विशेष (19/08/2022) 
सुप्रसिद्ध फिल्म कलाकार यशपाल शर्मा से बात करते हुए फ़िल्म समीक्षक डॉ तबस्सुम जहां
लगातार दो सालों से इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल सफलता की बुलंदियों को छू रहा है। इसकी संस्थापक प्रतिभा शर्मा ने बताया कि पहले ही वर्ष में लगभग 200 फिल्मों को ज्यूरी द्वारा सम्मिलित किया गया। दूसरे वर्ष तक आते आते इस फेस्टिवल ने देश विदेश के सिनेमा प्रेमियों में अपनी एक पहचान बना ली। यही वजह है कि दूसरे बरस भी भारी तादाद के साथ फिल्मों के आवेदन आए। यशपाल शर्मा और प्रतिभा शर्मा द्वारा चलाए जा रहे बिफ्फ कि सराहना देश विदेश में हो रही है। इन दोनों का ही मक़सद सिनेमा जगत से जुड़ी नई उभरती प्रतिभाओं को प्रकाश में लाना है तथा सही मार्गदर्शन प्रदान करना है। यह अभी तक का शायद अकेला ऐसा मंच है जिसका उद्देश्य नए लोगों को अवसर प्रदान करना है। बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल आज अपनी ऊंचाइयों को छू रहा है इसी मंच से जुड़े महत्वपूर्ण विषय पर यशपाल शर्मा से बात करते हैं मशहूर आलोचक फ़िल्म समीक्षक कहानीकार डॉ तबस्सुम जहां के साथ।

डॉ तबस्सुम जहां-  सर आज जो इतने नेशनल इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल हो रहे हैं ऐसे में आप बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल को कैसे उनसे अलग करके देखते हैं?

यशपाल शर्मा-  इसकी शुरुआत करने का मक़सद ही यही है कि मैंने लोकल और नेशनल इंटरनेशनल बहुत सारे फ़िल्म फेस्टिवल अटैंड किए हैं और मैं इस बात को अच्छे से जानता हूँ कि इक्का दुक्का को छोड़कर बहुत लोग अपने दोस्तों को अवार्ड दे देते हैं या अपने दोस्तों को बुला लेते हैं मतलब सही कंपटीशन या सही टैलेंट वह नहीं मिल पाता है। जो वहाँ आ गया उनको अवार्ड दे दिया जाता है। ऐसा बड़े-बड़े फेस्टिवल में भी होता है जो ठीक नहीं है क्योंकि मैं जानता हूँ कि फेस्टिवल में जो नहीं आ पा रहा है यदि उसको अवार्ड दिया जाए या उसके नाम को अनाउंस किया जाए तो यह उस व्यक्ति की गरिमा है कि यक़ीनन उस व्यक्ति ने अच्छा काम किया होगा।  हमारे फेस्टिवल की पारदर्शिता और इसकी ज्यूरी वे नेशनल अवार्ड विनर है इसके लोग एक बंगलादेश तथा एक पेरिस से हैं। यह बहुत ही रेपुटेडिट डायरेक्टर और एक्टर हैं इनको ज्यूरी  बनाया गया है। इसके अलावा इसके तीन लोग नेशनल अवार्ड विनर हैं उनको ज्यूरी बनाया गया है। इसमें ज्यूरी द्वारा जो डिसाइड किया जाता है ठीक वही रिज़ल्ट हम पेश करते हैं। हम उसमें किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं करते हैं। ज़्यादा से ज़्यादा जो फाउंडर च्वॉइस अवार्ड होता है बस एक ही अवार्ड हम अपनी तरफ़ से देते हैं। इस तऱीके से बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल अन्य सभी फेस्टिवल से अलग हो जाता है। बेशक धीरे-धीरे ही सही पर यह उत्तरोत्तर अपनी पहचान बना रहा है और आने वाले दिनों में बड़े फेस्टिवल में इसका शुमार होगा ऐसी मुझे उम्मीद है। शुरु में थोड़ा उतार चढ़ाव होता है लोग यक़ीन नहीं करते हैं कि इतने तो फेस्टिवल चल रहे हैं तो इस फेस्टिवल की क्या ज़रूरत है या फिर साथ में काम करने वाले थोड़ा भरोसा तोड़ देते हैं लेकिन मैं उन सबको भरोसा दिलाता हूँ कि आने वाले दिनों में बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल 'बेस्ट ऑफ द वन' फेस्टिवल होगा यह मेरा आपसे वादा है और प्रतिभा का भी क्योंकि यह प्रतिभा की ही देन है मैं तो केवल साथ मे खड़ा हूँ। मेरा मानना है कि हम इसमें रेपुटेटिड या सिलेक्टिड फिल्में जो अच्छी होंगी वही दिखाई जाएंगी।

डॉ तबस्सुम जहां-  सर बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य क्या है और इसे बनाने के पीछे क्या मक़सद है?

