(19/07/2014) 
मीडिया कर्मियों के संगठित प्रयास ही उन्हें शोषण से बचा सकते हैं- संजय राठी
नई दिल्ली, 19 जुलाई। मीडिया कर्मियों के संगठित प्रयास ही उन्हें शोषण से बचा सकते हैं। ठेका प्रथा के चलते पत्रकारिता की शुचिता प्रभावित हुई है। बाजारवाद की प्रवृत्तियों के चलते मीडिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है।

उक्त उद्गार नेशनल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय राठी ने विजयवाड़ा, आंध्रप्रदेश के हाईलैंड रिसोर्ट परिसर में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि तमाम प्रयासों के बावजूद पेड न्यूज की प्रवृत्ति बढ़ रही है। जिसके कारण मीडिया की साख गिरी है। जिसका प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय राठी ने अपने संबोधन में कहा कि मजीठिया वेज बोर्ड की रिपोर्ट को लागू करने के उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बावजूद लागू न हो पाना गंभीर एवं चिंताजनक विषय है। जिसका सीधा प्रभाव जनपक्षीय पत्रकारिता पर पड़ रहा है। प्रबंधन की शोषण की प्रवृत्तियों पर सरकार के नियम और कानून निष्प्रभावी हैं।
संजय राठी ने कहा कि पूरे देश देश में पत्रकारों पर हमले बढ़ रहे हैं। अनेक मामलों में शासन प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहा है। पूरे देश में लगातार जर्नलिस्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट बनाने की मांग उठ रही है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हो पाई है। इस मांग के समर्थन में पूरे देश में एक सशक्त आंदोलन की आवश्यकता है।
एनयूजे की दो दिवसीय बैठक मंे देश भर से 150 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। हरियाणा से यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष संदीप मलिक, कार्यकारिणी के विशेष आमंत्रित सदस्य सुरेंद्र दुआ, अजय भाटिय तथा विपुल कौशिक भाग ले रहे हैं।
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