भारत सरकार का जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय एक समन्वित रूप में जल संसाधनों के बारे में जागरुकता बढ़ाने, उसका उपयोग करने और उन्हें संरक्षित करने के उद्देश्य से 13 से लेकर 17 जनवरी तक "भारत जल सप्ताह" आयोजित करेगा। इसका इस्तेमाल परस्पर लाभ के लिए जल संसाधनों के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर निर्णयकर्ताओं, राजनीतिज्ञों, अनुसंधानकर्ताओं और उद्यमियों से बहुमूल्य विचार प्राप्त करने के लिए इस मंच के रूप में किया जाएगा। जल सप्ताह का मूलविषय "सतत् विकास के लिए जल प्रबंधन" होगा। भारत जल सप्ताह 2015 के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतिम रुप दिए जा रहे "सतत् विकास लक्ष्य-2015" के अनुसार जल संसाधनों के सतत् विकास और प्रबंधन से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
| इस कार्यक्रम में आस्ट्रेलिया साझेदार देश होगा और जल संसाधनों के क्षेत्र
में प्रौद्योगिकीय उन्नयन दर्शाने के लिए आयोजित प्रदर्शनी में 30
आस्ट्रेलियाई कंपनियां भाग लेंगी। इसमें महाराष्ट्र एक साझेदार राज्य के
रुप में जुड़ा होगा। मुख्य कार्यक्रम नई दिल्ली में आयोजित होगा जिसमें एक
सम्मेलन-सह-नीतिवार्ता मंच के साथ व्यावसायिक तौर पर व्यापारिक प्रदर्शनी
आयोजित की जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय समूह से बने कृषि, सिंचाई,
ऊर्जा, उद्योग और पेयजल आपूर्ति जैसे अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों
में जल संसाधन प्रबंधन से जुड़े नीति-निर्माताओं और प्रौद्योगिकीविदों को
शामिल करना इस कार्यक्रम का लक्ष्य है।
यह कार्यक्रम कृषि, पर्यावरण और वन तथा जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण विकास,
शहरी विकास, पेयजल और स्वच्छता, बिजली आदि शीर्ष मंत्रालयों तथा नीति आयोग
के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है, जिसमें उनके विशेष संगठन और सार्वजनिक
इकाइयां, प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय निकाय और निजी तथा सार्वजनिक व्यावसायिक
घराने शामिल होंगे।
भारत जल सप्ताह-2015 एक बहुआयामी सम्मेलन और एक साथ-साथ चलने वाली
प्रदर्शनी के साथ आयोजित होगा, जिससे बैठक के विचार-विमर्श के अधीन
क्षेत्रों के लिए प्रौद्योगिकियों और समाधानों को दर्शाते हुए मूलविषय के
बारे में जागरुकता बढ़ेगी। इस कार्यक्रम के प्रमुख घटक निम्नानुसार होंगेः-
सतत् विकास के लिए जल प्रबंधन, जीवन के लिए जल, कृषि और सिंचाई, ग्रामीण
एवं शहरी क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति, औद्योगिक जल का उपयोग, बिजली पैदा
करने में अनुप्रयोग जैसे मसलों पर सम्मेलन के रूप में बहुपक्षीय विचार
विमर्श किया जाएगा। जल प्रबंधन के क्षेत्र के जानेमाने अंतर्राष्ट्रीय और
राष्ट्रीय व्यक्ति अपने अनुभव साझा करेंगे। इसके अलावा कार्यक्रम के
विभिन्न विषयों पर तीन विशेष सत्र होंगे जिनमें गणमान्य, प्रतिनिधि मंडल,
राजनेता और विशेषज्ञ शामिल होंगे। कार्यक्रम से अलग इस विषय के तहत
विशिष्ट मुद्दों पर विचार रखने के लिए विशेषज्ञ पेशेवर निकाय और थिंक टैंक
भी आमंत्रित किए गए हैं।
इस विषय पर एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी जिसके जरिए तकनीकियों, कृषि और
सिंचाई क्षेत्र में सतत् विकास के लिए जल प्रबंधन के उपलब्ध उपायों और
