राष्ट्रीय (15/10/2012) 
आस्था का समंदर उमड़ा फल्गु तीर्थ पर
कैथल, 15 अक्तूबर , भारत वर्ष के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक फल्गु मेले में मुख्य स्नान के दिन सोमवती अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में डूबकी लगाई और पितरों की आत्मिक शांति के लिए तर्पण इत्यादि के कार्य को विधिवत रूप से निपटाया। पो फटते ही लाखों लोग फल्गु मेले में उमड़ पड़े और उन्होंने मंत्रोच्चारण के बीच स्नान किया। यह सिलसिला सोमवार दिन भर चला और ग्रंथों में किए गए उल्लेख के अनुसार पंडितों द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप सांय काल तक सोमवती अमावस्या का स्नान शुभ माना गया था। इसी के दृष्टिगत पूरा दिन श्रद्धालु यात्रियों का फल्गु तीर्थ की तरफ आवागमन का सिलसिला निर्बाध चलता रहा। मेला प्रशासन के सराहनीय प्रबंधों के बीच सभी ने पिंडदान का कार्य संपन्न करवाया। 
उपायुक्त चंद्रशेखर सहित मेला प्रशासन के सभी अधिकारी मुख्य स्नान के दिन यहां मौजूद रहे और यात्रियों की सुविधा के लिए बनाए गए विभिन्न 12 सैक्टरों में तैनात किए गए डियूटी मैजिस्ट्रेट व  सैक्टर सुपरवाईजर अपनी-अपनी डियूटी पर तैनात रहे। पुलिस का सुरक्षा कवच भी मजबूत रहा और सोमवती अमावस्या पर लाखों की भीड़ नियंत्रित रूप से मेला परिसर में न केवल विचरण करती रही, बल्कि पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के बीच पुरूषों व महिलाओं ने उनके लिए अलग-अलग से बनाए गए घाटों पर पवित्र स्नान भी किया। सरोवर का पानी स्वच्छ रहा और जगह-जगह पर लगाए गए   30 सीसी टीवी कैमरों के कारण सुरक्षा व्यवस्था अभेद रही और सभी कुछ सही तरीके से संपन्न हो गया। देश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाले फल्गु मेले में व्यवस्था प्रशासन के लिए एक चुनौती के रूप में होती है, जिस कसौटी पर मेला प्रशासन उपायुक्त श्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में मेला प्रशासक श्री हवा सिंह पचार द्वारा किए गए कार्यों की बदौलत खरा उतरा। 
मेला प्रशासन द्वारा रात्रि ठहराव के लिए बनाए गए रैन बसेरे भी रात भर दुधिया रोशनी के बीच आबाद रहे और सूचना एवं जन संपर्क विभाग की भजन व नाटक मंडलियों ने पिछले कई दिनों से रात-रात भर इन श्रद्धालु यात्रियों को अपनी कला कौशल के मोहपाश में बांधे रखा। ईधर मनोरंजक पार्क की स्थापना भी सार्थक रही, जहां तफरी के लिए जाने वाले सैलानी यात्रियों ने खूब मजा लूटा और वहां स्थापित किए गए आकाश को छूते झुलों, सर्कस और जादूगर के शो में लगातार भीड़ उमड़ी रही। विभिन्न धार्मिक संस्थाओं द्वारा लगाए गए भंडारों में भी लंगर अटूट बरता और वहां भी धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ स्वयं सेवकों का सेवा भाव अपने चरम पर रहा। 
चूंकि श्राद्धों के दौरान 16 दिनों तक लगातार श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यहां उमड़ी रही। इसी के दृष्टिगत लोगों की सेहत ठीक ठाक बनी रहे और वह स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर के साथ फल्गु मेले में पूरा आनंद ले सकें, यहां स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सक्रिय रहा। हजारों यात्रियों ने स्वास्थ्य विभाग व आयुष विभाग द्वारा लगाए गए शिविरों के माध्यम से न केवल अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाया, अपितू वहां से नि:शुल्क दवाईंया प्राप्त करके अपनी काया को भी निरोगी बनाए रखा। जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्लोरिनेशन के साथ पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था रही और लोगों ने सुविधाजनक रूप से मेले में विभिन्न जगहों पर घुमते हुए शुद्ध पेयजल का भी सेवन किया। मेले में सफाई व्यवस्था भी समूचे दिनों में अच्छी रही और यहां तैनात किए गए सफाई कर्मियों ने निरंतर अपनी डियूटी को निभाते हुए कहीं पर भी गंदगी को इक्_ा नही होने दिया। यही कारण रहा कि पूरा मेला परिसर हाईजैनिक रहा। मुख्य स्नान के दिन चारों तरफ से फल्गु तीर्थ को जोडऩे वाली सड़कों पर लोग कतारबद्ध आते देखे गए और मेला परिसर के बीच मेला प्रशासन द्वारा की गई वन वे व्यवस्था के कारण सभी कुछ अच्छी प्रकार से संपन्न हो गया। लोग एक तरफ से मेला क्षेत्र में प्रवेश करते गए और स्नान इत्यादि के बाद बैराकेटिंग की दूसरी तरफ से अपनी-अपनी मंजिल की ओर सुविधाजनक रूप से कूच करते गए। 
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि फल्गु मेला अपनी सुखद यादों के साथ संपन्न हो गया और देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु यात्री और सैलानी अपने जहन में मेला प्रशासन की पुख्ता व्यवस्था की स्मृतियां लेकर अपने-अपने घरों को आस्था के साथ लौट गए।
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