राष्ट्रीय (19/10/2012) 
विधवा पेंशन स्कीम के अंतर्गत कुछ वर्गों की पेंशन बढ़ी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों और विधवाओं की पेंशन बढ़ाने का अनुमोदन कर दिया है। इसके जरिए वित्त मंत्री ने 2012-13 का बजट पेश करते समय 16 मार्च को संसद में जो ऐलान किया था, वह पूरा हो गया है।

इस फैसले से गरीबी रेखा से नीचे की 76 लाख विधवाओं और 11 लाख अन्य लोगों (ज्यादा विकलांग व्यक्तियों) को लाभ होगा। उनकी पेंशन में अब 300 रूपये प्रतिमाह ज्यादा मिलेंगे। पेंशन के लिए उन्हें केंद्र से 300 रूपये की सहायता दी जायेगी और शेष राशि राज्यों के अंशदान के जरिए मिलेगा। इसके अलावा अगर किसी परिवार के लिए प्रारंभिक कमाई करने वाली की मृत्यु हो जाती है तो उसे 20 हजार रूपये की एकबारगी सहायता दी जायेगी। इस फैसले से 3.56 लाख गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों को फायदा होगा।

चल रही इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन स्कीम के अंतर्गत हर लाभार्थी को हर महीने मिलने वाली पेंशन में केंद्र का अंशदान 200 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये किया जा रहा है। साथ ही, इसके लिए निर्धारित पात्रता का आयुवर्ग मापदंड 40-59 वर्षों की बजाय 40-79 वर्ष होगा।

इंदिरा गांधी विकलांगता पेंशन स्कीम की पेंशन दर वर्तमान 200 रुपये से प्रति लाभार्थी 300 रुपये प्रति माह कर दी जायेगी और पात्रता मापदंड भी 18-59 वर्षों की जगह 18-79 वर्ष होगा।

राष्ट्रीय परिवार लाभ स्कीम के अंतर्गत एकबारगी मिलने वाली राशि 10,000 हजार रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दी जायेगी और पात्रता मापदंड आयुवर्ग 18-64 की जगह 18-59 होगा।

सभी पेंशन स्कीमों के अंतर्गत तथा एनएफबीएस में राज्य सरकारों/संघ शासित के प्रशासन द्वारा कम से कम समान अंशदान की जरूरत संस्तुतिपरक होगी।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन स्कीम और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन स्कीम के संशोधित मापदंड 1 अक्तूबर, 2012 से प्रभावी होंगे।

राष्ट्रीय परिवार लाभ स्कीम के संशोधित मापदंड उस तारीख से लागू होंगे जिस तारीख को इसे मंत्रिमंडल ने अनुमोदन प्रदान किया है।

एनएसएपी का कार्यान्वयन 12वीं पंचवर्षीय योजना में जारी रहेगा और अनुमोदित मदो पर 3 प्रतिशत प्रशासनिक प्रभार देना जारी रखा जायेगा।

उक्त सभी प्रस्तावों के कार्यान्वयन के लिए हर साल 3861.09 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। लेकिन, वर्तमान लाभार्थियों को दी जा रही सहायता की मौजूदा दर को ध्यान में रखते हुए उक्त प्रस्तावों को अमल में लाने पर कुल खर्च रुपये 1325.10 करोड़ प्रतिवर्ष बैठेगा।

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