हालिया विकास, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति, औद्योगिक जल
के उपयोग के बारे में दर्शाया जाएगा। इस प्रदर्शनी से प्रदर्शकों को
विभिन्न देशों के जल संसाधन क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों तक उनके उत्पाद और
सेवाएं पहुंचाने के लिए एक प्रकार से नेटवर्किंग के अवसर उपलब्ध होंगे।
प्रदर्शकों को इस क्षेत्र में अपना नेटवर्क बढ़ाने के अवसर भी मिलेंगे
जिससे वे नए संयुक्त उद्यम ढूंढ पाएंगे और इस उभरते हुए एवं तकनीकी रूप से
महत्वपूर्ण क्षेत्र के बढ़ते व्यावसाय का लाभ उठा सकेंगे। व्यावसायिक
कंपनियों को हजारों संभावित ग्राहकों, निर्णय लेने वालों सहित उच्च
शिक्षित आगंतुकों के साथ सीधे संपर्क करने का अवसर मिलेगा जिससे वे नए
संयुक्त उद्यम तलाश सकेंगे और भारत के तेजी से वृद्धि करते जल बाजार के
व्यवसाय को बढ़ा सकेंगे। इसके जरिए ब्रांड की विजिबिलिटी/छवि बढ़ेगी और
प्रदर्शक के बारे में मुफ्त में जानकारी प्रदर्शित की जाएगी तथा कार्यक्रम
के वेब पोर्टल पर कंपनी की वेबसाइट का लिंक उपलब्ध कराया जाएगा।
इस सप्ताह के दौरान देश के प्रत्येक जिले में 'हमारा जल-हमारा जीवन'
अभियान मनाया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर जल संसाधन
योजना के मसले के समाधान और जल संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरुकता
बढ़ाना है जिसमें वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, जल समुदायों, पीआरआई, अन्य
हितधारकों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल किया जाएगा। अगली पीढ़ी को जल
संरक्षण के लिए संवेदनशील बनाने हेतु स्कूल के छात्र इस कार्यक्रम का
अभिन्न अंग होंगे। इससे जल की कमी को देखते हुए जल संरक्षण की आवश्यकता
के बारे में जागरुकता बढ़ेगी।
विकास के लिए जल प्रबंधन हेतु भविष्य की योजनाओं के सुझाव और जल संबंधी
मांगों की पूर्ति के घरेलू समाधान खोजने के लिए इस सप्ताह के दौरान
प्रत्येक जिले में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी। कार्यशाला के
दौरान प्रत्येक जिले की जानकारी तैयार करने की योजना है जिनमें जल के
स्रोत, विभिन्न कार्यों के लिए जल का उपयोग और नियंत्रण, मांग को पूरा
करने के लिए संभावित स्थानीय समाधान और विकास के लिए जल प्रबंधन के
क्षेत्र में भविष्य की योजनाएं शामिल है। कार्यशाला संपन्न होने के बाद
राज्यों को इस बारे में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। कार्यशाला के दौरान
प्राप्त हुए सुझावों का उपयोग राज्य स्तरीय सिफारिशों को तैयार करने
में भी किया जाएगा। इन सिफारिशों का उपयोग मंत्रालय, नीति बनाने में भी कर
सकेगा।
भारत जल सप्ताह एक वार्षिक मंच है। इसकी अवधारणा और आयोजन पहली बार 2012
में किया गया था। इससे जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण और
भारत सरकार उपलब्ध जल के बेहतर इस्तेमाल, संरक्षण एवं परिरक्षण के लिए
संगोष्ठियों, प्रदर्शनियों एवं नियमित सत्रों के माध्यम से जनता को जागरुक
बनाती है एवं महत्वपूर्ण कार्य नीतियों के लिए समर्थन हासिल करती है।
'सतत् विकास के लिए जल प्रबंधन' के विषय के अनुरूप यह तीसरा कार्यक्रम है।
दूसरा कार्यक्रम भारत जल सप्ताह-2013, नई दिल्ली में 8 से 12 अप्रैल 2013
को आयोजित किया गया था जिसका विषय 'बेहतर जल प्रबंधन, चुनौतियां और अवसर'
था।
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