(14/11/2014)
इस्पात एवं खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आईआईटीएफ में स्टील पवेलियन का उद्घाटन किया
केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज यहां प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) में स्टील पवेलियन का उद्घाटन किया। इस्पात एवं खान राज्य मंत्री श्री विष्णु देव साय, इस्पात सचिव श्री राकेश सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए श्री तोमर ने कहा, भारत विश्व में कच्चे इस्पात का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत के जल्द ही कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन जाने की आशा है। भारत ने विश्व में स्पांज आयरन के सबसे बड़े उत्पादक के तौर पर अपना रूतबा बरकरार रखा है। घरेलू इस्पात निर्माता देश में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को मजबूत कर और रोजगार अवसर सृजित कर आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। स्टील क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तकरीबन दो फीसदी का योगदान करता है और इसमें छह लाख से भी ज्यादा लोग कार्यरत हैं। तैयार इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत लगभग 60 किलो है। गांवों में इसकी प्रति व्यक्ति खपत तकरीबन 10 किलो है, जिससे भावी विकास के संकेत मिलते हैं। इसके साथ ही देश के औद्योगिक विकास में इसके द्वारा निभाई जा रही अहम भूमिका भी सराहनीय है। आईआईटीएफ के 34वें संस्करण का आयोजन भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन कर रहा है। नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में आईआईटीएफ का आयोजन 14 नवम्बर से लेकर 27 नवम्बर, 2014 तक होगा। पिछले कई वर्षों से इस्पात मंत्रालय आईआईटीएफ में इस्पात पवेलियन लगा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में इस्पात उद्योग के विकास को दर्शाना है। इस साल भी इस्पात मंत्रालय के केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रम (सीपीएसई) जैसे सेल, आरआईएनएल, एनएमडीसी, मॉयल, मेकॉन, केआईओसीएल, एमएसटीसी, एफएसएनएल तथा एचएससीएल के अलावा निजी स्टील कंपनियों मसलन, टाटा स्टील और जेएसपीएल के साथ संयुक्त प्लांट समिति ने आपस में हाथ मिलाया है ताकि भारत को मजबूती सुनिश्चित करने में इस्पात की ताकत को स्टील पवेलियन में दर्शाया जा सके। इस साल मेले की थीम महिला उद्यमिता है। इस्पात पवेलियन में लगाए गए विभिन्न स्टॉल न केवल इस्पात क्षेत्र की संबंधित कंपनियों द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों एवं योगदान को दर्शा रहे हैं, बल्कि इस्पात क्षेत्र में महिला कर्मचारियों के योगदान को भी रेखांकित कर रहे हैं। ये स्टॉल कंपनियों के सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत विभिन्न गतिविधियों पर भी प्रकाश डाल रहे हैं जिनमें महिलाओं का कौशल विकास भी शामिल है। किसी भी समाज में महिलाओं की स्थिति एवं उनका दर्जा इसकी सभ्यता का सूचकांक है। उद्यमिता से किसी भी महिला की वित्तीय आजादी के साथ-साथ स्वाभिमान भी बढ़ता है। बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी उद्यमिता में सुनिश्चित करने की जरूरत है ताकि न केवल उनके विकास अवसर बढ़ें, बल्कि देश के विकास में उनका योगदान भी अपेक्षाकृत ज्यादा हो। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013-14 के दौरान देश में कच्चे इस्पात की क्षमता 101 मिलियन टन थी तथा कच्चे इस्पात का उत्पादन 81.69 मिलियन टन के आंकड़े को छू गया। भारत तैयार इस्पात का एक शुद्ध निर्यातक है और वर्ष 2013-14 में कुल मिलाकर 5.98 मिलियन टन तैयार इस्पात का निर्यात हुआ। |
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