राष्ट्रीय (03/10/2012) 
भारत ने लोगों को आवश्यक औषधियों की नि:शुल्क आपूर्ति का प्रस्ताव दिया

भारत सरकार ने दवाईयों पर होने वाले व्यय को कम करते हुए लोगों को उचित स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के उद्देश्य से देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में आवश्यक औषधियों की नि:शुल्क आपूर्ति की एक पहल प्रारंभ करने का प्रस्ताव किया है। इस पहल से औषधियों के उचित उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा और साथ ही अनावश्यक, गैर-वैज्ञानिक और खतरनाक दवाईयों की खपत को कम किया जा सकेगा। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री  गुलाम नबी आजाद ने आज नीदरलैंड के एम्सटर्डम में दी।

औषधियों का जिम्मेदारी से उपयोग विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए  आजाद ने कहा कि दवाईयों का उचित और जिम्मेदारी के साथ उपयोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का एक महत्वपूर्ण अंग है और स्वास्थ्य में सुधार लाने और उसे बनाये रखने की आवश्यकता हेतू दवाईयों तक पहुंच एक अति महत्वपूर्ण घटको में से एक है। बाजार मांग की पूर्ति के लिए निजी क्षेत्र के बीच एक बेहतर संतुलन बनाना और उपलब्ध दवाईयों के सकारात्मक लाभ तथा जोखिम को सुनिश्चित करना तथा उचित मूल्य पर दवाईयों का प्रावधान सुनिश्चित करना देश और सार्वजनिक क्षेत्र का उत्तरदायित्व है।

उन्होंने कहा कि भारत में स्वास्थ्य पर होने वाला व्यय काफी अधिक है और जिसमें से एक बड़ा भाग दवाईयों पर खर्च किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए मानक उपचार दिशा-निर्देश, औषध-निर्माताओं द्वारा दवाईयों के अनुचित उपयोग को रोकने, दवाईयों के विवरण और वितरण पर बेहतर नियामक नियंत्रण तथा स्वयं दवाईयां लेने के खतरों से उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने की जरूरत है।

 आजाद ने कहा कि भारत में एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध का खतरा बढ़ रहा है। इस खतरे से निपटने और देश में एंटी बायोटिक दवाईयों की जिम्मेदारी और उचित उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एंटी माइक्रो़बियल प्रतिरोध पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय नीति विकसित की है, जिसका उद्देश्य एंटी बायोटिक दवाईयों का सावधानी से उपयोग और प्रतिरोधक बैक्टीरिया के संक्रमण के फैलाव को रोकना है।

Copyright @ 2019.