राष्ट्रीय (13/10/2012) 
सर्वोच्च न्यायालय ने दिए खुले गड्ढों के मामले में एहतियाती कदम उठाने के निर्देश
छोटे बच्चों के खुले गड्ढों व निकास नालियों आदि में गिरने की सूचनाओं ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है और इस दिशा में सभी स्तर पर एहतियाती उपाय अपनाने की आवश्यकता है।
इसी के दृष्टिगत भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 11 फरवरी, 2010 को छोटे बच्चों के खुले पड़े गड्ढों या ट्यूबवैल में गिरने से घातक दुर्घटना होने बनाम केंद्र सरकार व अन्य के मामले में जारी अपने आदेश में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं
राज्य सरकार को लिखे एक पत्र में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग ने कहा है कि राज्य सरकार भी इस पर कार्य करे और अपनी कार्य योजना के बारे में आयोग को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि गड्ढों अथवा ट्यूब वैल निर्मित करने से पूर्व सम्बन्धित परिसर के मालिक को 15 दिनों की अवधि में लिखित रूप से जिला दण्डाधिकारी@उपायुक्त@ग्राम पंचायत प्रधान@भूजल विभाग@जन स्वास्थ्य एवं नगर निगम के अधिकारियों को सूचित करना होगा। इसके लिए सम्बन्धित एजेंसी का पंजीकरण जिला प्रशासन से होना अनिवार्य है, चाहे वह सरकारी एजेंसी हो अथवा अद्र्ध सरकारी या फिर निजी।
ट्यूब वैल अथवा गड्ढे के निर्माण के समय उस स्थान पर साईन बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा, जिस पर सम्बन्धित एजेंसी और मालिक का पूरा पता होना चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया है कि यह सुनिश्चित बनाने के लिए इस कार्य से सम्बन्धित सरकारी एजेंसियों पर नजर रखने के लिए उपायुक्त को अधिकृत किया जाना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि स्थापित किए जा चुके गड्ढों व टयूब वैल, प्रयोग में लाए जा रहे कुओं, ख्रुले पाए गए गड्ढों व टयूब वैल, जिन्हें उचित प्रकार से भरा जा चुका है और जिन्हें भरा जाना शेष है, की जिला@खण्ड@गांव स्तर की सूची जि+ला स्तर पर पर तैयार करनी होगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी का कार्य गांव के प्रधान और कृषि विभाग के एक अधिकारी के माध्यम से किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में यह कार्य कनिष्ठ अभियन्ता और सम्बन्धित विभाग अधिकारी करेंगे। यदि किसी बोर वैल या टयूब वैल को किसी स्तर पर बंद किया गया है। उस स्थिति में सम्बन्धित प्राधिकरण से प्रमाण पत्र लेना होगा।
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