राष्ट्रीय (08/10/2012) 
बिजली बिलों में स्लैब सिस्टम समाप्त हो, बढ़े दाम वापस हो - विजेन्द्र गुप्ता

नई दिल्ली, 8 अक्तूबर। भाजपा दिल्ली प्रदेश  अध्यक्ष  विजेन्द्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार और डीईआरसी पर एक दूसरे से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए दोनों से मांग की है कि दिल्ली में बिजली के बिलों में स्लैब सिस्टम पूरी तरह समाप्त किया जाए। जनता चाहे जितना बिजली का उपभोग करे, उससे प्रति यूनिट एक ही दर पर बिजली मूल्य वसूला जाए।

उन्होंने कहा कि बिजली बिलों द्वारा दिल्ली की जनता की लूट को भाजपा सहन नहीं करेगी और जब तक बिजली के बढ़े मूल्य और स्लैब सिस्टम का रोल बैक नहीं होता, भाजपा दिल्लीव्यापी आंदोलन जारी रखेगी। आज डीईआरसी ने अपने यहां दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित 201 यूनिट से 400 यूनिट तक के नए स्लैब मूल्य 4.80 रूपया प्रति यूनिट को बढ़ाकर 5.70 रूपया प्रति यूनिट करने पर जन सुनवाई रखी थी। इसमें जनता के प्रतिनिधियों और अनेक आवासीय कल्याण संगठनों ने डीईआरसी चेयरमैन और डीईआरसी के सदस्यों को घंटों काले झंडे दिखाए और उन पर दिल्ली सरकार से मिलीभगत का खुला आरोप लगाया।

श्री गुप्ता ने कहा कि डीईआरसी का गठन ही जनता का पक्ष सुनकर उनकी मांगों और शिकायतों पर गम्भीरतापूर्वक विचार करने और समस्या का समाधान निकलाने के लिए किया गया था। लेकिन डीईआरसी एक तरफा व्यवहार कर रहा है। वह पूरी तरह दिल्ली सरकार और बिजली कम्पनियों के शिकंजे  में है, जनता की उसके यहां कोई सुनवाई नहीं है। इसका उदाहरण यह है कि आज दिल्ली के सभी अखबारो  और टेलीविजन चैनलों ने यह खुलकर छापा और दिखाया है कि आज की जनसुनवाई सिर्फ दिखाने के लिए है। डीईआरसी बिजली कम्पनियों और दिल्ली सरकार के 5.70 रूपए के स्लैब के पक्ष में ही फैसला करेगा।

भाजपा ने बताया कि पूर्व डीईआरसी चेयरमैन बृजेन्द्र सिंह ने दिल्ली सरकार को 3 मई, 2011 को तर्क और सबूतों सहित अपना लिखित आदश  भेजा था कि बिजली कम्पनयो  ने जनता से 5100 करोड़ रूपए की अतिरिक्त वसूली की है, इसलिए दिल्ली में बिजली के दाम 23 प्रतिशत  कम किए जायें। इसके विपरीत 4 मई, 2011 को दिल्ली सरकार ने डीईआरसी को लिखा कि दिल्ली में बिजली के दाम घटाए न जायें। इसी कारण 23 प्रतिशत  दाम घटाने का डीईआरसी का आदेश  लागू नहीं हो पाया और जनता की लूट होती रही।

जैसे ही बृजेन्द्र सिंह रिटायर हुए और पी.डी. सुधाकर नए डीईआरसी चेयरमैन बने, दिल्ली में बिजली के दाम अगस्त 2011 में 22 प्रतिशत  बढ़ा दिए गए। फरवरी में 5 प्रतिशत  अधिभार बढ़ाया गया। 1 जुलाई, 2012 से बिजली के दामों में 34 से लेकर 75 प्रतिशत  तक की बढ़ोतरी कर दी गई। यहां चालाकी से स्लैब सिस्टम बनाने की इजाजत कम्पनियों को दी गई, इसी कारण जिनके यहां बिजली के बिल 1500 रूपए आते थे, उनके यहां अब न्यूनतम बिजली का बिल 4000 रूपए से 5000 रूपए तक का आ रहा है। झुग्गियों में भी 5000 से 15000 तक के मनमाने बिल भेजे जा रहे हैं। जो लोग बिल जमा करने में समर्थ नहीं हैं, उनके कनैक्शन काटे जा रहे हैं, जोकि सरासर अमानवीय है।

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