राष्ट्रीय (16/10/2012) 
अनाज मंडी में धान की बिक्री को लेकर किसानों का हंगामा
कैथल, 16 अक्तूबर ,कैथल की अनाज मंडी में धान की बिक्री को लेकर मंगलवार को किसानों ने हंगामा मचाया। जिस पर मंडी सचिव रविंद्र सिंह सैनी ने अपनी सुझ बुझ का परिचय देते हुए मामले को निपटाया। वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने भी मंडी का दौरा कर मार्केट कमेटी सचिव को समस्याओं से अवगत करवाया। उल्लेखनीय यह है कि मंडी में इस समय धान की लगभग 1 लाख बोरी की अवाक चल रही है। परन्तु अचानक कुछ किसान हरजीत सिंह खेड़ी गुलाम अली, निर्मल सिंह, जसपाल सिंह, बलजीत सिंह, हरदीप सिंह चक्कू पाडला, जैन सिंह नागल, कर्मवीर कुलतारण, अपनी धान का सैम्पल लेकर मार्केट कमेटी में सचिव के पास आए और कहा कि सरकार के नियमानुसार उनकी धान खरीद के अनरूप है। परन्तु खरीददार इसमें नमी बताकर इसको खरीदने से जवाब दे रहे है। मार्केट कमेटी सचिव ने तुरंत अपने सामने इस धान का नमी नापक यंत्र के द्वारा नमी को जांचा। नमी जांचने पर इस धान में नमी मात्र 18.7, 18.5 आदि के आसपास पाई गई। इसके अलावा बाबा लदाना के किसान रामदिया की धान में नमी 16.8 व अजैब सिंह की धान में 16 प्रतिशत पाई गई। इस पर मार्केट कमेटी सचिव ने उन किसानों के साथ जाकर इस धान को सरकारी एजैंसियों को खरीदने के लिए कहा। एक किसान अजैब सिंह ने बताया कि उनकी धान की बिक्री कम मूल्य की बताई जाती है और जे फार्म 1280 रुपए का दिया जाता है। ऐसा क्यों? इस पर मार्केट कमेटी सचिव ने कहा कि जो भी किसान जे फार्म लेकर आएगा। उस जे फार्म के अनुसार ही उनको धान की अदायगी करवाई जाएगी। उधर धान की बिक्री की समस्या को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय सलाहकार अजीत सिंह हाबड़ी भी मार्केट कमेटी सचिव से मिले और धान की बोली करवाने की मांग की। इस पर सचिव ने बताया कि मंडी में लगभग लाख सवा लाख बोरी की आमदन होती है और इतनी धान की बोली करवाना मुश्किल है। अगर बोली करवाई जाएं तो किसानों की धान 10-10 दिन तक नहीं बिकेगी। उन्होंने अजीत सिंह हाबड़ी को आश्वासन दिया कि बिना बोली के ही किसानों की धान बोली से अधिक मूल्य पर बिकवाई जाएगी और किसी भी किसान को कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी। इस पर अजीत सिंह हाबड़ी व उनके साथ आए सुखबीर सिंह खारा, जगजीत सिंह, भूरा राम, बलवान आदि सभी सदस्य सहमत हो गए। उधर किसानों की यह भी मांग थी कि उनकी जो धान समर्थन मूल्य से कम बिकती है उसके जे फार्म भी उसी रेट के बनाएं जाएं। जिस दामों पर वह बिकती है।
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