राष्ट्रीय (12/10/2012) 
अदालत ने लगाई Сशीला दीक्षित को फटकार, कोर्ट में हाजिर हों

नई दिल्ली, 12 अक्तूबर।  साकेत के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में चल रहे Сशीला  दीक्षित बनाम भाजपा दिल्ली प्रदेश  अध्यक्ष  विजेन्द्र गुप्ता के मुकदमें में अदालत ने आज शीला दीक्षित को अंतिम मौका दिया है कि वे जिरह हेतु 9 नवम्बर, 2012 को स्वयं अदालत में प्रस्तुत हों।  यदि वे इस दिन भी अदालत में जानबूझ कर प्रस्तुत नहीं हुईं तो केस डिसमिस कर दिया जायेगा।

विद्वान मजिस्ट्रेट के सामने  विजेन्द्र गुप्ता ने स्वयं तर्क रखा कि Сशीला  दीक्षित वादी हैं।  लेकिन जानबूझकर वे अदालत में प्रस्तुत नहीं हो रही हैं।  उनके द्वारा दायर मुकदमें का लक्ष्य ही यह था कि चूंकि भाजपा ने मुख्यमंत्री और दिल्ली की तीनों बिजली कम्पनियों की सांठगांठ के खिलाफ दिल्ली में आंदोलन चला रखा है, इसलिए उन्हें अदालती मामलों में उलझाकर परेशान  किया जाये ताकि उनका मनोबल टूट जाये। 

पिछली 10 तारीखों में मुख्यमंत्री सिर्फ एक बार अदालत में उपस्थित हुईं हैं जबकि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 256 के तहत शिकायतकर्ता  को हर पेशगी  पर स्वयं अदालत में उपस्थित होना अनिवार्य है।  अदालत ने मुख्यमंत्री की लगातार गैरहाजिरी का गंभीर संज्ञान लिया और कहा कि शीला  दीक्षित अदालत की नजर में एक आम आदमी हैं।  उनके मुख्यमंत्री होने से अदालत से कोई फर्क नहीं पड़ता है।  कानून हर नागरिक के लिए समान है।

विजेंदर  गुप्ता ने कहा है कि मुख्यमंत्री उनके खिलाफ चाहे जितने Уषड्यंत्र  कर लें, भाजपा जनहित की लड़ाई लड़ती रही है और आगे भी लड़ती रहेगी।  मुख्यमंत्री के अन्यायपूर्ण फैसलों, घोटालों, भ्रФटाचार, महंगाई और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ भाजपा लगातार जनसंघर्ष  करती रहेगी।  सरकार के हथकंडों से पार्टी न तो डिगेगी, न झुकेगी।

Copyright @ 2019.