विशेष (05/09/2022) 
आप' की सरकार में यात्रियों का हाल बेहाल: डिपुओं में धूल फांक रही बसे
आम आदमी पार्टी की सरकार में बस यात्रियों का हाल-बेहाल है, लंबे इंतजार के बावजूद सरकारी बसें न मिलने के चलते यात्रियों को प्राइवेट बसों में सफर करने को मजबूर होना पड़ रहा है और लोग सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। प्राइवेट बसों में भी सफर आसान नहीं है क्योंकि यात्री संख्या अधिक होने के कारण यात्रियों को खड़े होकर सफर करना पड़ रहा है। आलम यह है कि 500 से अधिक सरकारी बसें स्टाफ शार्टेज के कारण डिपुओं में खड़ी धूल फांक रही है लेकिन इन्हें चलाने के प्रति आवश्यक कदम नहीं उठाए जा रहे है। इसके चलते विभाग को वित्तीय नुक्सान उठाना पड़ रहा है और यात्रियों को काऊंटर खाली होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। इसका लाभ प्राइवेट ट्रांसपोटर्ज को मिल रहा है और सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
आज शाम देखने में आया कि, पठानकोट, बटाला सहित कई रूटों पर जाने वाले यात्रियों को सरकारी बसों का लंबा इंतजार करने के बावजूद निराशा हाथ लगी। पठानकोट जाने वाले यात्री अरविंदर सिंह ने बताया कि जालंधर से पठानकोट जाना हर बार परेशानी का कारण बनता है। आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा चुनावों के दौरान पिछली सरकारों पर ट्रांसपोर्ट माफिया के साथ मिलीभगत की बातें कही जा रही थी। जनता को आश्वासन दिलाया गया था कि आप की सरकार आने के बाद लोगों को सहूलत मिलेगी। बड़े-बड़े दावों के चलते पंजाब की जनता ने सत्ता परिवर्तन करते हुए आप को राज्य की भागदौड़ सौंपी लेकिन सरकार बने 5 माह से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद भी यात्रियों को राहत नहीं मिल पाई है। बटाला जाने वाले अजमेर सिंह ने कहा कि प्राइवेट का बोलबाला है। सरकारी बसें बेहद कम समय के लिए काऊंटरों पर लगती है जिसके चलते लोगों को प्राइवेट बसों में सफर करने को मजबूर होना पड़ता है। प्राइवेट ट्रांसपोटर्ज की मनमर्जी के चलते यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है, सरकार इस प्रति आंखे मूंद कर बैठी है। राज्य में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर की सुविधा चल रही है लेकिन यह सुविधा केवल सरकारी बसों में उपलब्ध है और आलम यह है कि काऊंटरों पर सरकारी बसों के विपरीत प्राइवेट बसें अधिक संख्या में देखने को मिलती है। इसके चलते महिलाओं को मुफ्त सफर से वंचित रहना पड़ रहा है।
काऊंटर पर सरकारी बसों का इंतजार करनी वाली महिलाओं की संख्या बेहद अधिक हो जाती है। इस दौरान उन्हें प्राइवेट बसों में जाना पड़ता है। महिलाओं की संख्या अधिक होने के कारण बसें 2-3 मिनट में भर जाती है और सभी महिलाओं को बैठने के लिए सीटें भी उपलब्ध नहीं हो पाती।

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