(20/09/2014) 
ताजगी भरी प्रेम कहानी है जिगरिया- विनोद बच्चन
रेन, तनु वेडस मनु, जिला गाजियाबाद के बाद अब निर्माता विनोद बच्चन एक नई ताजगी भरी प्रेम कहानी श्जिगरियाश् लेकर आपके समक्ष 10 अक्टूबर को हाजिर हो रहे हैं। विनोद की संजय दत्त स्टारर जिला गाजियाबाद बॉक्स ऑफिस पर कोई करिष्मा नहीं दिखा पाई, उसके बाद नए चेहरों को लेकर लव स्टोरी बनाने का खतरा मोल लेना किसी चुनौती से कम नहीं था। फिर भी ये चुनौती विनोद ने स्वीकारी और एक खूबसूरत संगीतमय प्रेम कहानी का निर्माण कर दिया। विनोद बच्चन से हमनें इस फिल्म और उनकी भविष्य की योजनाओं पर बातचीत की, प्रस्तुत हैं मुख्य अंष----

--नई स्टार कास्ट को लंकर एक प्रेम कहानी बनाना आपको रिस्की नहीं लगा?
-- दरअसल, ये प्रेम कहानी एक सच्ची घटना से प्रेरित है और ये घटना मेरे दिल के करीब रही है। मैं पहले ही इस पर फिल्म बनाता मगर मुझे लगा, षुरू में ऐसा रिस्क लेना ठीक नहीं, इसीलिए आज तीन फिल्मों के बाद मैं ये साहस कर पाया। जहॉं तक नई स्टारकास्ट की बात है तो लव स्टोरीज हमेषा नए चेहरों से ही हिट हुई है। चाहे वो लवस्टोरी हो, मैंने प्यार किया हो, कयामत से कयामत तक हो, आषिकी हो। प्रेम कहानी हमेषा ताजगी मांगती है। इसीलिए हमनें भी नए चेहरांे को ब्रेक दिया है।
--लव स्टोरीज के हिट होने में बहुत बडा हाथ रहा है गीत संगीत का?
-- जी हॉं, हमनें भी इस चीज पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया। फिल्म के गीत आपको जरूर ताजगी का एहसास करायेंगे। फिल्म में एग्नल फैजान का संगीत है। फिल्म में जावेद अली, प्राजक्ता षुक्रे, ऐष्वर्या मजुमदार इन गायकों के साथ-साथ पाकिस्तानी गायक जावेद बषीर ने भी एक गीत गाया है।
---फिल्म के लिए आपने नायक-नायिका का चुनाव कैसे किया?
-- इसके लिए हमें काफी मषक्कत करनी पडी। कम से कम 50 लडकों का और 100 लडकियों का ऑडिषन करने के बाद ही हमें ये जोडी मिली। दरअसल, हमें ऐसा लडका चाहिए था जो ष्याम लगे और ऐसी नडकी चाहिए थी जो राधा लगे। दोनों का चुनाव हुआ फिर 8-10 ऑडिषन किए गए। तब जाकर ये जोडी फाइनल हुई।
--सुना है आप हिरो बनने का इरादा लेकर मुंबई आए थे?
--आपने बिल्कुल ठीक सुना है, मगर मैंने अपने अंदर के एक्टर को कब का निकाल कर बाहर फेंक दिया है। अगर एक्टर की हट रखता तो आज मैं इस मुकाम पर नहीं पहुंचता। मैंने एक-दो फिल्मों में एक्टिंग की भी थी। फिर मुझे स्वयं को तराषना था तो मैंने 16 फिल्मों में बतौर सहायक निर्देषक भी काम किया। लेकिन तब तक मुझे संघर्ष करते-करते ये पता चल गया कि इस लाइन में रहना है तो एक पेरेलल बिजनेस जरूरी है, सो मैंने प्रॉपर्टी का बिजनेस षुरू किया। आज मैं दोनों जगहों पर काम कर रहा हुं।
---भविष्य की क्या योजनाएं हैं? क्या एक्टर या डायरेक्टर बनने का भी इरादा रखते हैं?
--एक्टिंग को तो मैं भूल चुका हुं। भविष्य में निर्देषन जरूर करूंगा। मगर अभी मैं निर्माण में ही ध्यान दे रहा हूं। मैं बतौर निर्माता दिल्ली का ठग और जस्सी वेडस जस्सी, इन दो फिल्मों पर काम कर रहा हूं। जोकि नए वर्ष यानि 2015 में षुरू होंगी।
---सुना है आप कडा संघर्ष कर यहॉं तक पहंुचे हैं, अपनी सफलता को श्रेय किसे देना चाहेंगे?
--ईमानदारी और कडी मेहनत को मैं अपनी सफलता को श्रेय दंूंगा। मैं जब मुंबई आया था तो एक फोटो स्टूडियो में मैंने बॉय का काम किया था और उसके बाद संघर्ष करते-करते यहॉं तक पहंुचा हूं।

    
देवेन्द्र खन्ना
 
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