(16/12/2023) 
दिव्याँग जन अधिकारों का ध्यान रखें मंच न सजाएं
विश्व में 1 अरब दिव्यांग जन हैं। उनमें से 80% विकासशील देशों के नागरिक हैं। बीते दिनों विश्व दिव्यांग दिवस मनाया गया ।

देश भर में केवल मंचीय भाषण -बाजी के अलावा कहीं कोई ठोस जमीनी स्तर पर कार्य नजर नहीं आते जबकि  मौजूदा प्रधान मंत्री जी के विशेष प्रयास से संसद ने दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 पारित कर दिया है। इस अधिनियम के अंतर्गत आज तक ऐसे कोई मामले प्रकाश में नहीं आए हैं जबकि अधिकारों की जानकारी के अभाव में अभिभावक एवं स्वयं दिव्यांग जन  अधिकारों का लाभ उठा सके हों। दिव्यागों के शोषण के विरुद्ध न तो सामाजिक कार्यकर्ता जागरूक एवं तेजी से सक्रिय हैं न ही जिम्मेदार व्यवस्था। केवल एयरलाइंस कंपनियों एवं रेल विभाग को छोड़ कर शेष स्थानों में सुगम आवाजाही संभव नहीं है। 
   दिव्यांग कल्याण आयोग के गठन अवश्य हुआ है पर दिव्यांग जनों की भागीदारी या तो नहीं है अथवा न के बराबर है। 
ठोस उपलब्धि के बिना सब कुछ एक अधूरा एवं उपेक्षित है। 
विश्व में दिव्यांग जन के लिए हर वर्ष एक दिन नियत है -
4 जनवरी: विश्व ब्रेल दिवस 

21 मार्च: विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस 

2 अप्रैल: विश्व ऑटिज़्म दिवस

23 सितंबर: अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 

3 दिसंबर विश्व दिव्यांग दिवस 

   भारत में जन्मजात दिव्यांंग , सीमा पर घायल हो कर हुए दिव्यांंग, दुर्घटनाओं से हुए दिव्यांग कम नहीं हैं। परंतु उनके लिए सामाजिक एवं व्यवस्था गत रवैया केवल संवेदनात्मक है उनके सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

इस बार चुनाव आयोग ने दिव्यांग एवं बुजुर्ग मतादातों के लिए जो कार्य किया उसकी सराहना आवश्यक है। परंतु हर विभाग को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।

 भारत सरकार ने दिव्यांगो के लिए यूनिक आई डी बनाया है परंतु उससे क्या लाभ हैं या क्या सुविधा मिलेगी किसी को जानकारी नहीं। 
  सरकारी एवं निजी क्षेत्र की बैंकों में लाइन लगाना आज भी देखा जा सकता है। 
    दिव्यांगों के लिए  दिव्यांग सशक्तिकरण के लिए केवल मंचीय कार्यक्रम तक सीमित रहना गलत है। दिव्यांग जनों के प्रति केवल दिखावा नहीं किया जाना चाहिए।
  दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों को सम्पूर्ण रूप से लागू करने उसे जन जन तक विस्तारित करने के लिए जिस प्रकार की खाना पूर्ति की जाती है वह दिव्यांगता  के सहारे केवल मंचीय प्रदर्शन के  अलावा कुछ नहीं।
   लुइस ब्रेल, हेलेन केलर, स्टीफन हॉकिंग, सूरदास अष्टावक्र जैसे उदाहरण हैं जो दिव्यांग आइकन हैं। 
 
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
लेखक एवम विचारक सोशल मीडिया एक्टिविस्ट
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