राष्ट्रीय (16/10/2012) 
नवरात्री तथा दशहरा स्थलों का राजनीतिक प्रचार के प्रयोग नहीं होगा
भारत के निर्वाचन आयोग ने हिमाचल प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव 2012 के दौरान नवरात्रा व दशहरा स्थलों का चुनाव प्रचार में प्रयोग के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि नवरात्रा के दौरान आयोजित कार्यक्रमों व आरती इत्यादि करने पर कोई भी पाबन्दी नहीं लगाई गई है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक पदाधिकारियों और नेताओं व उम्मीदवारों को इन कार्यक्रमों और आरती में भाग लेने में कोई भी रोक नहीं लगाई गई है और वे इसमें आम जनों की तरह भाग ले सकते हैं, परन्तु इन कार्यक्रमों को यह राजनीतिक प्रचार के लिए प्लेटफार्म के रूप में उपयोग नहीं कर पाएंगे और ऐसा करना धार्मिक संगठन (दुरूपयोग की रोकथाम) अधिनियम 1988 का दुरूपयोग माना जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों, राजनीतिक पदाधिकारियों व उम्मीदवारों इत्यादि द्वारा नवरात्र कार्य स्थलों को राजनीतिक प्रचार के लिए प्रयोग करने को कोई भी स्वीकृति नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजकों को अनुमति देने से पहले चुनाव प्रशासन उनसे आवश्यक शर्तें लागू होगी कि वे इन कार्यक्रमों के उद्घाटन व समापन समारोह में किसी राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को मुख्य अतिथि या विशेष अतिथि नहीं बुलाएंगे और नही इस दौरान कोई भी राजनीतिक सामग्री जैसे प्रिंट, इलैक्ट्रानिक, डिजीटल इत्यादि वितरित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि नवरात्र कार्यक्रमों के आयोजन करने वालों को यह भी सुनिश्चित बनाना होगा कि इन स्थलों का राजनीतिक प्रचार के लिए किसी भी द्वारा प्रयोग नहीं किया जाएगा। यदि आयोजकों द्वारा इन दिशा-निर्देशों की कोई अवहेलना की जाती है तो उनके खिलाफ सम्बन्धित कानून@नियमों और आदर्श चुनाव आचार संहिता के अन्तर्गत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
यह भी स्पष्ट किया जाता है कि भारत के उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार वर्तमान आम चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार व जन सभाओं के दौरान लाउडस्पीकरों का प्रयोग प्रातः 6 बजे से सायं 10 बजे तक किया जाएगा।
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