राष्ट्रीय (28/02/2016) 
भूमि सुधार हेतू 50 प्रतिशत एवं पौषक तत्वों की पूर्ति हेतू 60 प्रतिशत तक अनुदान देने का निर्णय
कैथल, 28 फरवरी हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा भूमि सुधार एवं विकास निगम के माध्यम से किसानों को फसलों का उत्पादन बढाने एवं भूमि उपचार के लिए अनुदान पर जिप्सम प्रदान की जाती है। जिप्सम के महत्व को मद्देनजर रखते हुए सरकार द्वारा किसानों को भूमि सुधार हेतू 50 प्रतिशत एवं पौषक तत्वों की पूर्ति हेतू 60 प्रतिशत तक अनुदान देने का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत जिप्सम के प्रत्येक 50 किलोग्राम के बैग पर किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत 75 रुपये से 90 रुपये तक की छूट प्रदान की जा रही है। उपायुक्त श्री निखिल गजराज ने बताया कि सिंचित जल पर निर्भर कृषि व्यवसाय के क्षेत्रों अथवा क्षारीय भूमिगत जल के क्षेत्रों में मृदा की उर्वरा शक्ति को स्थाई रखने के लिए हर वर्ष जिप्सम पाउडर का इस्तेमाल अनिवार्य है। यदि सिंचित भूमि की पूरी देखभाल न रखी जाए और समय-समय पर जिप्सम से उपचार न किया जाए, तो क्षारीय एवं लवणीय तत्व एकत्रित हो कर भूमि की संरचना को खराब कर देते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि और फसल उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। सल्फर के रूप में जिप्सम अन्य रासायनिक उर्वरकों से सस्ता है तथा इसके प्रयोग से नाईट्रोजन एवं घुलनशील फास्फोरस की फसलों को उपलब्धता बढ जाती है। जिप्सम में 14 प्रतिशत सल्फर मौजूद होता है, जो भूमि में उत्प्रेरक का कार्य करता है। जिप्सम एक प्राकृतिक मिश्रण है, जिसके प्रभाव से पौधों में वृद्धिकारक हारमोंस उत्पन्न होते हैं। इसके प्रयोग से फसल में मृदाजन्य रोग पैदा नहीं होते। क्षारीय भूमि में जिप्सम का प्रयोग करके अच्छी फसल ली जा सकती है, जिससे हरियाली आती है और पर्यावरण सुरक्षित रहता है। जिप्सम के क्षारीय भूमि में प्रयोग से हानिकारक सोडियम युक्त लवण भूमि के निचले स्तर में रिसाव हो कर चले जाते हैं, जिससे पौधों का जमाव व फुटाव अच्छा होता है। निखिल गजराज ने बताया कि भूमिगत जल का सिंचाई के लिए इस्तेमाल करते समय जिप्सम का प्रयोग करने से 15 से 20 प्रतिशत तक फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। हानिकारक लवणों से युक्त भूमिगत जल से सिंचाई करने पर भूमि की भौतिक संरचना खराब होती है। भूमिगत पानी में सोडियम युक्त लवणों की अधिक मात्रा के कारण पानी का रिसाव भूमि के निचले स्तर पर नहीं होता। जिप्सम के द्वारा भूमि के उपचार से भूमिगत सोडियम युक्त जल का प्रयोग करके इसका निदान किया जा सकता है। क्षारीय लवण युक्त जल में सोडियम की मात्रा होती है, जिसमें जिप्सम पाउडर के प्रयोग से जल की भूमि को ग्रहण करने की शक्ति बढ जाती है। भूमि में जिप्सम के प्रयोग से पानी एकत्रित होने की समस्या भी नहीं रहती, क्योकि जिप्सम के प्रभाव के कारण सोडियम युक्त लवण रासायनिक प्रक्रिया द्वारा रिसाव करके भूमि के निचले स्तर में चले जाते हैं तथा सोडियम युक्त क्षारीय लवण निष्क्रिय हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि क्षारीय भूमि के उपचार के लिए मिट्टी परीक्षण के आधार पर जिप्सम पाउडर डालना चाहिए। यदि 10 क्विंटल कम्पोस्ट खाद का जिप्सम के साथ मिश्रण करके एक हेक्टेयर क्षत्र में फसल की बुआई से पूर्व समान रूप से छिड़काव किया जाए, तो इससे भूमि की उर्वरा शक्ति काफी बढ जाती है। रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से कृषि उत्पादन में तो वृद्धि होती है, परंतु भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है। रासायनिक उर्वरकों के सीमित प्रयोग के साथ जिप्सम का प्रयोग करने से कृषि उत्पादन के बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। जिप्सम से फसल को कैल्सियम और सल्फर जैसे पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, जिनसे मृदा उर्वरता भी स्थिर रहती है। हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को जिप्सम पाउडर पर पौषक तत्वों की पूर्ति के लिए  60 प्रतिशत तथा भूमि सुधार के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने किसानों का आह्वान किया है कि वे हरियाणा भूमि सुधार एवं विकास निगम के बिक्री केंद्रों एवं अधिकृत डीलरों से ही जिप्सम पाउडर खरीदें तथा इसकी रसीद अवश्य प्राप्त करेें।
(राजकुमार अग्रवाल)
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