राष्ट्रीय (10/10/2012) 
सीबीआई और राज्यों के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो का 19वां सम्मेलन

 प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि अर्थव्यवस्था के विकसा के साथ-साथ भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों के सामने और बड़ी चुनौतियां खड़ी होती हैं और इन एजेंसियों को भ्रष्टाचार के नए तरीकों से निपटने के लिए अपनी कार्यकुशलता और तकनीक को लगातार उन्नत करना होगा। सीबीआई और राज्यों के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के 19वें सम्मेलन को आज यहां संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विकासोन्मुखी मॉडलों का अनुसरण किया जा रहा है, जो दिन-प्रतिदिन अत्याधुनिक होते जा रहे हैं। इसके कारण आर्थिक नीति को तैयार करने और उसके कार्यान्वयन में शामिल जटिलताओं को समझे बिना अनेक मामलों में जांच एजेंसियों के लिए सही निष्कर्ष तक पहुंचना कठिन हो जाता है।

डॉ. सिंह ने कहा कि नियमित प्रशिक्षण और दुनियाभर में शीर्ष भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों के साथ विचारों के आदान-प्रदान से भ्रष्टाचार के नए तरीकों से निपटने में मदद लिमेगी। उन्होंने कहा कि सीबीआई आकादमी धीरे-धीरे उत्कृष्ता का केंद्र बन गई है और मैं सभी राज्यों के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से कहना चाहूंगा कि वे अपने अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए सेवाओं का अधिकतम इस्तेमाल करें। श्री मनमोहन सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि सीबीआई और राज्य भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों के बीच क्षमता निर्माण में सहयोग का दोनों को लाभ मिलेगा।

उन्होंने कहा, हालांकि अच्छा प्रशिक्षण और योग्यता जरूरी है। फिर भी अनेक मामलों में इतना ही होना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने सीबीआई और अन्य भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों से आग्रह किया कि वे ऐसे पेशेवरों को शामिल करें जिनके पास विशेषज्ञता हो और जो जटिल मामलों में निष्पक्ष जांच कर सकें। साथ ही, आर्थिक अपराधों पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के साथ स्थापित संस्थानों का दायरा बढ़ा दिया जाएगा और इन्हें पुलिस की पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों तक ही सीमित न रखा जाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में खुला दृष्टिकोण अपनाने से हमारी जांच की विश्वसनीयता और दोषसिद्धि की दर बढ़ाने में मदद मिलेगी।

डॉ. सिंह ने कहा कि उनकी सरकार सार्वजनिक प्राधिकारों के कामकाज में ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने हाल ही में की गई पहल का जिक्र किया जिसमें अर्थव्यवस्था और राजनीति में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में ऐसी व्यवस्था की है जिसमें सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सरकार से मिलने वाले लाभ को उस व्यक्ति के बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित कर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य लोगों को सरकारी सहायता देते वक्त होने वाली बर्बादी और लीकेज को रोकना तथा पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है। हमने आधार नंबरों का फायदा अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की योजना बनाई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन करने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुभवों से पता चलता है कि अधिकतर मामलों में, सहमति जन्य रिश्वतखोरी से निपटना कठित है और रिश्वत देने वाला कानून के प्रावधानों का सहारा लेकर बिना सज़ा के घूमता है। प्रस्तावित संशोधनों में इस पर ध्यान दिया जाएगा। हम इस बात का पता लगा रहे हैं कि ईमानदार सरकारी अधिकारियों का अधिक प्रभावकारी तरीके से बचाव करने के लिए इस कानून में कैसे संशोधन किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने ईमानदार सरकारी अधिकारियों का बचाव करने और अधिकारियों का मनोबल बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नकारात्मक सोच रखने का कोई फायदा नहीं होगा। इससे केवल हमारे देश की छवि को नुकसान पहुंचाएगा और कार्यपालिका का मनोबल टूटेगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भ्रष्ट लोगों को सज़ा मिले और निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए।

डॉ. सिंह ने कहा कि इस तरह के सम्मेलन हमें कठोर परिश्रम, निष्पक्षता, ईमानदारी, भयमुक्त और दृढ़ होकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की याद दिलाते हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इस सम्मेलन से जाने के बाद इन मूल्यों का और अधिक दृढ़ होकर पालन करेंगे।

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