मनोरंजन (30/12/2023) 
नव वर्ष..फिर एक सर्दी गुजर रही...गीता मंजरी मिश्र (सतपथी)
फिर एक सर्दी गुजर रही
वक्त की सीढियों से होकर
नए वर्ष का इंतजार 
पुराने वर्ष जैसे कुछ अनचाहे
लिखे हुए कागज की पन्नों की तरह
मोड़ मरोड़ कर गोला बनाकर 
कूड़ेदान की ओर प्रस्थान कर रहे हो ।

पुराने  कागजों पर लिखे कुछ शव्दों को
सम्हाल कर गुलदस्ते में रखलो
दरवाजे पर वर्ष भर
वंदनवार बन खुशबू बिखरते रहे ।
निमंत्रण देते रहे रिद्धि -सिद्धी को
आमन्त्रण  रहे अतिथियों को ।

गुजरते वर्ष
बासी काजू की बर्फी की तरह 
जिसे कभी चांदी की चमचमाती बरक में 
लपेट कर मेवे से सजाया गया था -
फेंकने से पहले कुछ सुधार सोच लो
जिस से-
रिश्तों का जायका बढ़ते रहे वर्ष भर!

पुरानी नीव पर उठने दो नया महल
वर्ष आगमन ऐसे हो 
कि कोई किवाड़ कहीं बंद न हो
जन-जन तन-मन रोग मुक्त हो
सुभग बुझने का कही न भय हो
निर्मल अंतर्मन चिरंतन हो
जग जीवन ईर्ष्या शून्य अनन्य हो 
भगवन जो भी हो विगत वर्ष से
नव वर्ष बेहतर  अवश्य हो ।
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