(29/09/2014) 
छटे नवरात्र पर मां की पूजा कात्यायनी देवी के रुप में होती है
माता के छठे रुप को माता कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि ऋषि कात्यायन के घर जन्म लेने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। वही कुछ लोगों का मानना है कि

 पूर्व काल में माँ कत नमक ऋषि के पुत्र कात्यायन की अपार भक्ति से प्रसन्न हो कर प्रगट हुई इसी कारन श्री माँ को कत्यानी के नाम से जाना गया, महिषासुर मर्दिनी माँ कात्यानी सदेव ही दीन हीन व् सत्य निष्ठ प्राणियों की रक्षा करती है श्री माँ परम फल दायनी व् मोक्ष सुख कारिणी है. आज के दिन भक्त श्री माँ की उपासना कर मन की परिपूर्ण गति को प्राप्त करते है जो जीव के कल्याण की परिपूर्ण सीमा है.
 माता कात्यायनी ने ही देवी अंबा के रुप में महिषासुर का वध किया था। इनकी पूजा करने से भक्तों को धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। निस्वार्थ भाव से माता की पूजा निर्बल को भी बलवान बनता है। गोधूली बेला में माता की पूजा होती है।   श्री माँ कात्यानी की उपासना के नाम से जाना जाता है   कहा जाता है कि मां को इस मंत्र से खुश किया जाता है

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यानी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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