राष्ट्रीय (13/04/2015) 
भारत में सिर्फ 19 प्रतिशत किसान कराते हैं फसल बीमा

भारत में 20 प्रतिशत से भी कम किसान फसल बीमा करवाते हैं जिसके कारण मौसम गड़बड़ाने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उद्योग संगठन एसोचौम और स्काईमेट वेदर के संयुक्त अध्ययन के अनुसार अभी तक सिर्फ 19 प्रतिशत किसानों ने ही फसल बीमा कराया है। लगभग 81 प्रतिशत किसान फसल बीमा जैसी सुविधाओं के प्रति जागरूक नहीं हैं।

बीमा के दायरे से बाहर किसानों के 46 प्रतिशत का कहना है कि वे इसके बारे में जानते हैं लेकिन इसमें उन्हें दिलचस्पी नहीं है जबकि 24 प्रतिशत किसानों ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। वहीं 11 प्रतिशत किसानों ने कहा कि वे बीमा का प्रीमियम जमा करने में असमर्थ हैं। अध्ययन के अनुसार भारत में लगभग 32 करोड़ किसानों ने विभिन्न बीमा योजनाओं में निबंधन करवाया है। हालाँकि उनके दावे के निपटान में होने वाली देरी के कारण वे इसके प्रति उदासीन होते जाते हैं।

एसोचौम ने कहा कि योजनाओं को लागू करने और तकनीकी समस्याओं के कारण यह प्रभावी नहीं हो पाते। सरकार को इस पर विस्तृत रणनीति के साथ काम करना चाहिए। संगठन ने बताया कि सरकार राष्ट्रीय फसल बीमा योजना(एनसीआईएस) में निजी भागीदारी के मदद से सुधार करने का प्रयास कर रही है। यह योजना दावे के निपटान और सरकारी अनुदानों के वितरण में पूर्ववर्ती योजना से बेहतर होगी।

फसल बीमा क्षेत्र में निजी भागीदारी से इसके क्रियान्वयन को बेहतर बनाया जा सकता है। निजी क्षेत्रों के आने से जीपीआरएस और कैमरे वाले मोबाइल फोन की मदद से फसल बीमा को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है एवं इससे किसानों के दावे के निपटान में भी तेजी आएगी। किसानों को इन योजनाओं एवं इसके लाभों के प्रति जागरूक क रने के लिए सरकार की ओर से भी प्रयास भी किये जाने की जरूरत है। एसोचौम ने कहा कि सरकार ने फसल बीमा को प्रभावी बनाने के लिए एनसीआईएस के अलावा राष्ट्रीय फसल बीमा कार्यक्रम(एनसीआईपी), मोडीफाइड नेशनल एग्रीकल्चरल इंश्योरेंस स्कीम(एमएनएआईएस) और वेदर बेस्ड इंश्योरेंस स्कीम(ड्ब्ल्यूबीसीआईएस) आदि भी शुरू की है।

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