(15/01/2015) 
आदिवासी बच्चों में कुपोषण की समस्या पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन
आदिवासी बच्चों में कुपोषण की समस्‍या की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए भुवनेश्‍वर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आज ओडिशा के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री लाल बिहारी हिमरिका ने उदघाटन किया। इस सम्मेलन का आयोजन जनजातीय मामले मंत्रालय, ओडिशा सरकार और यूनिसेफ ने संयुक्त रूप से किया है।

इस अवसर पर हिमरिका ने कहा कि जब तक आदिवासी आबादी की ज़रूरतों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक हमारी प्रगति अधूरी रहेगी। उन्होंने कहा कि "जब तक ये बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, विकास सम्भव नहीं है। आदिवासी बच्चों में कुपोषण की इस गम्भीर समस्या का समाधान करने के लिए सभी मंत्रालयों एवं विभागों को एकजुट होकर प्रयास करना होगा।"

यूनि‍सेफ के प्रतिनिधि लुइस जार्ज आर्सेनाल्ट ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत का आदिवासी समुदाय आज भी पोषण की दृष्टि से देश के सबसे वंचित समुदायों की सूची में शामिल है। उन्होंने कहा कि "कुपोषण के चलते इन बच्चों का विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता और हमारे लिए यह एक बड़ी चुनौती है। यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है जहां हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आदिवासी बच्चों को भी अपने पूर्ण क्षमता के साथ विकसित होने का मौका मिले।"

आदिवासी बच्चों में पोषण के स्तर में सुधार लाने के लिए आदिवासी मामलों के मंत्रालय/ विभागों से जुड़े सभी हितधारकों के बीच तालमेल बैठाने के उद्देश्‍य के साथ इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस दो दिवसीय सम्मेलन में चिकित्सक, विद्धान, सिविल सोसाइटी के सदस्य, नीति निर्माता संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं जो इस क्षेत्र की चुनौतियों एवं उनके समाधान पर चर्चा करेंगे। सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा जैसे घरेलू भोजन एवं आजीविका की सुरक्षा, समेकित बाल विकास सेवाएं, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की पहुंच एवं रेफरल, पेयजल और स्वच्छता आदिवासी क्षेत्रों में सेवाओं में सुधार के लिए योजनाएं और बजट, तथा इन सेवाओं के सुधार के लिए सिविल सोसायटी एवं अकादमिक संस्थानों का योगदान आदि।

सम्मेलन के दौरान विभिन्न राज्यों द्वारा इस दिशा में किये गए प्रयासों पर भी प्रकाश डाला जाएगा। उदाहरण के लिए राजस्थान ने गम्भीर कुपोषण से पीडि़त बच्चों के लिए सूखे की आशंका वाले जि़लों में विशेष कुपोषण उपचार केन्द्रों की स्थापना की है। झारखण्ड और छत्तीसगढ़ में उन आदिवासी बच्चों के लिए क्रेच के विभिन्न मॉडल पेश किए गए हैं, जिनकी माताएं काम के लिए लम्बे समय तक घर से बाहर रहती हैं। आदिवासी महिलाओं में पोषण के स्तर में सुधार लाने के लिए आन्ध्र प्रदेश की पूर्ण भोजन योजना इस दिशा में एक उल्लेखनीय पहल है। उदघाटन समारोह में सांसद बैजयन्त (जय) पण्डा, ओडिशा के आदिवासी कल्याण राज्य मंत्री , सुदाम मरांडी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
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