विशेष (12/09/2022) 
भारत ने ही दुनिया को सभ्यता-संस्कृति औैर शांति दी है: केंद्रीय विदेश मंत्री लेखी
मुख्य अतिथि केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी, विशिष्ट अतिथि हरियाणा सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ओम प्रकाश यादव और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रहे मौजूद, 
 वैश्विक शिखर सम्मेलन का हुआ भव्य शुभारंभ, देश-विदेश से आए पांच हजार लोग बने साक्षी |

राजस्थान: हमारे समाज की प्रार्थना और सोच ही सर्वे भवंतु सुखिन:, सर्वे संतु निरामया: की रही है। जहां सब सुखी रहें, सब स्वस्थ रहें। भारत ने ही दुनिया को सभ्यता- संस्कृति औैर शांति दी है। जिसके विचारों, मन और भाव में सुख नहीं है, वह दुनिया में क्या सुख बांटेगा। सुख पाने के लिए मन-मस्तिष्क का सही होना जरूरी है। राजयोग से हमारे मन-विचार सही होते हैं। राजयोग मन को, विचारों को सही करने का एक रास्ता है। सबकुछ व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में घट रहा है, इसलिए मन-मस्तिष्क का सही होना जरूरी है। शांति के लिए राजयोग एक हिस्सा है। समाज में व्याप्त बुराइयां व्यक्ति के दिमाग की उपज हैं।
उक्त उद्गार केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन आबू रोड में विश्व शांति का अग्रदूत भारत विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। बता दें कि सम्मेलन में भाग लेने के लिए देश-विदेश से पांच हजार से अधिक शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ, समाजसेवी, मीडियाकर्मी, विश्वविद्यालयों के कुलपति पहुंचे हैं।
शक्ति से भरपूर शक्ति नारी से जुड़े हैं-
केंद्रीय मंत्री लेखी ने कहा कि रक्षा, सुरक्षा, चिकित्सा जो भी शब्द शक्ति से भरपूर हैं वह कहीं न कहीं नारी शक्ति से जुड़े हैं। हमारी मूल सभ्यता-संस्कृति शांति की रही है। चारों ओर शांति होगी, सबका भला होगा तो उसमें ही हमारा सुख और शांति है। उन्होंने मीडिया से आह्नान किया कि जब बुराई दिखाना जरूरी है तो जो लोग समाज में भला काम कर रहे हैं वह दिखाना भी जरूरी है, ताकि लोग अच्छे कार्य से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकें।

शांति के लिए राजयोग एक हिस्सा-
मंत्री लेखी ने कहा कि  जिसकी जो भावना है अष्टांग योग, प्राणायाम, राजयोग करें, ऐसे लोगों को आसानी से गलत रास्ते पर ले जाना कठिन काम है। समाज की सेवा में जुटी ब्रह्माकुमारीज एकमात्र ऐसी संस्था है जो महिलाओं द्वारा चलाई जा रही  है  । हमारे वेदों में भी महिलाओं को समाज की ऋचाओं को लिखने का कार्य, गुरु होने का उल्लेख किया है। आजादी की लड़ाई में भी साधु-संत, महात्माओं का योगदान रहा है। देश को सही राह दिखाई और सत्य-अहिंसा का भी मार्ग चुना। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को हम लोग मिसाइलमैन के रूप में जानते हैं। एक बार उनसे किसी ने सवाल किया कि आप तो शांति के पक्षधर हैं और शांत प्रवृत्ति के हैं आपको क्या जरूरत है मिसाइल बनाने की। इस पर उनका जवाब था कि जैसे गुलाब के फूल के साथ ईश्वर ने कांटे दिए हैं, ताकि गुलाब का फूल बचा रहे। इसी प्रकार शांति को बरकरार करने के लिए इन सब क्षमताओं को भी विकसित करना होगा। इसके साथ ही शांति मंत्र के साथ उन्होंने अपना भाषण पूरा किया।

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