(07/01/2015)
'मेक इन इंडिया' पहल नवपरिवर्तन को प्रोत्साहन देने का एक प्रमुख प्लेटफॉर्म है- डॉ. हर्ष वर्धन
केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज जोर देते हुए कहा कि विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के साथ वैज्ञानिकों को सरकार के सक्रिय सहयोग से भारत में अनुसंधान और नवपरिवर्तन वातावरण में तेजी से बदलाव हो रहा है। गांधीनगर में युवा प्रवासी भारतीय दिवस के सत्र 'भारत को मानो' को संबोधित करते हुए, डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री खासतौर पर विचारों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देने के लिए भारतीयों और प्रवासी भारतीयों के बीच संपर्क बढ़ाने के उत्सुक हैं। मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया पहल नवाचार को प्रोत्साहन देने के
लिए एक प्रमुख मंच प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अनुसंधान और
विकास को प्रोत्साहन देने के लिए प्रमुख क्षेत्रों के तौर पर कृषीय
अनुसंधान, जैव तकनीकी, नैनो-विज्ञान, सस्ती स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छ
ऊर्जा और एयरोस्पेस की पहचान की है। चिन्हित क्षेत्रों में
अयूरजीनोमिक्स और जैव-उद्यमशीलता भी शामिल हैं। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि अभिनव परिवर्तन के मामले में विश्व भर में भारतीय अग्रणी हैं। नासा के एक-तिहाई वैज्ञानिक भारतीय हैं, वे सभी कार्यों के लिए एक सक्षम वातावरण चाहते हैं। एक प्रमुख अमरीकी सोसायटी द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि विकसित देशों में नवपरिवर्तन और अनुसंधान में कमी आ रही है जबकि विकासशील देशों में यह तीव्र गति पर है। उन्होंने कहा कि दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच सम्मेलन में भाग लेने वाली 17 भारतीय कंपनियों को अधिकांश विज्ञान विशेषज्ञों द्वारा प्रथम सृजन उद्यशीलताओं के तौर पर संवर्द्धित किया गया। विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्री ने प्रवासी भारतीयों से भारत में अनुसंधान ओर नवपरिवर्तन को प्रोत्साहन देने में सक्रिय रूप से शामिल होने की अपील की। उन्होंने कहा ''भारत में वापस आईए और नवपरिवर्तन कीजिए। सहयोग करने के लिए हमारी क्षमताओं और योग्यताओं में विश्वास रखिए।'' इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने भारतीय अंतरिक्ष उपलब्धियों का वर्णन करते हुए कहा हालांकि विश्व के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भारत का छठा स्थान है लेकिन अंतरिक्ष अनुप्रयोगों और लागत प्रभावी समाधानों को तलाशने के मामले में भारत पहले स्थान पर है। अमरीका की प्रिंस्टन यूनीवर्सिटी में गणित की प्रोफेसर डॉ. मंजुल भार्गव ने संस्कृत श्लोकों की लय का उपयोग करते हुए गणित पढ़ाने की रूचिकर पद्धतियों की जानकारी दी। 'भारत को मानो' सत्र का आयोजन सुबह हुए सत्र 'भारत को जानो' के बाद किया गया, जिसमें विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में भारत के नवाचार और योगदानों पर खास ध्यान दिया गया, जबकि 'भारत को जानो' सत्र में युवा प्रवासी भारतीय को भारतीय परम्पराओं, संस्कृति और दर्शन से जुड़ने पर जोर दिया गया। |
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