(04/01/2015) 
महिला सशक्तिकरण की दिशा में हिमाचल के मजबूत कदम
समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण को सुनिश्चित बनाने के अपने प्रयासों में प्रदेश में वर्तमान कांग्रेस सरकार ने इन वर्गों के उत्थान के लिए अनेक ठोस कदम उठाए हैं तथा प्रदेश में विभिन्न योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है।

राज्य की कुल आबादी का लगभग पचास प्रतिशत संख्या वाले है महिला वर्ग के सशक्तिकरण पर प्रदेश सरकार विशेष बल दे रही है। राज्य सरकार महिलाओं को हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ बराबरी पर अवसर प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है ताकि वे गति कर सकें और आत्म सम्मान व गरिमा के साथ जीवनयापन कर सकें।

प्रदेश सरकार का मत है कि कोई भी समाज लड़कियों को गुणवत्तापरक शिक्षा के अवसर और उचित सम्मान दिए बिना प्रगति नहीं कर सकताा। इस मूल धारणा के साथ प्रदेश सरकार ने लड़कियों के हित के लिए अनेक कल्याणकारी निर्णय लिए हैं।

महिला कल्याण एवं बच्चों के समग्र विकास के लिए अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए गए हैं। प्रदेश में अलग से महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यरत है, जो उन्हें समय पर उचित लाभ प्रदान करना सुनिश्चित बना रहा है। इसके अतिरिक्त वर्तमान सरकार ने अलग से महिला कल्याण बोर्ड का गठन भी किया है, ताकि उनका सामाजिक आर्थिक कल्याण सुनिश्चित बनाया जा सके।

गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बेटी है अनमोल योजना को प्रभावी तरीके से किया जा रहा है। इसके अंतर्गत कन्या के जन्म पर 10 हजार रुपये की राशि 18 वर्ष की आयु तक बेटी के नाम डाकघर में जमा करवाई जाती है और बालिग होने पर वही इस राशि को निकाल सकती है।यह लाभ दो कन्याओं के जन्म तक प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त कन्याओं की शिक्षा के लिए पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक 300 रुपये से 1500 रुपये तक वार्षिक छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत गत दो वर्षों के दौरान 997.75 लाख रुपये व्यय कर 21851 कन्याओं को लाभान्वित किया गया है।

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत बेसहारा लड़कियों एवं जिनके पिता शारीरिक/मानसिक असमर्थता के कारण आजीविका कमाने में असमर्थ हैं तथा परित्यक्त/तलाकशुदा महिलाओं की पुत्रियों को विवाह के समय अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इस योजना के तहत 25 हजार रुपये की राशि प्रदान की जा रही है। इस योजना से दो वर्षों के दौरान 1591 लड़कियों को 218.69 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई। प्रदेश में विधवा पुनर्विवाह योजना भी कार्यान्वित की जा रही है, जिसके तहत विधवाओं का पुनर्विवाह कर उनका पुनर्वास सुनिश्चित बनाया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत दी जाने वाली राशि को वर्तमान सरकार ने 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया है। इस योजना से वर्ष 2013 से इस साल अक्तूबर माह तक 59.75 लाख रुपये खर्च कर 169 महिलाओं को लाभान्वित किया गया है।

प्रदेश सरकार की एक अन्य महत्वाकांक्षी योजना मदर टैरेसा असहाय मातृ सम्बल योजना गरीब महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत ऐसी असहाय महिलाओं जिनकी वार्षिक आयु 35 हजार रुपये है और जिनके बच्चे 18 वर्ष से कम आयु के हैं, के पालन-पोषण के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके अंतर्गत तीन हजार रुपये प्रतिवर्ष प्रति बच्चा सहायता राशि दी जा रही है। गत दो वर्षों के दौरान 884.97 लाख रुपये व्यय कर 23375 महिलाओं को इस योजना से लाभान्वित किया गया है।

गरीबी रेखा से नीचे रह रहे अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के परविारों, जिनकी वार्षिक आय 35 हजार रुपये से अधिक न हो, को लकड़ी ईंधन से निजात दिलाने के उद्देश्य से माता शबरी महिला सशक्तिकरण योजना कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत गैस कुनेक्शन और चुल्हे खरीदने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना के तहत दो वर्षों के दौरान 131.97 लाख रुपये व्यय कर 7175 परिवारों को लाभान्वित किया गया।

असहाय/निराश्रित महिलाओं के लिए शिमला जिला के मशोबरा में नारी सेवा सदन चलाया जा रहा है, जहां उन्हें निःशुल्क भोजन व आवासीय सुविधा प्रदान की जा रही है। सदन छोड़ने पर प्रत्येक महिला को पुनर्वास के लिए दी जाने वाली राशि को प्रदेश सरकार ने 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किया है।

प्रदेश सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के चयन के लिए वार्षिक आय सीमा को 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये किया गया है। गत दो वर्षों के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के 824 पद भरे गये हैं। मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के मासिक मानदेय 1500 रुपये से बढ़ाकर 2250 रुपये किया गया है।

बच्चों के समग्र विकास सुनिश्चित बनाने के लिए समेेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत 6 माह से 6 वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों को पूरक पोषाहार उपलब्ध करवाने के लिए 3240 लाख रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। अब तक इस पर 2430 लाख रुपये व्यय किये जा चुके हैं। प्रदेश के सोलन, कुल्लू, चंबा व कांगड़ा जिलों में राजीव गांधी किशोरी सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत 2754.72 लाख रुपये व्यय किये गये हैं।

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