(27/12/2023) 
गणतंत्र दिवस झांकी में सिलक्यारा टनल में जान बचाने वाले श्रम वीर रैट माइनर्स को शामिल करने और उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित करने का आग्रह - दयानंद वत्स
नेशनल चाइल्ड एंड वूमेन डेवलपमेंट चेरिटेबल ट्रस्ट दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिक्षाविद् दयानंद वत्स भारतीय ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को आज एक्स पर पोस्ट कर उनसे 2024 के गणतंत्र दिवस समारोह में उत्तराखंड की झांकी में सिलक्यारा टनल में 17 दिनों से फंसे 41मजदूरों की जान बचाने वाले श्रम वीर रैट माइनर्स को शामिल करने और उन्हें वीरता पुरस्कार से सम्मानित करने का आग्रह किया है।

वत्स ने कहा कि इन रैट माइनर्स ने टनल में फंसे मजदूरों की ही जान ही नहीं बचाई है बल्कि उत्तराखंड राज्य की सरकार और भारत सरकार दोनों की ही साख भी बचाई है। जो काम अत्याधुनिक मशीनों से ना हो पाया उसे रैट माइनर्स ने अपने हाथों और अपने बुलंद हौसलों से पूरा कर दिखाया है। वत्स ने कहा कि इन रैट माइनर्स को जो सम्मान मिलना चाहिए था वह उन्हें नहीं मिला। इसलिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को चाहिए कि वह सभी रैट माइनर्स को एक-एक करोड़ की सम्मान राशि, प्रधानमंत्री आवास योजना से सभी को आवास, उज्ज्वला योजना से गैस चूल्हा और सिलैंडर , प्रधानमंत्री आयुष्मान हैल्थ कार्ड, अंत्योदय राशनकार्ड और जीवन पर्यन्त जीवन बीमा पालिसी, उनके बच्चों को शिक्षा की व्यवस्था करके अपना राजकीय कर्तव्य का निर्वहन अविलंब करें। वत्स ने कहा कि अगर टनल में फंसे 41 मजदूरों को कुछ हो जाता तो मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की कुर्सी भी नहीं बचती और देश की किरकिरी होती वो अलग से। राहत राशि ही करोड़ों में देनी पड़ती सो अलग। अब जब रैट माइनर्स ने सिलक्यारा टनल आपरेशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया तो रैट माइनर्स के योगदान को सी. एम धामी जी ने  50-50 के चैक देकर निपटा दिया। जिससे रैट माइनर्स खासे नाराज हैं। वत्स ने कहा कि क्योंकि रैट माइनर्स समाज के बहुत ही गरीब तबके से आते हैं इसलिए उन्हें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सस्ते में  निपटा कर वाहवाही तो लूटी ही अपनी कुर्सी भी बचा ली। प्रधानमंत्री जी की नजरों में भी चढ़ गये। लेकिन जिन गरीब  रैट माइनर्स ने 17दिनों से टनल में फंसे 41मजदूरों की जान बचाई, देश और प्रदेश का मान-सम्मान, स्वाभिमान बचाया उन्हें समुचित सम्मान तो दिया ही जाना चाहिए।
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