवैध हथियारों के व्यापार, संरक्षण धन के कारोबार, अवैध शराब की तस्करी और जबरन वसूली में अपनी उपस्थिति बढ़ाता रहा। लॉरेंस बिश्नोई जेलों के अंदर से अपना कारोबार चलाने में माहिर हो गया है। वर्ष 2016 में उसे जेल अधीक्षक पर हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसने डबावली कोर्ट में छोटू भात निवासी वीपीओ छोटाला, हरियाणा की हत्या की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। 2017 में उसने हरियाणा के स्थानीय गिरोहों से सांठगांठ कर अपनी ताकत बढ़ाई। उसने जोधपुर और राजस्थान के अन्य स्थानों में जबरन वसूली शुरू कर दी। उसने राजस्थान की जेलों में तस्करों और अनंत पाल सिंह के गिरोह के साथ सांठगांठ की। उसने अपने प्रतिद्वंद्वी गिरोहों की हत्याओं की एक श्रृंखला की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। उन्हें वासुदेव ईरानी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था और जोधपुर कोर्ट लाया गया था जहां उन्होंने अभिनेता सलमान खान को देखा था, जो काले हिरण शिकार मामले में उनकी अदालत में सुनवाई के लिए आए थे। उसने सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी थी। उसे उस वक्त झटका लगा जब उसका गैंगस्टर अंकित भादू पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। उसने अपने गिरोह के सदस्यों को भारत से बाहर भेजने की साजिश रची ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रमुख सदस्य जेलों में होने पर भी उसका कारोबार निर्बाध रूप से चलता रहे। काला राणा और गोल्डी बराड़ ,जिन्हें अपनी आपराधिक गतिविधियों को चलाने के लिए विदेश भेजा गया था। गिरोह ने राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में तस्करों से रंगदारी वसूलना शुरू कर दिया और भुगतान करने से इनकार करने वाले व्यापारियों पर गोलियां चला दीं। जेलों के अंदर रहते हुए भी वह वीडियो कॉल और इंटरनेट आधारित सेवाओं के जरिए अपने गिरोह की गतिविधियों को नियंत्रित करता था |
3. आरोपी संदीप झांझरिया उर्फ काला जठेड़ी पुत्र राजेंद्र सिंह निवासी गांव-जठेड़ी, जिला-सोनीपत, थाना-राय, हरियाणा का जन्म 1983 में हुआ था। उसने 12वीं तक की पढ़ाई सोनीपत, हरियाणा से की है। अपने स्कूल के दिनों में वे कुछ बुरे तत्वों के संपर्क में आ गए थे। बचपन के दोस्त पवन और राजेश ने उसे राजू बसोदी से मिलवाया। जेल की अवधि के दौरान उनकी मुलाकात अनिल छिप्पी, सुनील नहरिया, नरेश सेठी, राकेश उर्फ राका, मनीष (कौशल के भाई), अमित डागर और संदीप उर्फ बंदर से हुई और वह अपराध की दुनिया में शामिल हो गया व उसने एक बड़ा गिरोह बना लिया और जेल में रहकर अपने साथियों से रंगदारी वसूलने लगा। वर्ष 2016 में नरेश सेठी ने उन्हें लॉरेंस और संपत नेहरा से मिलवाया। गिरोह ने हत्याएं कीं और इस तरह लॉरेंस बिस्नोई दिल्ली-एनसीआर में अन्य गिरोहों के संपर्क में आया। गठित गिरोह लॉरेंस बिस्नोई, संपत नेहरा, काला जठेडी और नरेश सेठी से निर्देश लेता था। जनवरी 2020 में उसने लॉरेंस बिश्नोई के साथ मिलकर पुलिस हिरासत से भागने की योजना बनाई। 1 फरवरी 2020 को, संदीप उर्फ काला जठेडी जेल वैन से भाग गया जब उसके साथी नरेश उर्फ सेठी, कपिल झज्जर, रवि भोला, विकास भड़ाना और 4-5 नाबालिगों ने जेल वैन पर अंधाधुंध गोलियां चलायीं । काला जठेड़ी, नरेश सेठी और लॉरेंस बिश्नोई का यह गिरोह दिल्ली में बहुत सक्रिय हो गया और पहले से कुख्यात गोगी गिरोह को अपने साथ मिला लिया। 

