राष्ट्रीय (18/10/2012)
भाजयुमो का पुलिस मुख्यालय पर 19 अक्तूबर को विशाल प्रदर्शन
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर। दिल्ली सरकार, बिजली कम्पनियों और डीईआरसी की आपराधिक सांठ-गांठ से राजधानी में बिजली के दाम कम न करने देने के सरकार के षड्यंत्र की जांच और दोषियों को दंडित करने की मांग को लेकर भाजयुमो दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर 19 अक्तूबर को प्रचंड प्रदर्शन करेगा। भाजपा द्वारा थाना आईपी एस्टेट में दर्ज कराई गई शिकायत पर आर्थिक अपराध शाखा दिल्ली पुलिस द्वारा तुरन्त दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग भाजपा ने की है। यह जानकारी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने पत्रकारों को दी। उन्होंने कहा कि सरकार अपने खिलाफ भाजपा द्वारा मुकदमा दर्ज कराने से बौखला गई है। इसीलिए सरकार के मुख्य सचिव पी के त्रिपाठी को सामने करके अपनी सफाई दी है। पी.के. त्रिपाठी ने कहा है कि डीईआरसी ने 2010 में बिजली के दाम घटाने के आदेश ही नहीं दिए थे। तब किस आधार पर दाम घटाने की बात कही जा रही है। मुख्य सचिव की सफाई के जवाब में भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष ने पत्रकारों को बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव ने अपनी सफाई देकर स्वयं स्वीकारा है कि बिजली के दाम घटाने के डीईआरसी के आदेश को षड्यंत्रपूर्वक लागू ही नहीं होने दिया गया। इसी बात पर भाजपा ने पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। डीईआरसी ने कम्पनियों के खातों तथा अन्य विवरणों की जाँच के बाद वर्ष 2010 में पाया था कि तीनों बिजली कम्पनियो के पास जनता से वसूला गया 3577 करोड़ रूपया सरप्लस है। इस कारण डीईआरसी ने उन्होंने 28, 29, 30 अप्रैल, 2010 को यह नोट जारी किया कि बिजली कम्पनियां दिल्ली में 23 प्रतिशत दाम कम करें। 3 मई, 2010 को डीईआसी का अनुमोदित आदेश घोषित तिथि 5 मई, 2010 को जनता के लिए सार्वजनिक किया जाना था। डीईआरसी के इस आदेश से घबराकर बिजली कम्पनियों ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित दिल्ली सरकार के अधिकारियों, डीईआरसी के दो सदस्यों और अन्य लोगों से आपराधिक सांठ-गांठ करके 5 मई, 2010 से एक दिन पहले 4 मई, 2010 को ही मुख्यमंत्री द्वारा डीईआरसी को यह लिखित आदेा जारी करवाया कि टैरिफ आर्डर 2010 घोषित नहीं किया जाए इस कारण बिजली के 23 प्रतिशत दाम घटाने के आदेश जारी नहीं हो पाए और जनता को साल भर बढ़े दामों का चूना लगता रहा। डीईआरसी ने अटार्नी जनरल को यह राय देने हेतु कहा कि क्या किसी राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह अर्धन्यायिक संस्था डीईआरसी को आदेश जारी कर सके। अटार्नी जनरल ने राय दी कि डीईआरसी को आदेश देना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। टैरिफ घटाने के आदेश 5 मई, 2010 को जनता के लिए जारी होने थे लेकिन 4 मई, 2010 के दिल्ली सरकार के पत्र के कारण यह मामला साल भर लटका रहा और जनता की षड्यंत्र के तहत लूट बिजली कम्पनियां करती रहीं। 5 मई, 2010 को मुख्यमंत्री, सरकारी अधिकारियों, डीईआरसी सदस्यों, डिस्काम के अधिकारियों ने जल्दबाजी में षड्यंत्र पूर्वक कार्य करके नये टैरिफ आदेश पारित होने से रूकवा दिया। यही तो मुख्यमंत्री, सरकार के अधिकारियों, बिजली कम्पनियों के अधिकारियों का दाम न घटाने देने का षड्यंत्र था और इसी के खिलाफ भाजपा दोषियों को जांच करके जेल भिजवाना चाहती है। षड्यंत्र में डीईआरसी के दो सदस्य याम वडेरा और एस आर सेठी ने जनता के खिलाफ खेल खेला था। इसी आर्थिक आपराधिक षड्यंत्र की जाँच करके दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग को लेकर भाजपा की ओर से शिकायतकर्ता अभय वर्मा ने आईपी एस्टेट थाने में 13 अक्टूबर, 2012 को डायरी केस संख्या 7257 के तहत िाकायत दर्ज कराई। दिल्ली पुलिस ने यह मामला आर्थिक अपराध शाखा को जाँच के लिए सौंप दिया है। लेकिन आर्थिक अपराध शाखा इस मामले को उच्च दबाव में रफा-दफा करने पर तुली हुई है। दोषीगणों मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, ऊर्जा सचिव राजेन्द्र कुमार, संयुक्त सचिव एस.एम. अली, सीईओ रिलायंस पावर जयराम प्रसाद चालसानी, एनडीपीएल, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड, डीईआरसी के दो तत्कालीन सदस्यों एस आर सेठी, याम वडेरा तथा अन्य अज्ञात व्यक्तियों को जनधन की षड्यंत्रकारी लूट के अपराध में जब तक जेल नहीं भेजा जायेगा, भाजपा अपना आंदोलन जारी रखेगी। विजेंदर गुप्ता ने आशंका व्यक्त की है कि यदि जांच तुरन्त नहीं की गई तो षड्यंत्रकारी अवशक दस्तावेजी तथा अन्य सबूतों को नष्ट कर देंगे। इसलिए आवशक है कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा नामजद षड्यंत्रकारियो को तुरन्त गिरफ्तार करे ताकि वे सबूतों और गवाहों को प्रभावित न कर सके। जानकारी मिली है कि इस आर्थिक आपराधिक षड्यंत्र को अंजाम देने वाले बड़े प्रभावशाली नेताओं और अफसरों ने जांच को प्रभावित करने और मामले को रफा-दफा करने का कार्य शुरू कर दिया है। यदि निष्पक्ष जांच करके दोषियों को दंडित न किया गया तो भाजपा चुप बैठने वाली नहीं है। वह सभी दोषियों को जेल भिजवाकर ही मानेगी। - - - - - |
Copyright @ 2019.