(15/01/2015) 
प्रधानमंत्री और देश की सोच से बहुत परे हैं अर्थशास्त्री भगवती
देश के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अमरीकी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जगदीश भगवती जो लगभग 45 वर्षों से भारत से बाहर रह रहे हैं के उस वक्तव्य की कड़ी आलोचना की हैं जिसमें उन्होंने यह विचार व्यक्त किया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक वर्ष में भारतीय रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई को अनुमति दे देंगे।

80 वर्षीय भगवती ने दो दिन पूर्व एक सार्वजानिक कार्यक्रम में यह वक्तव्य दिया था। कैट ने भगवती के इस वक्तव्य को दिवास्वपन बताते हुए कहा की यह बेहद हास्यास्पद है की जिस व्यक्ति को भरैया रिटेल व्यापार की जमीनी हकीकत का नहीं पता है वो वक्तव्य दे रहे हैं की प्रधानमंत्री को इस विषय पर क्या करना चाहिएकैट के राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने कहा की रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई की पैरोकारी जिस राष्ट्र में वो रह रहे हैं उस राष्ट्र के प्रति उनके लगाव को दर्शाता है और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम उन्होंने ने किया है

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया ने कहा की रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई का मुद्दा देश के करोड़ों किसानों, लघु उद्योग, व्यापारी, हॉकर्स एवं अन्य व्यवसायों की रोजी रोटी से सीधे तौर पर जुड़ा हैउन्होंने कहा की विद्वान प्रोफेसर को यह वक्तव्य देने से पहले प्रधानमंत्री की सोच का पूरी तरह से अध्यन करना चाहिए था ! ऐसा प्रतीत होता है की उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा छोटे व्यवसायिओं को लेकर जो कदम उठाये हैं उनके संज्ञान नहीं लिया हैदेश में आज़ादी के बाद 67 वर्षों में पहली बार प्रधानमंत्री मोदी ने देश के 5 करोड़ से अधिक छोटे व्यवसायिओं को महत्व देते हुए हाल ही में गठित नीति आयोग के दिशा निर्देशों में शामिल किया हैभगवती का वक्तव्य एक ऐसे मुद्दे पर जिसको देश की बहुसंख्यंक जनसख्या का समर्थन हासिल नहीं है, पर भ्रामक वातावरण पैदा करता है

खण्डेलवाल ने यह भी कहा की अरुण जेटली देश के पहले वित्त मंत्री हैं जिन्होंने वर्ष 2014 के बजट भाषण में छोटे व्यवसायिओं के लिए एक समर्पित वित्तीय ढांचा गठित करने की घोषणा की हैइन दोनों क़दमों से स्पष्ट है की देश के छोटे व्यवसायिओं के बारे में प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री की क्या सोच हैबेहतर यही होता यदि विद्वान प्रोफेसर भगवती इस मुद्दे पर कुछ कहतेउनके इस कथन से देश भर में वातावरण ख़राब हुआ है

भरतिया एवं खण्डेलवाल ने कहा की देश के केवल व्यापारी बल्कि नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े अन्य सभी वर्ग रिटेल व्यापार में ऍफ़ डी आई को अनुमति दिए जाने के खिलाफ हैं और ऐसी किसी भी कोशिश का जमकर विरोध होगाउन्होंने कहा की देश को एक बहुत ही सोची समझी राष्ट्रीय व्यापार नीति की जरूरत है जिसके द्वारा भारत के रिटेल व्यापार की क्षमताओं और काबिलियत का पूर्ण रूप से दोहन किया जा सके की विदेशी मानसिकता से ग्रस्त अर्थशास्त्रियों के बे-सर पैर के बयानों की जिसमें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मुनाफे का एजेंडा झलकता है

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