4. अभियुक्त संपत नेहरा निवासी कलोरी, राजगढ़, राजस्थान ने संपत नेहरा का बचपन से ही एथलेटिक में रुझान था और उन्होंने कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पदक जीते थे। विश्वविद्यालय में उनकी मुलाकात लॉरेंस बिश्नोई से हुई और  वह लॉरेंस बिश्नोई समूह का  हिस्सा बन गया |

5. आरोपी नरेश सेठी निवासी झज्जर, हरियाणा भी अपने गिरोह का सरगना है और उसने वर्ष 2006 में पॉलिटेक्निक पूरा करने के बाद में, अपराध की दुनिया में प्रवेश किया और अपने साथियों के साथ दिल्ली से डकैती के मामले में गिरफ्तार किया गया। तिहाड़ जेल में बंद संदीप उर्फ कला जठेड़ी और अनिल छीपी के संपर्क में आया। वर्ष 2011 में वह आरोपी राजकुमार उर्फ राजू बसौदी, सुनील उर्फ बांदा समेत अन्य के संपर्क में आया। इसके बाद उसने दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में हत्याएं और डकैती जैसी वारदातों को अंजाम दिया । उसने अपने साथियों के साथ अपने बहनोई राजेश की भी हत्या कर दी क्योंकि राजेश ने इसकी बहन की हत्या की थी।
वर्ष 2012 में, उसने अपने साथियों के साथ एक जेल पुलिस वैन को रोका और जेल वैन के अंदर दिलबाग और फौजी की हत्या कर दी क्योंकि अनिल छीपी की उनसे दुश्मनी थी। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया और रोहतक जेल भेज दिया गया, जहाँ वह संदीप उर्फ काला जठेड़ी गिरोह का एक महत्वपूर्ण सदस्य बन गया। फिर वह अपने साथियों के माध्यम से अपराध करने लगा। जेल में बंद रहने के दौरान उसने हत्याएं कराईं और फिरौती के कॉल किए।
वर्ष 2016 में गुरुग्राम जेल में उसकी मुलाकात दीपक उर्फ टीनू भवानी से हुई, जो लॉरेंस बिश्नोई-संपत नेहरा गैंग का सदस्य था। दीपक ने उसे लॉरेंस बिश्नोई से मिलवाया और वह लॉरेंस बिश्नोई के संपर्क में आया। फिर इसने संदीप उर्फ काला जठेड़ी से उनका परिचय कराया।
साल 2017 में संपत नेहरा ने पुलिस पार्टी पर हमला कर टीनू भिवानी को पंचकूला में हरियाणा पुलिस की हिरासत से छुड़ा लिया था । इस गिरोह ने दिल्ली एनसीआर में कई हत्याएं की और इस तरह लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के संपर्क में आया। कई अपराधी जैसे अक्षय पालदा, भांडू करोड़ और अन्य भी उनके गिरोह में शामिल हो गए और कई हत्याएं की। नवगठित गिरोह लॉरेंस बिश्नोई, संपत नेहरा, काला जठेड़ी और नरेश सेठी से निर्देश लेता था।
आरोपी नरेश वर्ष 2019 में सफदरजंग अस्पताल जाने के दौरान हरियाणा पुलिस की हिरासत से फरार हो गया था। उसके भागने के लिए लॉरेंस बिश्नोई द्वारा काला राणा और राजू बसौदी के माध्यम से व्यक्तियों की व्यवस्था की गई थी।
साल 2020 में लॉरेंस बिश्नोई और संपत नेहरा ने उसे पुलिस वैन पर हमला करने और संदीप उर्फ कला जठेड़ी को पुलिस वैन से छुड़ाने के लिए कहा। उसने अपने साथियों के साथ गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड पर पुलिस वैन पर हमला कर दिया और नरेश खुद पुलिस की गिरफ्त में आ गया | वर्तमान में उसका एक रिश्तेदार अक्षय, जो विदेश में रह रहा है, वह अन्य सहयोगियों के माध्यम से व्यवसायियों पर फायरिंग कर डराते हैं व रंगदारी मांगते है ।

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