विशेष (11/06/2022) 
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के केन्द्रीय पुस्तकालय में “अंतर्राष्ट्रीय जेम्स जॉयस प्रदर्शनी” का आयोजन
डॉ0आर.के. शर्मा  महानिदेशक दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, के मार्गदर्शन में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी एवं एम्बेसी ऑफ़ आयरलैंड द्वारा यूलिसिस (Ulysses) पुस्तक के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के केन्द्रीय पुस्तकालय में “अंतर्राष्ट्रीय जेम्स जॉयस प्रदर्शनी” का आयोजन किया जा रहा है I दिनांक 10 जून से 15 जून 2022 तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन  महामहिम राजदूत ब्रेंडन वार्ड, एम्बेसी ऑफ़ आयरलैंड;  सुभाष चंद्र कंखेरिया, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड तथा डॉ. आर. के. शर्मा, महानिदेशक, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी ने संयुक्त रूप से दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के गीतांजलि सभागार में किया  I के. एस. राजू, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा मंच संचालन करते हुए प्रदर्शनी की विषय-वस्तु सांझा कर श्रोताओं को यूलिसिस (Ulysses) पुस्तक पर संक्षिप्त जानकारी प्रदान की तथा अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड एवं महानिदेशक महोदय को गणमान्य अतिथियों के स्वागत हेतु मंच पर आमंत्रित किया ।डॉ0 आर. के. शर्मा, महानिदेशक ने कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, महामहिम राजदूत ब्रेंडन वार्ड से श्रोताओं को परिचय करवाया तथा  ब्रेंडन वार्ड को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी को अवसर प्रदान करने हेतु धन्यवाद दिया I डॉ० शर्मा ने दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की स्थापना, प्रदान की जा रहीं सेवाओं, सेवा केन्द्रों आदि से सम्बंधित जानकारी सभी से सांझा की और  दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा चलाए जा रहे “घर-घर दस्तक, घर-घर पुस्तक” एवं “ज्ञान गंगा दिशा केंद्र अभियान”पर भी विस्तृत प्रकाश डाला  । जेम्स जॉयस द्वारा रचित पुस्तक यूलिसिस पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह उपन्यास अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में एक बहुत ही खास स्थान रखता है । यह आधुनिकतावादी साहित्य की महानतम कृतियों में से एक है । लेकिन, इतना सराहे जाने वाले इस उपन्यास को इसके मूल वर्षों में इसकी भाषा शैली के कारण कई विवादों का भी सामना करना पढ़ा I अमेरिका समेत कई देशों में तो इसे कई वर्षों तक अपठनीय करार दिया । 20वीं शताब्दी के इस श्रेष्ठ उपन्यास में जॉयस ने पारंपरिक भाषा शैली को छोड़ उन शब्दों और वाक्यांशों का उपयोग किया जिन्हें पूरी दुनिया ने अनुचित माना I इसमें उन्होंने समाज के वास्तविक स्वरुप को उजागर किया जिसके परिणामस्वरूप उन्हें बहुत आलोचनाओं का सामना करना पड़ा लेकिन फिर भी उन्होंने अपने आप को वैसे ही व्यक्त किया जैसे उन्हें सही लगा I डॉ० शर्मा  ने जॉयस और प्रेमचंद के बीच की समानता पर चर्चा करते हुए श्रोताओं को बताया कि , इन दोनों ही रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक परिदृश्य और जीवन के यथार्थ को ज्यों का त्यों पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का कार्य किया है  महामहिम राजदूत ब्रेंडन वार्ड, एम्बेसी ऑफ़ आयरलैंड ने श्रोताओं को बताया कि भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद सबसे अधिक अंग्रेजी साहित्य पढ़ने वाला राष्ट्र है इसलिए उन्होंने जॉयस के अभूतपूर्व कार्य की शताब्दी को चिह्नित करने हेतु भारत में यह कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया I उन्होंने कहा कि, आज यूलिसिस को लेखकों और पाठकों द्वारा जीवन और सोच को बदलने वाले उपन्यास के रूप में नामित किया जाता है, और अक्सर सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों की सूची में भी यह सबसे ऊपर होता है परन्तु अपने शुरूआती दिनों में यह उतना सार्वभौमिक रूप से अपनाया नहीं गया जैसा की आज है । यूलिसिस पुस्तक 16 जून 1904 को एक सामान्य दिन के दौरान डबलिन में यात्रा करने वाले लियोपोल्ड ब्लूम की मुलाकातों और मुठभेड़ों का वृतांत है । यूलिसिस की सबसे बड़ी ताकत उसके बताए जाने का तरीका है । जॉयस की चेतना की चौंकाने वाली धारा एक दिन की घटनाओं पर एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है जोकि पाठकों को उपन्यास के चरित्रों ब्लूम, डेडलस और मौली के आंतरिक परिप्रेक्ष्य से जोड़ते हैं । जॉयस ने अपनी क्रांतिकारी शैली से साहित्यिक यथार्थवाद की नींव को हिला दिया । महामहिम राजदूत ब्रेंडन वार्ड द्वारा श्रोताओं के समक्ष उपन्यास की कथावस्तु पर भी प्रकाश डाला गया I उन्होंने कहा कि, शब्दावली के दृष्टिकोण से भी यह पुस्तक प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रहे पाठकों के लिए महत्वपूर्ण है, इससे उन्हें कई नए शब्दों का ज्ञान प्राप्त होगा I सुभाष चन्द्र कन्खेरिया, अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड ने अपने संबोधन में राजदूत ब्रेंडन वार्ड, एम्बेसी ऑफ़ आयरलैंड का धन्यवाद प्रकट किया और कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि आयरलैंड एम्बेसी ने इस महानतम पुस्तक यूलिसिस तथा उसके लेखक जेम्स जॉयस की पुस्तकों की प्रदर्शिनी लगाने के लिए दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी को चुना I हम सभी को इस विश्व प्रसिद्ध पुस्तक को पढ़ना चाहिए तभी हम इस पर विवेचना कर पाएंगें I के. एस. राजू, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दि.प.ला. ने सभी सभी अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए सभी श्रोताओं को प्रदर्शनी स्थल पर प्रदर्शिनी के उद्घाटन हेतु आमंत्रित किया  I इस अवसर पर प्रदर्शनी में उपस्थित पुस्तकालय के पाठकों एवं मीडिया कर्मियों ने राजदूत ब्रेंडन वार्ड से इस प्रदर्शनी के सम्बन्ध में कई प्रश्न पूछे, जिसका उत्तर उन्होंने बहुत ही आकर्षक ढंग से दिया Iडॉ0आर.के. शर्मा  महानिदेशक दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी ने उर्मिला रौतेला सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी के आयोजन व्यवस्था में विशिष्ठ योगदान के लिया आभार व्यक्त किया  I

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