यशपाल शर्मा-  आपके इस प्रश्न उत्तर मैंने अभी दिया है लेकिन इसमें मैं एक चीज़ और जोड़ना चाहूंगा कि इसका मक़सद और उद्देश्य यह है कि जो लोग अच्छे टैलेंटिड हैं, अच्छे कलाकार हैं अच्छे डायरेक्टर व एक्टर हैं  वो लोग कई बार इनसिक्योर असुरक्षित महसूस करते हैं कि पता नहीं इतनी बड़ी-बड़ी फिल्में आएंगी पता नहीं हमारा नम्बर पड़ेगा या नहीं पड़ेगा पर मैं उनको भरोसा दिलाता हूँ कि अगर उनकी फ़िल्म में दम है या उनकी एक्टिंग में दम है तो बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल उनको ज़रूर सिलेक्ट करेगा और उनको सम्मानित करेगा व उनको अवार्ड देगा। यह मेरा आपसे वादा है क्योंकि टेलेंट की जीत होनी चाहिए। कई बार मैंने भी कई ठोकरें खाई हैं इसलिए मैं इनको महसूस कर सकता हूँ कि जो बेस्ट एक्टर होता है उसको अवार्ड नहीं मिल पाता है और किसी और को मिल जाता है उनके किसी जान पहचान वाले को जो कि एक बहुत बड़ी दुविधा या ट्रेजिडी है। अतः इसका मकसद नई प्रतिभाओं को मौक़ा देना भी है।


डॉ तबस्सुम जहां-  अक्सर इस तरह के फेस्टिवल में आक्षेप लगते हैं कि उनकी फिल्मों के चयन में भेदभाव होता है ऐसे में बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल ने किस प्रकार अपनी छवि साफ सुथरी बनाई हुई है या इन सब मामलों में यह किस प्रकार बाक़ीयों से अलग है?

यशपाल शर्मा-  मैंने पहले ही प्रश्न में बताया कि बॉलीवुड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल बाक़ीयों से कैसे अलग है और किस प्रकार इसने अपनी साफ़ सुथरी छवि बनाई हुई है।

डॉ तबस्सुम जहां-  सर, यह अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल है तो क्या इसमें अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों के प्रदर्शन की वजह से या भारतीय फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय फलक देने का प्रयास की वजह से ऐसा है। आप इसका मूल उद्देश्य क्या स्वीकारते हैं। भारतीय सिनेमा अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचे या अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा भारतीय लोगों तक पहुंचे। मुख्य मक़सद क्या है।

यशपाल शर्मा-  इसमें इंडियन फिल्में और विदेशी फिल्में दोनों शामिल हैं चाहे वह शॉर्ट फ़िल्म हों चाहे फ़ीचर फ़िल्म हों, चाहे डॉक्यूमेंट्रीज़ हों या वेबसीरीज़ हों या बाक़ी हों तो इसलिए इसमें जो विदेशी अच्छा सिनेमा है वो हम को देखने को मिलता है। और जो हमारा अच्छा सिनेमा है वो विदेशियों को देखने को मिलता हैं। पिछले फेस्टिवल में मुझे अभी तक याद है कितनी सारी विदेशी फिल्में आई थीं जिनको देखना अपने आप में कमाल का अनुभव था। हमको एक अच्छा दर्शक भी होना है क्योंकि सिनेमा देख कर हम बहुत कुछ सीखते हैं। तो हमारे फेस्टिवल में एक मेला जैसा लगा है दो साल। और बक़ायदा लोगों ने ख़ूब देखा है सिनेमा और तारीफ़ भी की है। सैंकड़ों मैसेज भी आए हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है हमारा यही मक़सद है कि विदेशी सिनेमा भारतीयों तक पहुँचे और भारतीय सिनेमा विदेशियों तक पहुँचे बिफ्फ का यह एक बहुत बड़ा उद्देश्य है।

डॉ तबस्सुम जहां-  आपकी स्वयं इतनी व्यस्तताएं रहती हैं। आप ख़ुद फिल्मों से जुड़े हैं अभिनय तथा निर्देशन के क्षेत्र में। फिर इन्हीं लोगों से संबंधित मंच बनाना यानी आप स्वयं संघर्ष के दौर से ग़ुज़रे हैं आपने फ़िल्म जगत से जुड़े लोगों का संघर्ष भी देखा है तो आप क्या मानते है कि आज के दौर में इस तरह के फेस्टिवल से किस प्रकार भारतीय सिनेमा को फायदा हो रहा है।
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