राष्ट्रीय (17/09/2012) 
उप राष्ट्रपति द्वारा कश्मीर विश्वविद्यालय में आठवीं जम्मूЦकश्मीर विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन

उप राष्ट्रपति एम. हामिद अंसारी ने कहा है कि लोगों के कल्Юयाण के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति अधिक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने तЮथा जोरदार क्षमताओं की आवश्यकता है। आज श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर) के कश्मीर विश्वविद्यालय में आठवीं जम्मू कश्मीर विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि यह सराहनीय है कि इस प्रकार का राज्य स्तरीय सम्मेलन 2005 से नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन का विषय है - विज्ञान, प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय विकास : अवसर और चुनौतियां। उन्होंने कहा कि यह विषय स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भ में हमारे समय के साथ प्रासंगिक है।

उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ भारत का संपर्क स्Юवाधीनता के प्रारंभिक दिनों में शुरू हो गया था। इसकी आधारशिलाएं 1958 के विज्ञान नीति प्रस्ताव और 1963 के प्रौद्योगिकी-गत नीति वक्तव्य से रखी गई थीं। पहले प्रस्ताव का उद्देश्य विज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा अनुसंधान वैज्ञानिकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना था, जबЮकि दूसरे का उद्देश्य आत्मनिर्भरता और स्वदेशी संसाधनों का अधिकाधिक प्रयोग करना था। इन उपायों और अन्य प्रयासों के परिणामस्वरूप विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उच्चतर शिक्षा, औद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना और आणविक ऊर्जा, अंतरिक्ष, कृषि, दवाई और भेषज जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर राज्य के सामने विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा और अनुसंधान बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से अधिकांश भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं को अपना कर हल किया जा सकता है। इसी प्रकार अनुसंधान में रूचि को प्रोत्साहित करके स्नातकोत्तर फैलोशिप का लाभ उठाया जा सकता है। इसके अलावा, इस क्षेत्र के युवाओं में वैज्ञानिक रुचि को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर जम्मू-कश्मीर राज्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए घोषित विशेष पैकेजों को शब्दशा कार्यान्वयन किया जा सकता है।

उप राष्ट्रपति ने कहा कि व्यावसायिक प्रशिक्षण को रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था के साथ संबद्ध करना होगा। पारंपरिक शिल्प कलाओं में दक्षता प्राप्त करने से मूल्य संवर्द्धन होता हे। इसी प्रकार पर्यटन क्षेत्र द्वारा अपेक्षित सेवा कौशलों में प्रशिक्षण रोजगार के अवसर पैदा करने में काफी सहायक हो सकता है।

उन्होंने कहा कि जहां एक ओर प्रत्येक अनुसंधानकर्ता अपने अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करता है वहां उसे ज्ञान के उस क्षेत्र में अन्यत्र हो रही गतिविधियों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए और उसका उन्हें लाभ उठाना चाहिए। संचार की आधुनिक तकनीकों ने इसे अत्याधिक आसान बना दिया है। कहा जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पांचवां हिस्सा अनुसंधान पत्रों को संयुक्त रूप से संपादित किया जाता है। राष्ट्रीय संदर्भ में यह प्रतिशत और भी अधिक हो सकता है।

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