(02/09/2014)
अंतागढ उपचुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग से कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल नें मुलाकात की
रायपुर/02 सितंबर 2014। अंतागढ़ उपचुनाव के संदर्भ में शिकायत लेकर भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने 2 सितंबर मंगलवार को दोपहर 12 बजे मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव, प्रदेश कांग्रेस सचिव पंकज महावर और कांकेर जिला अध्यक्ष नरेश ठाकुर शामिल थे।
भारत निर्वाचन आयोग को कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौपे
गये ज्ञापन में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा की अंतागढ़ विधानसभा सीट के लिये उपचुनाव की प्रक्रिया चल रही है और 13 सितंबर
को मतदान होगा। नामांकन के
अंतिम दिन कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार और कांग्रेस की डमी प्रत्याशी सविता पवार सहित 14 प्रत्याशियों
ने नामांकन दाखिल किया था।
स्क्रूटनी
के दिन केवल एक प्रत्याशी, कांग्रेस
की डमी प्रत्याशी सविता पवार का नामांकन इस बिना पर निरस्त किया गया कि डमी प्रत्याशी
द्वारा बी फार्म जमा नहीं
किया गया था जो कि पूरी तरह से गलत था क्योंकि डमी प्रत्याशी के नामांकन को
रद्द करने का यह आधार नहीं बनाया जा सकता है।
नामांकन
पत्र का यह निरस्तीकरण चुनाव चिन्ह आरक्षण और आदेश 1968 आबंटन 13
(इ)(ब)(म)
और 13 । के प्रावधानों के विपरीत था। हमारे बार-बार आग्रह के बाद कांग्रेस के डमी उम्मीदवार का नामांकन निरस्त कर दिया गया।
भारतीय कांग्रेस के डमी प्रत्याशी का नामांकन राज्य की भाजपा सरकार के
कहने पर निर्वाचन अधिकारी के द्वारा किया
गया।
पूरा
जिला प्रशासन सत्ताधारी दल भाजपा की यूनिट के रूप में काम कर रहा था। कांकेर के पुलिस अधीक्षक ने यह सुनिश्चित किया कि सभी निर्दलीय प्रत्याशियों
को इकट्ठा कर निर्वाचन अधिकारी के समक्ष लाकर नामांकन वापसी के लिये मजबूर किया जाये।
यह
इस बात से स्पष्ट है कि भारतीय कांग्रेस के प्रत्याषी के नाम वापस लेने के एक दिन के ही अंदर 10 निर्दलीय
प्रत्याशियों के
नामांकन वापस करवा लिये गये। बचे दो
प्रत्याशियों में, अंबेडकराइट पार्टी के प्रत्याशि के सार्वजनिक
रूप से भाजपा के ऊपर जिला प्रशासन
और सरकारी मशीनरी का
दुरूपयोग कर नाम वापसी के लिये दबाव बनाने
का आरोप लगाया। भाजपा ने पूरी सरकारी मशीनरी
लगाकर यह कोशिश की वाकओवर
मिल जायें और चुनाव न हो। सत्ता के इस दुरूपयोग
के कारण पूरी प्रजातांत्रिक प्रक्रिया को मखौल बना दिया गया और अंतागढ़ की चुनाव की पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से बोगस हो गयी
है।
कांकेर
जिला प्रशासन की मनमानी इसी बात से उजागर हो जाती है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को भी नहीं छोड़ा गया। राष्ट्रीय मान्यता
प्राप्त राजनैतिक पार्टी और प्रमुख
विपक्षी दल की राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में कांकेर
में 29 अगस्त की शाम से लेकर 30 अगस्त को
सुबह तक उन्हे कांकेर जिला पुलिस द्वारा
होटल के कमरे में तक सीमित रखकर नजरबंद रखा गया। जिस होटल
में वे रूके थे उसकी बिजली काट दी गयी। यदि एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनैतिक दल के प्रदेष अध्यक्ष के साथ यह सब किया जा
सकता है तो सत्ताधारी दल और स्थानीय प्रषासन
द्वारा निर्दलीय एवं छोटे राजनैतिक दलों के
साथ क्या किया गया, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
जिन
प्रत्याशियों ने
नामांकन भरा उनमें से एक नामांकन निरस्त किया गया और 10 नामांकन वापस
करवा लिये गये ताकि भाजपा प्रत्याशी
के लिये फील्ड खुला छोड़ दिया
गया। यह सब सत्ताधारी के इशारों पर जिला प्रशासन की सक्रिय भागीदारी के साथ संपन्न कराया गया।
इन
परिस्थितियों में भारत निर्वाचन आयोग से मामले का संज्ञान लेकर चुनाव निरस्त किये जाने और जिला एवं पुलिस प्रशासन पर कड़ी कार्यवाही की मांग की गयी।
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