राष्ट्रीय (05/10/2012) 
चुनाव के दौरान Сपेड न्यूजТ पर रहेगी कड़ी नजर--हिमाचल प्रदेश

मुख्य निर्वाचन अधिकारी  नरेन्द्र चैहान ने आज यहां कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के दौरान समाचार पत्रों में समाचार के रूप में दिए जाने वाले विज्ञापनों (पेड न्यूज) व संबंधित मामलों पर नजर रखने के लिए कडे कदम उठाए हैं। राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार के विज्ञापनों के पूर्वावलोकन, छंटनी व सत्यापन के लिए प्रत्येक जिले में मीडिया प्रमाणीकरण व अनुश्रवण समिति (एमसीएमसी) गठित की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रमाणीकरण के लिए इस समिति में संसदीय क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी@जिला निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारी ( जो उप-मण्डल अधिकारी के स्तर से कम नहीं होगा) को सदस्य बनाया गया है। विज्ञापन प्रमाणीकरण व पेड न्यूज पर नजर रखने के अलावा यह समिति जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 कि अंतर्गत मीडिया से सम्बन्धित विनियमों को लागू करने में भी सहायता करेगी। पेड न्यूज+ के संदेहास्पद् मामलों, इलेक्ट्रानिक मीडिया में राजनीतिक दलों द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापनों, उम्मीदार द्वारा अन्य मीडिया में जारी किए जाने वाले अन्य राजनीतिक विज्ञापनों पर यह समिति समाचार पत्रों, प्रिंट मीडिया, इलैक्ट्राॅनिक मीडिया, केबल नेटवर्क, मोबाइल नेटवर्क इत्यादि पर निगरानी रखेगी। इसके अलावा, समिति विज्ञापनों पर होने वाले खर्च के साथ-साथ इस बात पर भी नजर रखेगी कि चुनावी पैम्फलेट, पोस्टर, हैंडबिल व जन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 ए में आवश्यक अन्य किसी दस्तावेज में विज्ञापन जारी करने वाले व प्रकाशक का नाम व पता अंकित हो।
उन्होंने कहा कि समिति को प्रत्येक उम्मीदवार की चुनाव विज्ञापन से सम्बन्धित विस्तृत सूचना और पेड न्यूज के संदिग्ध मामले में समाचार प्रकाशित करने पर हुए वास्तविक खर्च की सूचना भेजनी होगी।
राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणीकरण व अनुश्रवण समिति का गठन मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में किया गया है। भारत के मुख्य निर्वाचन आयोग ने पर्यवेक्षक की नियुक्ति की है। समिति द्वारा काॅ-आप्ट किया गया एक विशेषज्ञ, भारत सरकार के एक मीडिया विभाग का प्रतिनिधित्व कर रहा भारतीय सूचना सेवा का अधिकारी, भारतीय प्रेस परिषद् द्वारा नामित पत्रकार अथवा स्वतंत्र नागरिक और मीडिया के अतिरिक्त@संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी को समिति के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि विज्ञापनों के प्रमाणीकरण पर जि+ला और अतिरिक्त@संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी की अपील पर उक्त समिति निर्णय लेगी। यह समिति जिला स्तरीय समिति की पेड न्यूज सबंधी मामलों के विरुद्ध की जाने वाली अपील की भी जांच करेगी अथवा संज्ञान में आने वाले अन्य मामलों पर संबंधित निर्वाचन अधिकारियों को उम्मीदवारों को नोटिस जारी करने के निर्देश जारी करेगी।
जिला मीडिया प्रमाणीकरण व अनुश्रवण समिति के हवाले से निर्वाचन अधिकारी प्रकाशक@प्रसारण से सम्बन्धित शिकायत मिलने के मामले में उम्मीदवार को 96 घंटे की अवधि में नोटिस जारी कर समाचार प्रकाशन में हुए खर्चका ब्योरा देने के लिए कहेगी। समिति उम्मीदवार से यह भी पूछेगी कि इस खर्च को उसके चुनावी खर्च में क्यों न जोड़ा जाए। इसी प्रकार, राज्य स्तरीय समिति भी इतनी ही समयावधि में शिकायतों पर कार्रवाई करेगी।
जिला व राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणीकरण व अनुश्रवण समितियां ऐसे मामलों में त्वरित निर्णय लंेगी जिसके बारे में उम्मीदवार व पार्टी को सूचित किया जाएगा। यदि किसी मामले में जिला स्तरीय समिति को नोटिस भेजने के 48 घंटे के अंदर उम्मीदवार से जवाब नहीं मिलता है ता उस स्थिति में समिति का निर्णय अंतिम माना जाएगा। समिति के निर्णय से उम्मीदवार अगर सहमत न हो तो वह निर्णय आने के 48 घंटे के भीतर राज्य स्तरीय समिति के समक्ष अपील कर सकता है, जिसकी सूचना जि+ला स्तरीय समिति को भी देनी होगी। राज्य स्तरीय समिति को अपील प्राप्त होने के 96 घंटे के भीतर मामला निपटाना होगा और लिए गए निर्णय से उम्मीदवार को भी सूचित करना होगा।
राज्यस्तरीय समिति के निर्णय के विरुद्ध उम्मीदवार 48 घंटे के अंदर भारत के निर्वाचन आयोग में अपील कर सकता है। भारत के निर्वाचन आयोग का निर्णय अंतिम होगा। पेड न्यूज से सम्बन्धित संदिग्ध मामलों को जिला, मुख्य निर्वाचन अधिकारी अथवा आयोग के स्तर पर यदि वास्तव में पेड न्यूज निर्धारित किया जाता है, उस मामले में सम्बन्धित उम्मीदवार द्वारा किए गए खर्च को उसके चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा। इसकी सूचना उम्मीदवार अथवा उसके एजेंट को दी जाएगी। ऐसे मामले जिन्हें जहां जिला अथवा राज्य स्तर की समिति पेड न्यूज+ निर्धारित करेगी, उस स्थिति में उस मामले को आगामी कार्रवाई के लिए भारतीय प्रेस परिषद् को भेजा जाएगा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि आयोग ने पेड न्यूज के प्रचलन को रोकने के लिए निर्धारित कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू करन के निर्देश दिए हैं ताकि मीडिया में चुनाव प्रचार से संबंधित भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित अथवा प्रसारित न हो सकें।

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